Wednesday 18 May 2016

आशा करें सबकी चिंता, उनकी चिंता को बना कोष

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-आपात स्थितियों में सहायता कोष से मदद
-सभी का बीमा भी कराएगा स्वास्थ्य विभाग
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : आशा कार्यकर्ता स्वास्थ्य विभाग में जच्चा-बच्चा की चिंता करने वाली पहली कड़ी हैं। अब स्वास्थ्य विभाग उनकी चिंता की भी पहल कर रहा है। इसलिए उनका बीमा कराने के साथ अलग सहायता कोष भी बनाया जा रहा है।
प्रदेश में डेढ़ लाख आशा कार्यकर्ताओं के पद सृजित हैं। इनमें से एक लाख तीस हजार काम कर रही हैं। शेष की भर्ती प्रक्रिया चल रही है, जिनमें से सात हजार की नियुक्ति शहरी क्षेत्रों में की जानी है। आशा कार्यकताओं के जिम्मे न सिर्फ प्रसूतावस्था व उसके बाद जच्चा-बच्चा की देखरेख की जिम्मेदारी होती है, बल्कि संभावित प्रसूताओं की काउंसिलिंग भी उन्हें ही करनी होती है। इस कारण लंबे समय से मांग उठ रही थी कि जो आशा कार्यकर्ता सबकी चिंता करती हैं, उनकी चिंता भी की जानी चाहिए। इस पर स्वास्थ्य विभाग ने सभी आशा कार्यकर्ताओं का बीमा कराने का फैसला लिया है। इस बाबत व्यापक प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) अरविंद कुमार ने बताया कि आशा कार्यकर्ता स्वास्थ्य विभाग के कामकाज की मजबूत कड़ी हैं। उनका बीमा करने के फैसले को मुख्य सचिव की हरी झंडी मिल गयी है। जल्द ही इस पर अमल किया जाएगा। आशा कार्यकर्ताओं को कामकाज के दौरान कई बार प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। अभी कोई आपात स्थिति आने पर जिला स्तर पर मदद के साथ जिलाधिकारी की संस्तुति पर शासन स्तर से मदद कराई जाती है। अब आशा कार्यकर्ताओं के लिए अलग से 'आशा सहायता कोष' बनाने की तैयारी है। इस सहायता कोष से किसी भी आपात स्थिति में आशा कार्यकर्ताओं की मदद आसान हो जाएगी। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक आलोक कुमार ने बताया कि आशा बीमा व आशा सहायता कोष के लिए चालू वित्तीय वर्ष में 1.60 करोड़ रुपये की राशि आवंटित कर दी गयी है। दोनों योजनाओं के लागू होने से उनके कामकाज की रफ्तार बढ़ेगी।
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संगिनी की भूमिका का विस्तार
परिवार कल्याण कार्यक्रमों में आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका और बढ़ाने की बात भी इस कार्ययोजना का हिस्सा है। आशा कार्यकर्ताओं की मजबूती के साथ हर 20 से 25 आशा कार्यकर्ताओं के बीच संगिनी की तैनाती तो कर दी गयी किन्तु अब उनकी भूमिका को विस्तार देने का फैसला हुआ है। अब यह सुनिश्चित किया जाएगा कि संगिनी सामान्य कार्यों के साथ अपनी टीम की आशा कार्यकर्ताओं की पूरी चिंता करें। उन्हें हर माह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की बैठक में भी जाना होगा। इसके लिए उन्हें अलग से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। संगिनी के लिए 3.34 करोड़ रुपये मंजूर भी कर दिये गए हैं।

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