Monday 18 July 2016

'ठंडी' रोडवेज बस में अब कम 'ठंडी' होगी जेब


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-सीटें बढ़ाकर एसी बसों का किराया कम करने की तैयारी
-शताब्दी व जनरथ के बाद तीसरी एसी बस सेवा का प्रस्ताव
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डॉ.संजीव, लखनऊ
उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम (रोडवेज) की एयरकंडीशंड (एसी) यानी 'ठंडी' बसों में यात्रा के लिए अब यात्रियों की जेब कम 'ठंडी' होगी। रोडवेज शताब्दी व जनरथ के बाद तीसरी एसी बस सेवा शुरू करने की तैयारी में है। अधिक सीटों के साथ इस सेवा की बसों का किराया कम रखने का लक्ष्य है।
रोडवेज में इस समय दो तरह की एसी बस सेवा संचालित हो रही है। एक तो प्रीमियम क्लास शताब्दी बस सेवा है, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय स्तर की वाल्वो या स्कैनिया जैसी बसें चल रही हैं। अभी इस बस सेवा का प्रयोग लंबी दूरी के रूट्स पर होता है और रोडवेज प्रबंधन इसे खासा सफल भी मानता है। एसी सेवा में विस्तार देते हुए जनरथ बस सेवा की शुरुआत हुई थी। जनरथ सेवा का किराया शताब्दी से कम रखा गया तो इसकी लोकप्रियता भी बढ़ी। अब इसे और विस्तार देने की तैयारी है। अभी जनरथ बसों में कुल 40 सीटें 'टूबाइटू' यानी दोनों ओर दो-दो सीटों की व्यवस्था के साथ होती हैं। रोडवेज प्रबंधन ने प्रस्तावित नई बस सेवा का किराया और कम करने के लिए इसमें 25 फीसद सीटें बढ़ाने की तैयारी की है। इसमें एक ओर तीन और दूसरी ओर दो सीटों के साथ 'थ्रीबाइटू' प्रणाली के अनुरूप सीटें लगाकर कुल 50 सीटों की व्यवस्था की जाएगी। अधिकारियों का मानना है कि लगातार एसी बसों की मांग बढ़ रही है, इसलिए सीटें बढ़ाकर चल रही बसें सफल भी होंगी। इन पर प्रति यात्री खर्च कम होने से किराया भी घटेगा, जिससे अधिक यात्री लाभान्वित होंगे। रोडवेज प्रबंधन ने 45 करोड़ रुपये खर्च कर ऐसी 150 बसें बनाने को हरी झंडी दे दी है। इनकी सफलता के बाद बसों की संख्या बढ़ाई जाएगी।
15 फीसद तक कम किराया
अभी शताब्दी बस से यात्रा में 2.25 रुपये प्रति किलोमीटर और जनरथ बस सेवा में 1.23 रुपये प्रति किलोमीटर किराया पड़ता है। नई बस सेवा में जनरथ की तुलना में 25 फीसद सीटें बढ़ेंगी। ऐसे में इस सेवा में किराया 15 फीसद तक कम रहने की उम्मीद है। रोडवेज प्रबंध निदेशक आशीष गोयल ने बताया कि इन बसों का किराया निश्चित रूप से जनरथ बसों से कम होगा। लागत व अन्य खर्चों का पूरा आकलन करने के बाद किराये को अंतिम रूप दिया जाएगा।
कार्यशालाओं में प्रतिस्पर्द्धा
रोडवेज प्रबंध निदेशक ने बताया कि पहले चरण में ऐसी 150 बसें बनाने की तैयारी है। अभी रोडवेज के बेड़े में शताब्दी व जनरथ मिलाकर 280 एसी बसें हैं। यह सेवा चालू हो जाने के बाद रोडवेज के बेड़े में एसी बसों की संख्या 430 हो जाएगी। इनके निर्माण के लिए रोडवेज की कानपुर स्थित दोनों कार्यशालाओं में प्रतिस्पपर्द्धा कराई जाएगी। जिस कार्यशाला से बनी बस कम लागत में ज्यादा अच्छी बनेगी, उसे पुरस्कार भी दिया जाएगा।
पूर्वांचल पर रहेगा फोकस
इन बसों के संचालन के लिए क्षेत्रीय प्रबंधकों व सेवा प्रबंधकों से प्रस्ताव मांगे गए हैं। उनसे अपने क्षेत्रों में प्रस्तावित बसों के बारे में उपादेयता की जानकारी भी मांगी गयी है। वैसे प्रबंध निदेशक का कहना था कि इन बसों के संचालन में पूर्वांचल पर फोकस रहेगा। वहां निजी क्षेत्र की एसी बसें कम चलती हैं, इसलिए ये बसें पूर्वांचल से जुड़े जिलों में अधिक संख्या में चलायी जाएंगी। 

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