Wednesday 6 April 2016

बहुरेंगे पिछड़ा वर्ग वित्त विकास निगम के दिन


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-कार्ययोजना को वित्त व सार्वजनिक उद्यम विभागों की सहमति
-राज्य सरकार से 50 करोड़ मांगे, केंद्र से मिलेंगे 500 करोड़
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डॉ.संजीव, लखनऊ
पिछड़ा वर्ग वित्त विकास निगम के दिन जल्द बहुरने वाले हैं। पिछड़ा वर्ग विभाग ने निगम के पुनरुद्धार के लिए विस्तृत कार्ययोजना बनाई है। इस पर अमल के लिए शासन स्तर पर पहल भी शुरू कर दी गयी है।
राज्य में पिछड़ों को अपने पैरों पर खड़ा करने, उन्हें रोजगार के अवसर मुहैया कराने व उद्यमिता विकास के लिए 1989 में उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग वित्त विकास निगम की स्थापना की गयी थी। इसके अंतर्गत विभिन्न योजनाओं में ऋण देने का प्रावधान किया गया था। इसके लिए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग वित्त विकास निगम से क्रेडिट लिमिट के आधार पर धन मिलता है और फिर उसे लौटाकर ऋण वितरण की प्रक्रिया चलती रहती है। राष्ट्रीय निगम का बकाया 50 करोड़ रुपये के आसपास पहुंच जाने पर वहां से ऋण मिलना बंद हो गया और क्रेडिट लिमिट भी समाप्त कर दी गयी। इस कारण निगम का कामकाज प्रभावित हो गया है। पिछड़ा वर्ग विभाग के सचिव डॉ.हरिओम ने बताया कि अब राज्य निगम के पुनरुद्धार के लिए विस्तृत कार्ययोजना बनायी गयी है। इस कार्ययोजना को वित्त व सार्वजनिक उद्यम विभाग की सहमति प्राप्त हो गयी है। जल्द ही कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत कर इसे अमल में लाने की पहल होगी। इसके अंतर्गत प्रदेश शासन से 50 करोड़ रुपये मांगे गए हैं। उक्त 50 करोड़ रुपये राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग वित्त विकास निगम में जमा करने के बाद वहां से 500 करोड़ रुपये की क्रेडिट लिमिट हो जाएगी। इस राशि से पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए सकारात्मक दिशा में काम सुनिश्चित किया जाएगा। साथ ही ऋण वितरण के नियम सख्त किये जाएंगे, ताकि अधिकाधिक वसूली सुनिश्चित हो सके।
दो साल से काम बंद
पिछड़ा वर्ग वित्त विकास निगम का काम दो साल से बिल्कुल बंद है। निगम पिछड़े वर्ग के लोगों को ऋण देने सहित उद्यमिता विकास के कार्यक्रम चलाता था, किन्तु धनाभाव में यह बिल्कुल बंद हो गया है। वर्ष 2014-15 व 2015-16 में बिल्कुल ऋण दिया ही नहीं गया। अन्य कार्यक्रमों व योजनाओं का संचालन भी बिल्कुल नहीं हो रहा है। इस तरह निगम के कर्मचारियों का वेतन भी एक तरह से बोझ बन गया है।
दस साल से वसूली रुकी
इन स्थितियों के लिए निगम के कर्मचारियों की लापरवाही भी जिम्मेदार है। बीते दस साल से 47.5 करोड़ रुपये की वसूली ही नहीं हुई है। पांच करोड़ तो उत्तराखंड में फंसा है। अधिकारी मानते हैं कि अब यह राशि नहीं मिलेगी। प्रदेश के पिछड़े वर्ग के लोगों में फंसे 42.5 करोड़ रुपये भी नहीं मिल पा रहे हैं। पुनरुद्धार के बाद यह राशि वसूलने की मशक्कत नए सिरे से शुरू की जाएगी।
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ये हैं पांच ऋण योजनाएं
मार्जिनमनी: पारंपरिक व तकनीकी व्यवसाय, लघु व कुटीर उद्योग के लिए छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज पर लागत का 50 फीसद ऋण मिलता है।
टर्मलोन: कृषि, दस्तकारी व अन्य सामान्य व्यवसायों की स्थापना के लिए छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज पर ऋण स्वीकृत किया जाता है।
शैक्षिक: गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले विद्यार्थियों को 75 हजार रुपये प्रति वर्ष की दर से तीन लाख रुपये तक चार फीसद वार्षिक ब्याज पर ऋण मिलता है।
न्यूस्वर्णिमा: महिलाओं को 50 हजार रुपये तक की परियोजनाएं स्थापित करने के लिए चार प्रतिशत वार्षिक ब्याज पर ऋण मिलता है।
माइक्रोक्रेडिट: स्वयं सहायता समूहों को लघु व कुटीर उद्योग स्थापना के लिए 25 हजार रुपये तक ऋण पांच प्रतिशत वार्षिक ब्याज पर दिया जाता है।

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