Friday 8 April 2016

गलती संस्थानों की, खमियाजा भुगत रहे विद्यार्थी

-तीन लाख से अधिक को नहीं मिली छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति
-गलत परिणाम अपलोड होने से हुआ संकट, विद्यार्थी हो रहे परेशान
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : समाज कल्याण विभाग द्वारा दी जाने वाली दशमोत्तर छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति में संस्थानों की गलती का खमियाजा विद्यार्थी भुगत रहे हैं। प्रमाण पत्रों का मिलान न हो पाने से तीन लाख से अधिक छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति का भुगतान ही नहीं हो सका है।
दसवीं उत्तीर्ण करने के बाद पढ़ाई न रुकने देने के लिए छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति देने का प्रावधान है। इसके लिए आवेदन से लेकर प्रतिपूर्ति तक की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन है। बीते माह जब छात्रवृत्ति भुगतान की प्रक्रिया शुरू हुई तो एनआइसी के साफ्टवेयर ने साढ़े पांच लाख विद्यार्थियों के आवेदन निरस्त कर दिये। इनमें से तीन लाख से अधिक आवेदन सामान्य व अनुसूचित जाति वर्ग के विद्यार्थियों के थे, जिनकी छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति बांटने का जिम्मा समाज कल्याण विभाग के पास है। दरअसल विश्वविद्यालयों के परीक्षा परिणामों का ठीक से मिलान न होने के कारण यह दिक्कत आयी थी। विश्वविद्यालयों ने जो परिणाम भेजा, कहीं उसका क्रम सही नहीं था, तो कुछ में रोल नंबर तक नहीं थे। विभाग ने भी उसे सही कराने की जरूरत नहीं समझी और विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति न देने का फैसला कर लिया। अब ये विद्यार्थी समाज कल्याण विभाग के चक्कर लगा रहे हैं किन्तु उन्हें कोई सही जवाब भी नहीं मिल रहा है। विद्यार्थियों का कहना है कि उन्होंने प्रक्रिया का पालन करते हुए फॉर्म भरा, हर स्तर पर हुई स्क्रीनिंग में उनके फॉर्म को हरी झंडी मिली, फिर भी अचानक छात्रवृत्ति न मिलने से वे परेशान हैं। इस संबंध में समाज कल्याण विभाग के छात्रवृत्ति प्रभारी सिद्धार्थ मिश्र ने बताया कि विश्वविद्यालयों से सही परिणाम न आने व आंकड़ों का मिलान न होने की स्थिति में कम्प्यूटरीकृत व्यवस्था के तहत शुल्क प्रतिपूर्ति व छात्रवृत्ति रुकी है। इस बाबत पहले ही बता दिया गया था, इसलिए इसमें विभाग की कोई गलती नहीं है।
पिछड़ा वर्ग ने किया भुगतान
समाज कल्याण विभाग भले ही संस्थानों की इस गलती का खामियाजा विद्यार्थियों को भुगतने के लिए विवश कर रहा हो किन्तु पिछड़ा वर्ग विभाग की तत्परता से इस वर्ग के विद्यार्थियों का भुगतान हो गया है। पिछड़े वर्ग के 2.4 लाख विद्यार्थियों के आंकड़े व परीक्षा परिणाम भी गलत आए थे। इस पर अधिकारियों ने उनका परीक्षण कराया तो वे सही निकले और सभी को छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति का भुगतान कर दिया गया।

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