Sunday 17 April 2016

शुरुआती इलाज में भी नहीं होगा दवाओं का टोटा


----
- पीएचसी स्तर तक दवाओं का ऑनलाइन प्रबंधन
- सी-डैक से करार, सौ करोड़ रुपये होंगे खर्च
----
डॉ.संजीव, लखनऊ : मरीजों को अब शुरुआती इलाज में भी दवाओं की कमी नहीं पडऩे दी जाएगी। स्वास्थ्य विभाग इसके लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) स्तर तक दवाओं का ऑनलाइन प्रबंधन करने जा रहा है। इस प्रक्रिया पर सौ करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसके लिए सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग (सी-डैक) से करार हो गया है।
राज्य के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों के न मिलने की समस्या तो है ही, डॉक्टर मिलने पर दवाएं उपलब्ध न होने की शिकायत भी आम है। दवाएं खरीदने व आपूर्ति की जिम्मेदारी अभी जिलों के स्तर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी को सौंपी गयी है किन्तु सामान्य मरीजों के पहले अस्पताल यानी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के स्तर तक दवाएं न मिलने की समस्या समाप्त नहीं हो रही है। यह स्थिति तब है जबकि शुरुआती इलाज की पूरी जिम्मेदारी औसतन ब्लॉक स्तर पर खुले इन स्वास्थ्य केंद्रों की है। प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) अरविंद कुमार के अनुसार पीएचसी के स्तर तक दवाओं की कमी न होने देने के लिए दवा उपलब्धता की पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन किया जा रहा है। इस बाबत दवाओं की 'सप्लाई चेन मैनेजमेंट' प्रणाली विकसित करने का जिम्मा सी-डैक को सौंपा गया है। सीडैक से समझौता भी हो चुका है। अब मरीजों की जरूरत के अनुरूप प्रारंभिक दवाओं की पूरी सूची व उसका खर्च ऑनलाइन सहेजा जाएगा। राजधानी लखनऊ में एक कंट्रोल रूम होगा और जिलों में मुख्य चिकित्सा अधिकारी के माध्यम से निगरानी होगी। जैसे ही कोई जरूरी दवा प्राथमिक या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में समाप्त होने वाली होगी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय स्थित कंट्रोल रूम को पता चल जाएगा और वहां से समय रहते संबंधित स्वास्थ्य केंद्र में दवा पहुंचा दी जाएगी। इस पूरी प्रक्रिया पर सौ करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसे शासन से मंजूरी मिल गयी है और मौजूदा वित्तीय वर्ष 2016-17 में अमल हो जाएगा।
833 दवाएं हैं सूचीबद्ध
प्रदेश में सरकारी अस्पतालों में खरीद के लिए 833 दवाएं सूचीबद्ध की गयी हैं। यह 'मास्टर ड्रग लिस्टÓ जिला अस्पतालों या विशिष्टता वाले संयुक्त चिकित्सालयों के लिए प्रभावी होती है। प्रारंभिक रूप से जरूरी दवाओं की 'इसेंशियल ड्रग लिस्टÓ में कुल 597 दवाएं शामिल की गयी हैं। मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए 364 दवाएं खरीदने का रेट कांट्रैक्ट हो चुका है और शेष की प्रक्रिया चल रही है।
निजी लैब को देंगे मान्यता
प्रमुख सचिव ने बताया कि दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने में अभी दिक्कत आती है। अभी एनएबीएल प्रमाणपत्र के साथ रैंडम परीक्षण भी कराया जाता। पर्याप्त संख्या में सरकारी लैब्स न होने के कारण समस्या होती है। अब निजी लैब को भी मान्यता देने का फैसला हुआ है। दवा आपूर्ति के समय तीन नमूने भरे जाएंगे। ये नमूने मान्यता प्राप्त निजी लैब में भेज कर उनकी जांच कराई जाएगी और गुणवत्ता युक्त होने पर ही दवा की आपूर्ति होगी।

No comments:

Post a Comment