Saturday 3 September 2016

खुलेगी सूबे में पिछड़ों की क्रीमी लेयर बढ़ाने की राह

-उत्तर प्रदेश में पहले ही आठ लाख रुपये है क्रीमी लेयर
-राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने की है दस लाख की संस्तुति
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ: केंद्र सरकार द्वारा पिछड़े वर्ग की क्रीमी लेयर सीमा बढ़ाने की तैयारियों के बीच सूबे में भी इसकी राह खुलने की उम्मीद जगी है। राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग पहले ही सूबे में क्रीमी लेयर की आय सीमा आठ लाख रुपये वार्षिक से बढ़ाकर दस लाख रुपये वार्षिक करने की संस्तुति कर चुका है।
अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लोगों के लिए 27 फीसद आरक्षण का लाभ पाने के लिए सकल वार्षिक आय की अधिकतम सीमा को क्रीमी लेयर के रूप में परिभाषित किया गया है। केंद्र सरकार ने आठ सितंबर 1993 को सबसे पहले एक लाख रुपये से अधिक वार्षिक आय वालों को क्रीमी लेयर का हिस्सा माना था। इसके बाद नौ मार्च 2004 को केंद्र सरकार ने ओबीसी के लिए क्रीमी लेयर की परिभाषा बदल कर अधिकतम आय सीमा में वृद्धि कर ढाई लाख रुपये तक वार्षिक आय वालों को इससे मुक्त कर दिया था। इसके बाद 15 अक्टूबर 2008 को क्रीमी लेयर के लिए आय सीमा बढ़ाकर साढ़े चार लाख रुपये कर दी गयी थी। इसके बाद 27 मई 2013 को केंद्र सरकार ने ओबीसी के लिए क्रीमी लेयर की आय सीमा साढ़े चार लाख रुपये वार्षिक से बढ़ाकर छह लाख रुपये करने का आदेश जारी किया था। तीन साल से अधिक समय से केंद्र सरकार की नौकरी व संस्थानों में ओबीसी वर्ग के लिए क्रीमी लेयर की आय सीमा छह लाख रुपये ही है।
हाल ही में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा केंद्रीय स्तर पर ओबीसी के लिए क्रीमी लेयर की सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव किया है। इसके बाद उत्तर प्रदेश में भी पिछड़ों की क्रीमी लेयर बढऩे की उम्मीद जगी है। केंद्र द्वारा मई 2013 में क्रीमी लेयर की सीमा छह लाख रुपये वार्षिक करने के बाद प्रदेश सरकार ने 29 जनवरी 2014 को राज्य के लिए ओबीसी वर्ग की क्रीमी लेयर की आय सीमा बढ़ाकर आठ लाख रुपये कर दी थी। पिछले वर्ष राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष राम आसरे विश्वकर्मा ने यह आय सीमा बढ़ाकर दस लाख रुपये करने का प्रस्ताव किया था। इस पर अब तक कोई फैसला नहीं हो सका था। अब केंद्र द्वारा आय सीमा बढ़ाने के प्रस्ताव के बाद नए सिरे से प्रदेश में क्रीमी लेयर बढऩे की उम्मीद भी बंधी है। अधिकारियों का दावा है कि केंद्र सरकार द्वारा फैसले के बाद राज्य सरकार भी इस दिशा में पहल करेगी।

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