Monday 22 August 2016

डॉक्टर बनने को एक ही काउंसिलिंग से होंगे प्रवेश

- संयुक्त काउंसिलिंग से भरेंगी बीडीएस व एमबीबीएस की सात हजार सीटें
- सभी सरकारी व निजी चिकित्सा शिक्षा संस्थानों के लिए भाग लेना अनिवार्य
राज्य ब्यूरो, लखनऊ : नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंटरेंस टेस्ट (नीट) की संयुक्त काउंसिलिंग से प्रदेश में एमबीबीएस व बीडीएस की सात हजार सीटें भरेंगी। शनिवार को शासन ने निजी मेडिकल व डेंटल कालेजों और विश्वविद्यालयों के लिए भी इसी काउंसिलिंग के माध्यम से प्रवेश लेने का आदेश जारी कर दिया।
सर्वोच्च न्यायालय ने निजी मेडिकल व डेंटल कालेजों के लिए नीट के माध्यम से प्रवेश अनिवार्य करने का आदेश दिया था। प्रदेश सरकार ने राजकीय मेडिकल व डेंटल कालेजों के लिए भी नीट को अंगीकार किया था। चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक ने 16 जुलाई को सभी कालेजों में नीट की प्रादेशिक मेरिट सूची के माध्यम से संयुक्त काउंसिलिंग का हिस्सा बनाकर प्रवेश लेने का प्रस्ताव किया था। इसके बाद बीते नौ अगस्त को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी इसी आशय के निर्देश दिये हैं। इस पर चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ.अनूप चंद्र पाण्डेय ने आदेश जारी कर सभी राजकीय मेडिकल कालेजों, राजधानी लखनऊ के किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, सैफई (इटावा) के उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, निजी क्षेत्र के मेडिकल व डेंटल कालेजों, निजी व डीम्ड विश्वविद्यालयों और अल्पसंख्यक संस्थानों में नीट की संयुक्त काउंसिलिंग से ही प्रवेश लेना अनिवार्य कर दिया है। नीट की प्रादेशिक मेरिट लिस्ट से इन कालेजों व विश्वविद्यालयों के एमबीबीएस व बीडीएस पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए कंबाइंड काउंसिलिंग बोर्ड भी चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक की अध्यक्षता में गठित कर दिया गया है। काउंसिलिंग बोर्ड में प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा) व महानिदेशक द्वारा नामित एक-एक सदस्य के साथ राजकीय मेडिकल कालेजों के तीन प्राचार्य सदस्य होंगे। इनमें अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग व अनारक्षित वर्ग के एक-एक प्राचार्य शामिल होंगे। काउंसिलिंग में सरकारी कालेजों की 1544 सीटों सहित एमबीबीएस व बीडीएस की कुल सात हजार सीटें भरी जाएंगी। काउंसिलिंग से पहले यदि किसी कालेज को भारतीय चिकित्सा परिषद की मान्यता मिल जाती है, तो उन सीटों को भी काउंसिलिंग में शामिल कर लिया जाएगा। 

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