Thursday 10 November 2016

संस्थानों की ढिलाई से लटकी दस लाख की छात्रवृत्ति

-छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति योजना में सख्ती का परिणाम
-64 लाख विद्यार्थियों के आवेदनों की जांच का काम शुरू
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ: छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति योजना में सख्ती क्या हुई, शिक्षण संस्थानों ने इस ओर ढिलाई शुरू कर दी है। इस वर्ष विद्यार्थियों द्वारा पूरी तरह भरे जाने के बाद भी शिक्षण संस्थानों द्वारा शासन को आवेदन न अग्र्रसारित किये जाने से दस लाख विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति लटक गयी है। अब शासन स्तर पर 64 लाख आवेदनों की जांच शुरू की गयी है, ताकि समय पर भुगतान सुनिश्चित किया जा सके।
प्रदेश में आठवीं के बाद स्कूल छोड़ जाने की समस्या से निपटने के लिए पूर्वदशम् छात्रवृत्ति का प्रावधान है। नौवीं व दसवीं में पूर्वदशम् छात्रवृत्ति के बाद 11वीं, 12वीं में दशमोत्तर छात्रवृत्ति और 12वीं के बाद प्रोफेशनल पाठ्यक्रमों के लिए शुल्क प्रतिपूर्ति का प्रावधान है। पिछले तीन वर्षों में छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति में गड़बडिय़ों के तमाम मामले सामने आने के बाद सख्ती के साथ कई प्रक्रियागत बदलाव भी किये गए। संस्थानों की जिम्मेदारी निर्धारित की गयी, ताकि वे आवेदन अग्र्रसारित करने से पहले पर्याप्त जांच पड़ताल कर लें। ऐसा न करने वाले तमाम संस्थानों को काली सूची में भी डाला गया और मुकदमे तक कायम हुए।
सख्ती का परिणाम यह हुआ कि विद्यार्थियों के आवेदन के बाद भी इन संस्थानों ने फार्म अग्र्रसारित कर शासन स्तर तक भेजे ही नहीं। इस कारण दो बार आवेदन की अंतिम तिथि भी बढ़ाई गयी किन्तु स्थितियों में बहुत परिवर्तन नहीं आया। इस बार नौवीं-दसवीं के 30,403 स्कूलों में 27.2 लाख विद्यार्थियों ने पंजीकरण कराया, जिसमें से 16.6 लाख ने फार्म भरे और 14.6 लाख ने अंतिम आवेदन किया। स्कूलों ने इनमें से 12.6 लाख आवेदन ही अग्र्रसारित किये। इसी तरह 11वीं-12वीं के 16,510 विद्यालयों में 24.8 लाख विद्यार्थियों ने पंजीकरण कराया, जिसमें से 18 लाख ने फार्म भरे और 15.9 लाख ने अंतिम आवेदन किया। विद्यालयों ने इनमें से 13.8 लाख आवेदन ही अग्र्रसारित किये। दशमोत्तर शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए 11,263 संस्थानों में 64.4 लाख विद्यार्थियों ने पंजीकरण कराया। पंजीकरण के बाद 47.8 लाख ने फार्म भरे और सभी जरूरी संलग्नकों के साथ 43.6 लाख ने अंतिम रूप से आवेदन किया। इनमें भी संस्थानों ने सिर्फ 38 लाख विद्यार्थियों के आवेदन ही शासन को अग्र्रसारित किये। इस तरह प्रदेश में छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए कुल 58,176 संस्थानों के 1.16 करोड़ विद्यार्थियों ने पंजीकरण कराया। पंजीकरण के बाद इनमें से 34 लाख विद्यार्थी फार्म भरने के पहले ही गायब हो गए और सिर्फ 82.4 लाख विद्यार्थियों ने ही फार्म भरे। इनमें से 74 लाख ने अंतिम रूप से आवेदन किया, किन्तु संस्थानों ने दस लाख आवेदन शासन को भेजे ही नहीं। अब शासन स्तर पर 64 लाख आवेदनों की जांच शुरू की गयी है, ताकि उन्हें समय पर छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति का भुगतान किया जा सके। इस संबंध में समाज कल्याण विभाग के उपनिदेशक पीके त्रिपाठी ने बताया कि सोमवार से ऐसे मामलों की जांच शुरू कराई जाएगी। दोषी पाए जाने वाले संस्थानों पर कठोर कार्रवाई होगी।

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