-2018 से कैलेंडर वर्ष को ही वित्तीय वर्ष मान लेने का प्रस्ताव
-विकास की रफ्तार बढऩे और काम न रुकने का दिया गया तर्क
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ: प्रदेश सरकार की राय है कि वित्तीय वर्ष अप्रैल के स्थान पर जनवरी में शुरू होना चाहिए। केंद्र सरकार द्वारा इस बाबत पूछे जाने पर राज्य सरकार ने 2018 से कैलेंडर वर्ष को ही वित्तीय वर्ष मान लेने का प्रस्ताव किया है।
रेल बजट व आम बजट को एक करने के बाद केंद्र सरकार वित्तीय वर्ष में संशोधन को लेकर भी रायशुमारी कर रही है। इसके लिए देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे शंकर आचार्य की अध्यक्षता में समिति बनाई गयी है। इस समिति के समक्ष उत्तर प्रदेश ने मंगलवार को अपनी राय जाहिर की। इसमें प्रदेश सरकार ने वित्तीय वर्ष एक अप्रैल से शुरू करने के स्थान पर एक जनवरी से शुरू करने का सुझाव दिया है। प्रदेश सरकार की राय है कि कैलेंडर वर्ष को वित्तीय वर्ष मान लेने से नियोजन में बेहद आसानी होगी। साथ ही विकास की रफ्तार बढ़ेगी और काम नहीं रुकेगा। तर्क दिया गया है कि अप्रैल में वित्तीय वर्ष शुरू होने की स्थिति में कई बार जून-जुलाई तक धन जारी हो पाता है। इस बीच बारिश शुरू हो जाती है और फिर तमाम विकास कार्य अक्टूबर तक रुक जाते हैं। इससे छह से सात माह तक बर्बाद हो जाते हैं। इसके विपरीत जनवरी में वित्तीय वर्ष की शुरुआत पर हर हाल में मार्च तक धन जारी हो जाएगा और विकास कार्य समय रहते रफ्तार पकड़ सकेंगे। राज्य सरकार ने 2018 से ही कैलेंडर वर्ष को वित्तीय वर्ष के रूप में स्वीकार करने का प्रस्ताव किया है, ताकि एक जनवरी 2018 से इस पर अमल हो सके।
नौ माह का वित्तीय वर्ष
केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से इस बाबत प्रस्ताव मांगा है। बताया गया कि कई राज्य जनवरी से दिसंबर को वित्तीय वर्ष के रूप में परिभाषित करने पर सहमत हैं। यदि इसे जनवरी 2018 से लागू किया गया तो 2017-18 का एक वित्तीय वर्ष नौ माह का माना जाएगा। उस वर्ष के लिए बजटीय नियोजन भी तदनुरूप करने होंगे।
दीवाली के आसपास बजट
कैलेंडर वर्ष को वित्तीय वर्ष मान लेने का प्रस्ताव स्वीकार होने की स्थिति में बजट अक्टूबर के अंत या नवंबर माह में आएगा। इस तरह हर साल बजट दीवाली के आसपास आयेगा। पारंपरिक भारतीय पद्धति में भी दीवाली में लेखा-जोखा की शुरुआत करने व बहीखातों की पूजा की जाती है। यह बदलाव भी भारतीय जरूरतों के अनुरूप समावेशी होगा।
-विकास की रफ्तार बढऩे और काम न रुकने का दिया गया तर्क
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ: प्रदेश सरकार की राय है कि वित्तीय वर्ष अप्रैल के स्थान पर जनवरी में शुरू होना चाहिए। केंद्र सरकार द्वारा इस बाबत पूछे जाने पर राज्य सरकार ने 2018 से कैलेंडर वर्ष को ही वित्तीय वर्ष मान लेने का प्रस्ताव किया है।
रेल बजट व आम बजट को एक करने के बाद केंद्र सरकार वित्तीय वर्ष में संशोधन को लेकर भी रायशुमारी कर रही है। इसके लिए देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे शंकर आचार्य की अध्यक्षता में समिति बनाई गयी है। इस समिति के समक्ष उत्तर प्रदेश ने मंगलवार को अपनी राय जाहिर की। इसमें प्रदेश सरकार ने वित्तीय वर्ष एक अप्रैल से शुरू करने के स्थान पर एक जनवरी से शुरू करने का सुझाव दिया है। प्रदेश सरकार की राय है कि कैलेंडर वर्ष को वित्तीय वर्ष मान लेने से नियोजन में बेहद आसानी होगी। साथ ही विकास की रफ्तार बढ़ेगी और काम नहीं रुकेगा। तर्क दिया गया है कि अप्रैल में वित्तीय वर्ष शुरू होने की स्थिति में कई बार जून-जुलाई तक धन जारी हो पाता है। इस बीच बारिश शुरू हो जाती है और फिर तमाम विकास कार्य अक्टूबर तक रुक जाते हैं। इससे छह से सात माह तक बर्बाद हो जाते हैं। इसके विपरीत जनवरी में वित्तीय वर्ष की शुरुआत पर हर हाल में मार्च तक धन जारी हो जाएगा और विकास कार्य समय रहते रफ्तार पकड़ सकेंगे। राज्य सरकार ने 2018 से ही कैलेंडर वर्ष को वित्तीय वर्ष के रूप में स्वीकार करने का प्रस्ताव किया है, ताकि एक जनवरी 2018 से इस पर अमल हो सके।
नौ माह का वित्तीय वर्ष
केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से इस बाबत प्रस्ताव मांगा है। बताया गया कि कई राज्य जनवरी से दिसंबर को वित्तीय वर्ष के रूप में परिभाषित करने पर सहमत हैं। यदि इसे जनवरी 2018 से लागू किया गया तो 2017-18 का एक वित्तीय वर्ष नौ माह का माना जाएगा। उस वर्ष के लिए बजटीय नियोजन भी तदनुरूप करने होंगे।
दीवाली के आसपास बजट
कैलेंडर वर्ष को वित्तीय वर्ष मान लेने का प्रस्ताव स्वीकार होने की स्थिति में बजट अक्टूबर के अंत या नवंबर माह में आएगा। इस तरह हर साल बजट दीवाली के आसपास आयेगा। पारंपरिक भारतीय पद्धति में भी दीवाली में लेखा-जोखा की शुरुआत करने व बहीखातों की पूजा की जाती है। यह बदलाव भी भारतीय जरूरतों के अनुरूप समावेशी होगा।
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