Saturday 26 March 2016

आयुर्वेद प्रयोगशाला ही नहीं, कैसे हो जांच


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-दो साल से धूल फांक रहीं सुधार की संस्तुतियां
-एकमात्र प्रयोगशाला में विश्लेषक तक तैनात नहीं
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : प्रदेश में आयुर्वेद औषधि विक्रेताओं को अराजकता की पूरी छूट मिल रही है। आयुर्वेद महकमा औषधियों की जांच में प्रभावी भूमिका नहीं निभा पा रहा है। एक भी प्रयोगशाला न होने से नमूनों की जांच तक नहीं हो रही है।
एलोपैथिक दवाओं के उत्पादन से लेकर बिक्री तक के लिए खाद्य एवं औषधि प्रसाधन विभाग एक स्वतंत्र इकाई के रूप में कार्य करता है। शासन स्तर पर इस विभाग के लिए अलग से प्रमुख सचिव तैनात हैं। आयुर्वेद दवाओं के उत्पादन से बिक्री तक पर नजर रखने का जिम्मा आयुर्वेद निदेशालय के पास है। आयुर्वेद निदेशक के पास आयुर्वेद औषधि नियंत्रक का कार्यभार है और जिलों के आयुर्वेद अधिकार औषधि निरीक्षक की भूमिका में होते हैं। ऐसे में आयुर्वेद विभाग के अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे आयुर्वेद औषधि विक्रेताओं व उत्पादकों के परिसरों का नियमित निरीक्षण करें। वहां नमूने भरें और गड़बड़ी पाए जाने पर परीक्षण भी कराएं।
आयुर्वेद विभाग के अधिकारी भी मानते हैं कि ऐसा नहीं हो पा रहा है। यह स्थिति तब है, जबकि पिछले दो वर्षों में भारी संख्या में हर शहर में आयुर्वेद उत्पादों की दुकानें खुली हैं। हाल ही में पतंजलि के एक उत्पाद में अक्टूबर की उत्पादन तिथि पड़ी होने के बावजूद वह उत्पाद मार्च में बिकता मिला था। जिलाधिकारी द्वारा शिकायत किये जाने के बाद भी उक्त उत्पाद का परीक्षण तक प्रदेश में नहीं हो सका। अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश में प्रभावी सरकारी प्रयोगशाला ही नहीं है, जांच कैसे करायी जाए। एक मात्र आयुर्वेद प्रयोगशाला राजधानी लखनऊ के राजाजीपुरम् स्थित राजकीय आयुर्वेदिक औषधि निर्माणशाला परिसर में है किन्तु वह कई वर्षों से बंद है। दो वर्ष पूर्व डॉ.अशोक श्रीवास्तव, डॉ.कमल सचदेवा व डॉ.एसके वर्मा की एक समिति बनाकर शासन स्तर से इस प्रयोगशाला को पुनर्जीवित करने के लिए जांच-पड़ताल कराई गयी थी। इस समिति ने वहां गड़बडिय़ां सुधारने के साथ तत्काल एक विश्लेषण नियुक्त करने की संस्तुति की थी। उस समय भी प्रयोगशाला बिना किसी विश्लेषक (एनालिस्ट) के थी और आज तक वहां नियुक्ति नहीं हुई है। ऐसे में वहां नमूने भेजे ही नहीं जाते हैं और आयुर्वेदिक उत्पादों के निर्माता व विक्रेता मनमाने ढंग से काम करते रहते हैं।

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