-मुख्यमंत्री की सख्ती के बाद भी अफसर सिर्फ तीन मौतों पर अड़े
-सरकारी आंकड़ों में 1999 पहुंची डेंगू के शिकार लोगों की संख्या
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ: मुख्यमंत्री अखिलेश यादव डेंगू को लेकर सख्त हैं। प्रमुख सचिव अरुण सिन्हा बार-बार मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (सीएमओ) को चेतावनी दे रहे हैं। मुख्यमंत्री की सख्ती और प्रमुख सचिव की चेतावनी अफसरों पर कोई असर नहीं कर रही है। वे चाहे जितना कहते रहें, डॉक्टर मानने को तैयार नहीं हैं। हालात ये हैं कि डेंगू से दर्जनों लोगों की मौत हो चुकी है किन्तु अफसर सिर्फ तीन लोगों की ही डेंगू से मृत्यु होने पर अड़े हैं।
पूरे प्रदेश में डेंगू भयावह रूप से फैल रहा है। विधानसभा में इस मसले पर खासा हंगामा हो चुका है। शुक्रवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने स्वयं सभी जिलाधिकारियों को डेंगू से निपटने के निर्देश दिये थे। प्रमुख सचिव ने दस लापरवाह सीएमओ चिह्नित कर उनके खिलाफ कार्रवाई तक की बात कही। इसके बावजूद सीएमओ अपनी मनमानी अड़े हुए हैं। मोहल्ले-मोहल्ले लोग डेंगू से मर रहे हैं। एसजीपीजीआइ, केजीएमयू सहित राजकीय मेडिकल कालेजों से लोगों को डेंगू से हुई मौत के 'डेथ सर्टिफिकेटÓ मिल रहे हैं। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े सिर्फ तीन मौतों की बात कह रहे हैं। शनिवार को स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आंकड़ों में डेंगू से प्रदेश में 1999 लोगों के प्रभावित होने की बात तो कही गयी किन्तु इस घातक ज्वर से अब तक केवल तीन लोगों की मृत्यु होने का दावा भी किया गया।
डेंगू को लेकर अफसरों की संवेदनहीनता का आलम यह है कि स्वास्थ्य महानिदेशक इस मसले पर कुछ भी बोलते ही नहीं हैं। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी का कहना था कि सीएमओ पूरी मनमानी कर रहे हैं। प्रमुख सचिव सहित अन्य अफसर उनकी गल्तियां पकड़ भी रहे हैं किन्तु अब तक एक भी सीएमओ के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इस कारण वे अराजक होते जा रहे हैं और उनकी अराजकता का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। इस संबंध में प्रमुख सचिव सीएमओ को निर्देश जारी करने की बात जरूरत कहते हैं। उनका कहना है कि सभी सरकारी अस्पतालों में मरीजों का इलाज हो रहा है। इलाज में किसी भी प्रकार की कमी न हो, इसके लिए अस्पतालों में पूरी व्यवस्था चाक चौबंद रखने के निर्देश सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को दिये गए हैं।
इंसेफेलाइटिस से 287 की मौत
सूबे में डेंगू का कहर तो है ही, तमाम दावों के बावजूद इंसेफेलाइटिस भी मुसीबत बना हुआ है। अब तक इंसेफेलाइटिस 287 लोगों की मौत हो चुकी है। इसमें जापानी इंसेफेलाइटिस के 160 मरीज सामने आए, जिनमें से 25 की जान चली गयी। एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से 1723 लोग प्रभावित हुए, जिनमें से 262 की जान गयी। इनके अलावा कालाजेर के 72 व चिकुनगुनिया के 107 मरीज सामने आ चुके हैं।
(10/9/16)
-सरकारी आंकड़ों में 1999 पहुंची डेंगू के शिकार लोगों की संख्या
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ: मुख्यमंत्री अखिलेश यादव डेंगू को लेकर सख्त हैं। प्रमुख सचिव अरुण सिन्हा बार-बार मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (सीएमओ) को चेतावनी दे रहे हैं। मुख्यमंत्री की सख्ती और प्रमुख सचिव की चेतावनी अफसरों पर कोई असर नहीं कर रही है। वे चाहे जितना कहते रहें, डॉक्टर मानने को तैयार नहीं हैं। हालात ये हैं कि डेंगू से दर्जनों लोगों की मौत हो चुकी है किन्तु अफसर सिर्फ तीन लोगों की ही डेंगू से मृत्यु होने पर अड़े हैं।
पूरे प्रदेश में डेंगू भयावह रूप से फैल रहा है। विधानसभा में इस मसले पर खासा हंगामा हो चुका है। शुक्रवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने स्वयं सभी जिलाधिकारियों को डेंगू से निपटने के निर्देश दिये थे। प्रमुख सचिव ने दस लापरवाह सीएमओ चिह्नित कर उनके खिलाफ कार्रवाई तक की बात कही। इसके बावजूद सीएमओ अपनी मनमानी अड़े हुए हैं। मोहल्ले-मोहल्ले लोग डेंगू से मर रहे हैं। एसजीपीजीआइ, केजीएमयू सहित राजकीय मेडिकल कालेजों से लोगों को डेंगू से हुई मौत के 'डेथ सर्टिफिकेटÓ मिल रहे हैं। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े सिर्फ तीन मौतों की बात कह रहे हैं। शनिवार को स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आंकड़ों में डेंगू से प्रदेश में 1999 लोगों के प्रभावित होने की बात तो कही गयी किन्तु इस घातक ज्वर से अब तक केवल तीन लोगों की मृत्यु होने का दावा भी किया गया।
डेंगू को लेकर अफसरों की संवेदनहीनता का आलम यह है कि स्वास्थ्य महानिदेशक इस मसले पर कुछ भी बोलते ही नहीं हैं। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी का कहना था कि सीएमओ पूरी मनमानी कर रहे हैं। प्रमुख सचिव सहित अन्य अफसर उनकी गल्तियां पकड़ भी रहे हैं किन्तु अब तक एक भी सीएमओ के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इस कारण वे अराजक होते जा रहे हैं और उनकी अराजकता का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। इस संबंध में प्रमुख सचिव सीएमओ को निर्देश जारी करने की बात जरूरत कहते हैं। उनका कहना है कि सभी सरकारी अस्पतालों में मरीजों का इलाज हो रहा है। इलाज में किसी भी प्रकार की कमी न हो, इसके लिए अस्पतालों में पूरी व्यवस्था चाक चौबंद रखने के निर्देश सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को दिये गए हैं।
इंसेफेलाइटिस से 287 की मौत
सूबे में डेंगू का कहर तो है ही, तमाम दावों के बावजूद इंसेफेलाइटिस भी मुसीबत बना हुआ है। अब तक इंसेफेलाइटिस 287 लोगों की मौत हो चुकी है। इसमें जापानी इंसेफेलाइटिस के 160 मरीज सामने आए, जिनमें से 25 की जान चली गयी। एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से 1723 लोग प्रभावित हुए, जिनमें से 262 की जान गयी। इनके अलावा कालाजेर के 72 व चिकुनगुनिया के 107 मरीज सामने आ चुके हैं।
(10/9/16)
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