Tuesday 8 March 2016

मशीनें खरीदीं-अस्पताल बने, इलाज वर्षों बाद भी नहीं

--करोड़ों बर्बादी की पुष्टि--
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-कैंसर इलाज को खरीदी लीनियर एक्सीलरेटर मशीन पांच साल से डंप
-ट्रामा सेंटर व अस्पताल बने खड़े, डॉक्टर-कर्मचारी नहीं किये नियुक्त
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : सेहत महकमे में मशीनें तो खरीद ली जाती हैं, भवन भी बन जाते हैं किंतु वर्षों इलाज नहीं शुरू हो पाता। रविवार को विधानसभा में पेश भारत के नियंत्रक-महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट में इस कारण करोड़ों रुपये बर्बाद होने की पुष्टि हुई है।
रिपोर्ट के मुताबिक राज्य के कैंसर पीडि़त रोगियों को आधुनिक चिकित्सकीय उपचार के लिए लीनियर एक्सीलरेटर खरीदने व स्थापित करने के लिए नवंबर 2008 में 9.7 करोड़ रुपये की मंजूरी प्रदान की गयी थी। लखनऊ के किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के अभिलेखों की जांच में स्पष्ट है कि अप्रैल 2010 तक इस मशीन की स्थापना के लिए 9.69 करोड़ रुपये का भुगतान भी कर दिया गया था। इसके बावजूद अब तक यह मशीन चालू नहीं हो सकी है। रिपोर्ट के मुताबिक यह खर्च अलाभकारी रहा और राज्य के कैंसर रोगी लाभान्वित नहीं हो सके।
राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे ट्रामा सेंटर स्थापित करने के लिए केंद्र पोषित योजना के अंतर्गत आगरा में ट्रामा केयर सेंटर बनाया गया था। इसमें भवन, उपकरण, एंबुलेंस आदि तक खरीदे जा चुके हैं। रिपोर्ट में स्पष्ट है कि अक्टूबर 2008 में 9.65 करोड़ रुपये की स्वीकृति के बाद भवन निर्माण के लिए जनवरी 2009 में 80 लाख रुपये, उपकरणों के लिए नवंबर 2010 में 5.79 करोड़ रुपये जारी किये गए। जल निगम को निर्माण सौंपा गया और राज्य सरकार ने फरवरी 2009 व मार्च 2011 में पुन: 1.28 करोड़ रुपये जल निगम को जारी किये। अगस्त में ट्रामा सेंटर का भवन बनाकर आगरा मेडिकल कालेज को हस्तांतरित भी कर दिया गया किंतु ट्रामा सेंटर आज तक चालू नहीं हो सका। 4.99 करोड़ रुपये के उपकरणों व 13.21 लाख रुपये की दो एंबुलेंसों की खरीदारी भी हो गयी। यही नहीं एक एंबुलेंस में तो 47.25 लाख के उपकरण भी लगा दिये गए किंतु ट्रामा सेंटर चालू न हो सकने के कारण उनका इस्तेमाल नहीं हो पाया। रिपोर्ट के मुताबिक प्राचार्य का तर्क था कि चिकित्सकों व अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति न हो पाने के कारण ट्रामा सेंटर चालू नहीं हो सका। आजमगढ़ में 100 बेड का अस्पताल बना खड़ा है। मार्च 2005 में इस अस्पताल को स्वीकृति प्रदान की गयी थी किंतु आज तक चालू नहीं हो सका है। रिपोर्ट के मुताबिक इस अस्पताल के निर्माण में 12.38 करोड़ रुपये खर्च कर दिये गए किंतु जनता को आजतक उसका कोई लाभ नहीं मिला। लखनऊ के डॉ.राममनोहर लोहिया संयुक्त चिकित्सालय में आवश्यक अनुमोदन प्राप्त किये बिना निर्माण कार्य प्रारंभ करने से 10.69 करोड़ रुपये बर्बाद हुए। वहीं कार्य की लागत 14.22 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई और मई 2011 में स्वीकृति के बाद भी आज तक इस 11 मंजिल के प्रस्तावित बाह्यï रोगी विभाग व वार्ड ब्लाक का उपयोग शुरू नहीं हो सका है।
नहीं बना हर्बल गार्डेन
रिपोर्ट ने लखनऊ होम्योपैथिक मेडिकल कालेज परिसर में प्रस्तावित औषधीय हर्बल गार्डेन का विकास न कर 3.55 करोड़ रुपये की बर्बादी पर चिंता जताई है। यहां जुलाई 2008 में एलडीए से 4.8 एकड़ जमीन हर्बल गार्डेन व बहुुद्देश्यीय सभागार बनाने के लिए खरीदी गयी थी। आज तक वहां हर्बल गार्डेन नहीं बना और पैसा बर्बाद हो गया।
ब्याज पर भी गंवाए करोड़ों
उत्तर प्रदेश सरकार ने मार्च 1998 में आदेश दिया था कि यदि शासकीय निगमों द्वारा शासन से अवमुक्त धनराशि बैंक खातों में जमा करने पर ब्याज अर्जित किया जाएगा तो उस ब्याज की आय शासन की आय होगी और उसे कोषागार में जमा कराया जाएगा। चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को 11 अस्पताल भवनों के निर्माण के लिए 215.23 करोड़ रुपये दिये गए। इस राशि पर अर्जित 9.08 करोड़ ब्याज को राजकोष में जमा कराने में स्वास्थ्य विभाग विफल रहा। 

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