Saturday 3 September 2016

जिम्मेदारी मेडिकल कालेज की, गाज सीएमएस पर गिरी

-हैलट अस्पताल में लापरवाही से बच्चे की मौत का मामला
-पीएमएस एसोसिएशन ने उठाए सवाल, सीएम से होगी शिकायत
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ: गणेश शंकर विद्यार्थी स्मारक चिकित्सा महाविद्यालय से संबद्ध कानपुर के लाला लाजपत राय चिकित्सालय (हैलट) में डॉक्टरों की लापरवाही से बच्चे की मौत के मामले में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) के निलंबन से प्रांतीय चिकित्सा सेवा (पीएमएस) संवर्ग में आक्रोश व्याप्त है। पीएमएस एसोसिएशन ने सवाल उठाते हुए कहा है कि इलाज की जिम्मेदारी मेडिकल कालेज शिक्षकों की होती है, फिर लापरवाही की गाज सीएमएस पर क्यों गिराई गयी।
कानपुर मेडिकल कालेज से संबद्ध हैलट अस्पताल के बाल रोग चिकित्सालय की चौखट तक पहुंच जाने के बाद भी पिछले सप्ताह एक बच्चे की मौत हो गयी थी। यह मामला उछलने पर मंगलवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निर्देश पर अस्पताल के सीएमएस डॉ.सीएस सिंह को निलंबित कर दिया गया था। आज इस आशय की जानकारी मिलने पर पीएमएस एसोसिएशन ने गंभीर सवाल खड़े किये। एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ.अशोक यादव ने कहा कि मेडिकल कालेजों में इलाज की जिम्मेदारी चिकित्सा शिक्षकों की होती है। मरीज भर्ती भी उनके अधीन ही होते हैं। पीएमएस संवर्ग के विशेषज्ञ चिकित्सकों तक को मेडिकल कालेज के शिक्षक मरीज की नाड़ी तक नहीं देखने देते हैं। इलाज के लिए हाथ तक न रखने देने के बावजूद लापरवाही के लिए पीएमएस संवर्ग के चिकित्सक को कैसे निलंबित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मेडिकल कालेजों में चिकित्सा छात्र-छात्राओं के सहारे इलाज होता है और शिक्षक वार्डों में जाते तक नहीं हैं। ऐसे में पीएमएस संवर्ग के चिकित्सक पर कार्रवाई होना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि एसोसिएशन इस मामले को मुख्यमंत्री के सामने उठाएगी। पीएमएस एसोसिएशन के सचिव डॉ.सचिन वैश्य ने बताया कि पूरे प्रदेश के पीएमएस संवर्ग के चिकित्सक इस अन्याय से आहत हैं। तुरंत एसोसिएशन की आमसभा की बैठक बुलाने की मांग हो रही है। उन्होंने लापरवाही के जिम्मेदार चिकित्सा शिक्षक व मेडिकल कालेज प्रशासन पर कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि ऐसा न होने पर राज्यव्यापी आंदोलन शुरू होगा।
मानवाधिकार आयोग ने दिये जांच के आदेश
हैलट अस्पताल में पिता के कंधे पर पुत्र के दम तोडऩे के मामले को मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान में लिया है। आयोग की सदस्य आशा तिवारी ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव, कानपुर के जिलाधिकारी व मुख्य चिकित्सा अधिकारी से निष्पक्ष जांच कर 15 दिन में रिपोर्ट देने को कहा गया है।

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