Tuesday 9 August 2016

डॉक्टरों ने किया बच्चों की सेहत से धोखा

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एनएचएम वाहन घोटाला
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-बिना देखे बच्चे फिट घोषित, एक हजार चिकित्सकों के फर्जी दौरे
-सीएमओ से रिपोर्ट तलब, 52 एसीएमओ जांच घेरे में
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डॉ.संजीव, लखनऊ : राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के वाहन घोटाले के साथ चिकित्सकीय अराजकता भी सामने आयी है। पता चला है बच्चे बिना देखे ही फिट घोषित कर दिये गए और डॉक्टरों के फर्जी दौरे भी हो गए। एक हजार से अधिक डॉक्टरों ने बच्चों की सेहत से धोखा किया है और अब स्वास्थ्य विभाग ने 52 जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है।
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) का जिम्मा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) को सौंपा गया था। हाल ही में इस योजना में जबर्दस्त गड़बड़ी के साथ बड़ा घोटाला सामने आया है। एनएचएम के स्तर पर हुई पड़ताल में 52 जिलों में वाहन घोटाले के तो सुबूत मिले ही हैं, डॉक्टरों द्वारा फर्जीवाड़ा करने के भी तथ्य सामने आये हैं। पता चला है सिर्फ फर्जी वाहन ही नहीं चलाए गए, डॉक्टर भी मनमानी करते रहे हैं। इन लोगों ने बिना देखे स्कूली बच्चों को फिट घोषित कर दिया। 'कागजों परÓ आरबीएसके टीम का हिस्सा बने डॉक्टर दरअसल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक पर नहीं जाते। वे शहरों में रहकर प्रैक्टिस करते हैं। जिलों में एक अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (एसीएमओ) के जिम्मे इस योजना का संचालन होता है। बिलों के भुगतान से लेकर अन्य जिम्मेदारियां भी एसीएमओ की ही होती हैं। इसीलिए अब 52 एसीएमओ की भूमिका भी जांच कराई जा रही है। अब तक के आकलन के अनुसार एक हजार से अधिक डॉक्टर किसी न किसी तरह बच्चों के साथ हुई इस धोखाधड़ी में शामिल हैं।
जेल भी भेजेंगे
स्वास्थ्य मिशन के निदेशक आलोक कुमार ने बताया कि जिलावार दोषी चिह्नित किये जाएंगे और उनसे वसूली से लेकर जेल तक भेजा जाएगा।
स्वास्थ्य परीक्षण 'कागजों पर'
इस योजना में प्रदेश के हर ब्लॉक में दो-दो टीमें बनाकर माह में 25 दिन स्कूलों में जाकर बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है। हर टीम में दो डॉक्टर, एक स्टाफ नर्स या एएनएम और एक फार्मासिस्ट सहित कुल चार लोग होते हैं। हर टीम के लिए अलग-अलग गाड़ी आरक्षित होती है। इसके बावजूद ये डॉक्टर ज्यादातर स्कूलों में गए ही नहीं और 'कागजों पर' ही स्वास्थ्य परीक्षण की रिपोर्ट लगा दी गयी।
बहाने भी अजब-गजब
वाहन घोटाला सामने आने के बाद जब डॉक्टरों से स्वास्थ्य परीक्षण न करने व फर्जी टीमें बनाने के संबंध में पूछा गया तो अजब-गजब बहाने सामने आए। किसी ने कहा बाढ़ में ड्यूटी लगा दी गयी थी, इसलिए नहीं जा सके, तो किसी ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में अचानक ड्यूटी की बात कही। इसी तरह कुछ चिकित्सकों ने बैठकों का बहाना बनाया। हालांकि परीक्षण करने न जाने के बाद भी वाहनों के जाने व फर्जी रिपोर्ट बनाने का जवाब किसी के पास नहीं था।

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