Tuesday 25 October 2016

सरकारी नौकरी, 18 दुकानों में बांट रहे दवाएं


-औषधि विभाग की ढिलाई से अराजक हुए फार्मासिस्ट
-ऑनलाइन सिस्टम को भी धता बताने में हो रहे सफल
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डॉ.संजीव, लखनऊ:
प्रदेश में फार्मासिस्ट दैवीय शक्तियां सहेजे हैं। वे सरकारी नौकरी करने के साथ डेढ़ दर्जन तक दुकानों में दवाएं बांट रहे हैं। दरअसल औषधि विभाग की ढिलाई से अराजक हुए फार्मासिस्ट ऑनलाइन सिस्टम को भी धता बताने में सफल हैं।
प्रदेश में दवा की दुकानों पर फार्मासिस्ट की अनिवार्यता के चलते एक-एक फार्मासिस्ट द्वारा कई दुकानों पर अपना प्रमाण पत्र लगाने और दुकानों पर न जाने का मामला पहले भी उठता रहा है। पिछले साल औषधि विभाग ने सभी दवा दुकानों का ऑनलाइन सत्यापन अनिवार्य किये जाने के बाद इस पर अंकुश लगना शुरू हुआ किन्तु तमाम चौंकाने वाले तथ्य भी सामने आए। मामला उ'च न्यायालय तक पहुंचा तो सरकारी नौकरी कर रहे फार्मासिस्टों द्वारा अपने प्रमाणपत्र दवा दुकानों पर लगाकर वसूली करने का तथ्य सामने आया। याचिका दाखिल करने वाले पंकज मिश्र ने न्यायालय के समक्ष शपथपत्र दाखिल कर दावा किया है कि 66 फार्मासिस्ट ऐसे हैं, जो सरकारी नौकरी करते हुए निजी दवा दुकानों में भी काम कर रहे हैं। फार्मासिस्ट ए.कुमार सरकारी नौकरी के साथ 18 दुकानों में अपना प्रमाणपत्र लगाए हुए हैं। ये प्रमाण पत्र बलिया, खुर्जा, कांशीराम नगर, गाजियाबाद सहित दर्जन भर जिलों की अलग-अलग दुकानों में लगे हैं। इसी तरह पीके शर्मा कांशीराम नगर, नोएडा, बस्ती, सुल्तानपुर, लखनऊ सहित कई जिलों की 16 दुकानों पर फार्मासिस्ट होने के साथ सरकारी अस्पताल में भी नौकरी कर रहे हैं। सरकारी नौकरी कर रहे डी.प्रसाद ने फीरोजाबाद, कानपुर, इलाहाबाद और एम.जावेद ने बदायूं, मेरठ, मुरादाबाद सहित कई जिलों की नौ-नौ दुकानों पर अपने प्रमाण पत्र लगा रखे हैं। आगरा, अमरोहा, लखनऊ, बिजनौर सहित आधा दर्जन जिलों 12 दुकानों पर प्रमाण पत्र लगाए एन.हुसैन भी सरकारी अस्पताल में फार्मासिस्ट हैं। कहा गया है कि यह 66 नाम तो बानगी है, ढंग से जांच करा ली जाए तो संख्या बहुत अधिक निकलेगी।
स्वास्थ्य महकमा बेपरवाह
औषधि विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस संबंध में विस्तृत जांच पड़ताल के लिए स्वास्थ्य विभाग की मदद की जरूरत है किन्तु पूरा महकमा बेपरवाह है। स्वास्थ्य महानिदेशक से कई बार सरकारी नौकरी कर रहे फार्मासिस्टों का पूरा ब्यौरा मांगा गया किन्तु नहीं मिला। उनसे पूछा गया था कि कौन सा फार्मासिस्ट कब से सरकारी सेवा में है, इसका विवरण दे दिया जाए, तो औषधि महकमा ऑनलाइन प्रणाली में परीक्षण करा ले, किन्तु कोई जवाब नहीं मिला।
होगा मुकदमा, जाएंगे जेल
अपर आयुक्त (खाद्य एवं औषधि प्रशासन) राम अरज मौर्य ने कहा कि ये सभी पकड़े जाएंगे। ऑनलाइन व्यवस्था में तभी कोई मामला पकड़ा जाता है, जब वह नवीनीकरण कराता है। यह प्रक्रिया चल रही है किन्तु इसके पूरा होने में पांच साल लगेंगे। तब तक जिला स्तर पर जांच पड़ताल चल रही है। जो लोग पकड़े जाएंगे, उनके खिलाफ मुकदमा कायम कराकर उन्हें जेल भेजा जाएगा।

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