Tuesday 20 September 2016

पिता के अपमान की टीस या बच्चा समझने का दर्द!

-पहले भी अमर ने सपा छोडऩे के बाद दिये थे गंभीर बयान
-मुलायम सिंह यादव को झूठा, जोकर व धृतराष्ट्र तक कहा था
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : समाजवादी परिवार में चल रहे घमासान के बीच बाहरी करार दिये गए अमर सिंह यूं ही निशाने पर नहीं हैं। दरअसल मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को बच्चा बताने वाले अमर सिंह साढ़े छह साल पहले समाजवादी पार्टी से निकाले जाने के बाद मुख्यमंत्री के पिता व सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव को झूठा, जोकर व धृतराष्ट्र तक कह चुके हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री को बच्चा समझने वाले अमर पर सधे निशाने को पिता के अपमान की टीस भी माना जा रहा है।
दो फरवरी 2010 को समाजवादी पार्टी से निकाले जाने के बाद अमर सिंह ने कई साल तक समूचे सपा नेतृत्व को जमकर कोसा था। इसके बाद भी उन्होंने बार-बार मुलायम को कोसा। कभी सार्वजनिक बयान देकर, कभी ब्लॉग में लिखकर उन्होंने चुभने वाली बातें कहीं। एक बार तो खुद एकलव्य बताकर लिखा, मैं मुलायम के लिए एकलव्य बनकर संतुष्ट हूं, पर एकलव्य की तरह अपना अंगूठा उन्हें नहीं दूंगा। अमर सिंह ने मुलायम सिंह के पुत्रप्रेम पर कटाक्ष करते हुए उन्हें धृतराष्ट्र तक कह डाला था। सवा छह साल बाद वे वापस पार्टी में आए तो बहुत दिन तक मौन नहीं रह सके। उन्होंने अखिलेश पर हमले किये और यहां तक कह दिया कि अखिलेश सरकार और मायावती सरकार में कोई अंतर नहीं है। इसके बाद उन्होंने राज्यसभा में बोलने का मौका न मिलने का विरोध किया, वहीं कई बार मुख्यमंत्री को बच्चा करार दिया। कभी मुलायम की सूरत तक न देखने का एलान करने वाले अमर ने खुद को मुलायमवादी बताया तो सपा महासचिव राम गोपाल यादव ने यह कहकर उन्हें निशाने पर लिया कि जो समाजवादी नहीं हो सकता, वह मुलायमवादी कैसे हो सकता है? उन पर परिवार तोडऩे के आरोप लगे और मुख्यमंत्री ने स्वयं उन्हें बाहरी करार दिया था। पिछले दिनों अमर ने मुख्यमंत्री पर न मिलने का आरोप लगाया तो मुख्यमंत्री ने कटाक्ष भरा जवाब दिया कि मिलते ही रहेंगे तो विकास कब करेंगे।
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विवादों भरे दस बयान
21 मार्च 2010 : मुलायम सिंह या तो लोहियावादी नहीं हैं या फिर अपने स्वार्थी मुलायमवाद का सफेद झूठ लोहिया जी पर मढऩा चाहते हैं। ऐसा लगता है कि सारी नेतृत्व क्षमता, गुणवत्ता सिर्फ एक ही परिवार में है। मेरी गलती थी कि मैंने 14 साल से हो रही इस धांधली को नहीं देखा। (अपने ब्लॉग में)
11 मई 2010: मैं मुलायम सिंह का दर्जी और कूड़ेदान रहा हूं। उनकी गलत-सलत नीतियों को नैतिकता का कपड़ा सिलकर संवारने का मैं 14 साल का अपराधी हूं, लेकिन लेकिन दल की गलतियों का श्रेय लेने वाला कूड़ेदान अब मैं नहीं रहा। (अपने ब्लॉग में)
23 अक्टूबर 2010: मुलायम सिंह यादव ने लोहिया के सिद्धांतों की बलि चढ़ा दी है। लोहिया ने कभी भाई-भतीजावाद को बढ़ावा नहीं दिया। मुलायम इसी को बढ़ावा दे रहे हैं। समाजवादी पार्टी में सिर्फ दो अपवाद थे। एक जनेश्वर मिश्र और दूसरे अमर सिंह। एक को रामजी खा गए तो दूसरे को रामगोपाल। (लखनऊ)
5 दिसंबर 2010: मैं बोल दूंगा तो मुलायम सिंह मुश्किल में पड़ जाएंगे। मेरा मुंह खुला तो सपा के कई नेता जेल पहुंच जाएंगे और मुलायम सिंह को जेल की चक्की पीसनी पड़ेगी। (भदोही)
15 जनवरी 2011: मुलायम सिंह की सूरत देखने से पहले मैं पोटेशियम साइनाइड खाकर जान दे दूंगा। मैंने दलाली करके मुलायम की सरकार बनवाई, फिर भी उन्होंने अपने लोगों से मुझे बेशर्म कहलवाया। (आगरा)
25 जनवरी 2012: मैं अब मुलायम सिंह यादव या समाजवादी पार्टी का नौकर नहीं हूं। मुझे उनके तमाम राज मालूम हैं, जिन्हें न तो मैंने उजागर किया है, न कभी करूंगा। (लखनऊ)
21 फरवरी 2012: यूपी के भ्रष्टाचार में मुख्यमंत्री मायावती और मुलायम सिंह यादव दोनों साझीदार हैं। मुलायम सिंह एक पहिए की साइकिल चलाने वाले जोकर हैं। (लखनऊ)
12 अप्रैल 2012: मुलायम सिंह ने बलात्कार पर बयान दिया है कि लड़के हैं, मन मचल जाता है। ऐसा लगता है कि मुलायम सिंह का वश चले तो रेप को भी जायज कर दें। (आगरा)
5 अगस्त 2013: मुलायम सिंह यादव धृतराष्ट्र हो गए हैं। वे भूल जाते हैं कि वे राजा नहीं, जनता के नौकर हैं। (नई दिल्ली)
22 अगस्त 2016: अखिलेश यादव फोन पर नहीं आते। अखिलेश सरकार में भी वही लोग ऐश कर रहे हैं, जो मायावती के राज में ऐश कर रहे थे। राज्यसभा में हमको मूकबधिर बना दिया गया है। (नई दिल्ली)
(15/9/16)

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