Tuesday 8 March 2016

फैशन स्टेटमेंट से जुड़ेगी डिजाइनर खादी

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-खादी में शोध, डिजाइन, प्रचार व मानकीकरण पर जोर
-एनआइएफटी से उत्पादकों को प्रशिक्षण दिलाने की तैयारी
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : खादी एवं ग्र्रामोद्योग विभाग एनआइएफटी की मदद से प्रदेश में बन रहे खादी उत्पादों को फैशनल स्टेटमेंट से जोड़कर डिजाइनर रूप देने की पहल कर रहा है। इसके लिए कार्ययोजना को मंजूरी के साथ शुरुआती बजट का प्रावधान भी कर दिया गया है।
अभी तक तमाम कोशिशों के बावजूद सरकारी क्षेत्र में खादी प्रभावी भूमिका में नहीं आ पा रही है। इसके विपरीत खादी वस्त्रों के निर्माण व विपणन से जुड़ी निजी व सामाजिक क्षेत्र की संस्थाएं प्रभावी काम कर रही हैं। कुछ कंपनियां तो हाई-एंड प्रोडक्ट्स के साथ देश-दुनिया में खादी के साथ ही छा गयी हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश के खादी उत्पादकों को बड़ा बाजार देने और खादी वस्त्रों को लोकप्रिय बनाने के लिए राज्य सरकार ने विशेष योजना को हरी झंडी दी है।
प्रमुख सचिव मोनिका एस. गर्ग ने बताया कि इस योजना में खाद के शोध और डिजाइन पर विशेष जोर देने का फैसला किया गया है। इसके लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (एनआइएफटी) की मदद ली जाएगी। एनआइएफटी के छात्र-छात्राओं व शिक्षक-शिक्षिकाओं को इस अभियान से जोड़ा जाएगा। प्रदेश को खादी उत्पादकों की दृष्टि से क्लस्टर्स में बांटकर एनआइएफटी फैकल्टी को विद्यार्थियों की एक टीम के साथ उस क्लस्टर का जिम्मा सौंपा जाएगा। एनआइएफटी की यह टीम खादी उत्पादकों को प्रशिक्षण देकर जरूरत के अनुरूप डिजाइनर खादी का उत्पादन सुनिश्चित कराएगी, ताकि वह आधुनिक फैशन स्टेटमेंट से कदमताल कर सके। इस बाबत विस्तृत कार्ययोजना बनाने की जिम्मेदारी एनआइएफटी, रायबरेली के निदेशक को सौंपी गयी है।
इस योजना में खादी के मानकीकरण व प्रचार प्रसार पर भी जोर देने का फैसला हुआ है। इसमें पूरा फोकस खादी को महज छूट व प्रदर्शनी तक सीमित रखने के बजाय आम उपभोक्ताओं से सीधे जोडऩे पर है। अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप खादी निर्माण के साथ उसकी मार्केटिंग पर भी ध्यान दिया जाएगा। इसके लिए भारतीय प्रबंध संस्थान (आइआइएम) की मदद लेने का फैसला हुआ है। खादी शो-रूम किसी भी दिग्गज खादी चेन का मुकाबला कर सकें, इसके लिए उन्हें भी डिजाइनर स्वरूप दिया जाएगा। जरूरत महसूस किये जाने पर मॉल्स में भी प्रदेश के खादी उत्पादकों के शो-रूम नजर आ सकते हैं। शासन ने इस बाबत विभाग से विस्तृत प्रस्ताव बनाने को कहा है। इसमें प्रारंभिक रूप से पैसे की कमी न पडऩे देने के लिए 40 लाख रुपये का प्रावधान वित्तीय वर्ष 2016-17 के बजट में अलग से इस योजना के लिए कर दिया गया है। 

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