Thursday 6 October 2016

अस्पताल पहुंचो, वहां पुराना पर्चा मिल जाएगा


- सूबे में ई-हॉस्पिटल योजना पर अमल को केंद्र सरकार की मंजूरी
- राजधानी के तीन चिकित्सालयों में पॉयलट प्रोजेक्ट, 25 में विस्तार
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डॉ.संजीव, लखनऊ
आप को पांच साल पहले ब्लड प्रेशर की शिकायत हुई थी। कुछ इलाज हुआ और सब ठीक। आज जब दोबारा वही दिक्कत हुई तो अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टर ने पुराने पर्चे मांगे। पर यह क्या, इन पांच सालों में पुराने पर्चे तो खो चुके हैं? ऐसी किसी स्थिति में अब आपको चिंता नहीं करनी होगी। आप अस्पताल पहुंचिये, वहां कंप्यूटर पर आपके पुराने पर्चे सहित पूरी जांच रिपोर्ट मिल जाएगी। जी हां, सूबे में जल्द शुरू हो रही ई-हॉस्पिटल योजना से यह संभव होगा।
अस्पतालों में इलाज व जांच के आधुनिकीकरण के बीच स्वास्थ्य मंत्रालय ई-हॉस्पिटल से इलाज की राह आसान करने की पहल कर रहा है। प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार को इस योजना के लिए 50 अस्पतालों का प्रस्ताव भेजा था। केंद्र ने इनमें से 25 को मंजूरी दे दी है। पहले चरण में 30 करोड़ रुपये भी मंजूर कर दिये गए हैं। केंद्र ने दो से चार अस्पतालों में पायलट प्रोजेक्ट संचालित कर योजना की शुरुआत को कहा था। इस पर अमल करते हुए राजधानी लखनऊ के सिविल अस्पताल, बलरामपुर अस्पताल व डॉ.राम मनोहर लोहिया अस्पताल को पायलट प्रोजेक्ट के लिए चुना गया है। शेष 22 अस्पतालों का चयन भी इसी सप्ताह कर लिया जाएगा। अगले छह माह में इन सभी अस्पतालों में इसे लागू करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके बाद प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों व अन्य बड़े अस्पतालों में भी परियोजना को विस्तार दिया जाएगा।
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पर्चा बनवाइये, भूल जाइये
यह पूरी व्यवस्था दरअसल मरीजों को कागजों के बोझ से बचाएगी। मरीज बाह्यï रोगी विभाग में पर्चा बनवाते समय ही पूरा ब्यौरा ले लिया जाएगा। इसके लिए 37 बिन्दु निर्धारित किये गए हैं। मरीज को एक यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर (यूआइएन) मिल जाएगा। इसके बाद डॉक्टर जो जांच लिखेंगे, उन जांचों की रिपोट्र्स सीधे मरीज के यूआइएन पर दर्ज होंगी। जांच रिपोर्ट के बाद डॉक्टर द्वारा लिखी गयी दवा भी इसमें दर्ज होगी। मरीज को गंभीर अवस्था में भर्ती होना पड़ा, किसी उच्च चिकित्सा केंद्र में स्थानांतरित होना पड़े या फिर अस्पताल से छुïट्टी हो, पूरी जानकारी उसी यूआइएन पर होगी। किसी दूसरे शहर के अस्पताल में जाने पर यदि वह अस्पताल इस नेटवर्क से जुड़ा है तो यूआइएन डालते ही पूरी जानकारी डॉक्टर को मिलेगी और उन्हें इलाज में आसानी होगी।
ई-ब्लडबैंक की बारी
ई-हॉस्पिटल के बाद प्रदेश के सभी सरकारी ब्लडबैंक भी पूरी तरह कम्प्यूटरीकृत किये जाएंगे। इन्हें ई-ब्लडबैंक नाम दिया जाएगा। इसमें रक्तदाता का पंजीकरण व प्रारंभिक जांचें ऑनलाइन सहेजी जाएंगी। इसके बाद जरूरत के अनुरूप उन्हें कहीं भी बुलाया जा सकेगा। इसके अलावा ब्लड बैग व ब्लड कम्पोनेंट से जुड़ी प्रक्रिया भी कम्प्यूटरीकृत होगी। इससे प्रदेश के किसी भी ब्लड बैंक में उपलब्ध रक्त का ब्यौरा एक जगह होगा और उसका उपयोग किया जा सकेगा। खून या बैग की बर्बादी रोकने के लिए उन्हें नष्ट करने के लिए कम्प्यूटरीकृत चेतावनी प्रणाली भी होगी।
इलाज में आएगी पारदर्शिता
इस पूरी परियोजना के लिए केंद्र सरकार ने एजेंसी नामित कर दी है। हम इसे इसी साल हर हाल में लागू करना चाहते हैं। इससे इलाज में पारदर्शिता आएगी। कई अस्पतालों में लंबी कतारें लगती हैं। कम्प्यूटरीकरण के बाद उसमें कोई मनमानी नहीं होगी। मरीजों की सही संख्या व बीमारियों का पता होने से आंकलन करने व उपचार की रणनीति बनाने में भी मदद मिलेगी। -आलोक कुमार, निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उत्तर प्रदेश

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