Tuesday 22 March 2016

पिछड़ों को आरक्षण पर विश्वविद्यालयों से पड़ताल


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-लागू होने के 22 साल बाद भी पूरी तरह लागू न होने की शिकायत
-राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने मांगी कुलसचिवों से विस्तृत रिपोर्ट
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : उच्च शिक्षा में पिछड़ों को आरक्षण की घोषणा के दो दशक बाद भी इसका पूरा लाभ न मिल पाने की शिकायत पिछड़ा वर्ग आयोग से की गयी है। इस पर आयोग ने सभी विश्वविद्यालयों से शैक्षिक सत्र 2015-16 में आरक्षण के अनुुपालन पर पूरी रिपोर्ट मांगी है।
उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षा संस्थानों में अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्र-छात्राओं को 27 फीसद आरक्षण देने का प्रावधान है। राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के पास पहुंची तमाम शिकायतों में कहा गया है कि यह प्रावधान लागू होने के 22 साल बाद भी इस पर पूरी तरह अमल नहीं हुआ है। इस पर राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों को पत्र लिखकर जवाब-तलब किया है। उनसे पूछा गया है कि सभी विश्वविद्यालयों, राजकीय महाविद्यालयों, सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों व अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों में अन्य पिछड़े वर्गों के लिए निर्धारित 27 फीसद आरक्षण के अंतर्गत कितने प्रवेश दिये गए हैं? एक माह के भीतर पूरा ब्योरा देने के निर्देश के साथ उच्च शिक्षा, प्राविधिक शिक्षा व चिकित्सा शिक्षा विभागों के प्रमुख सचिवों से इस संबंध में अलग से निर्देश जारी करने को भी कहा गया है।
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गड़बड़ी में आगे हैं निजी कालेज
शिकायत के मुताबिक निजी इंजीनियरिंग व मेडिकल कॉलेज गड़बड़ी में सबसे आगे हैं। ये कॉलेज प्रबंधन कोटे के नाम पर मनमाने ढंग से प्रवेश लेते हैं। प्रदेश के निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में पहले तो प्रबंधन कोटा का नाम पर मनमाने ढंग से प्रवेश की छूट है, फिर राज्य इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में सीटें न भरने के बाद मुक्त सीटों के नाम पर आरक्षण का पालन नहीं होता। निजी मेडिकल कॉलेज तो पूरी तरह से अराजक हैं। किसी भी निजी मेडिकल कॉलेज में स्नातक या परास्नातक स्तर पर पिछड़ों को 27 फीसद आरक्षण नहीं मिल रहा है। पिछड़ा वर्ग आयोग ने डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय से सभी निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में आरक्षण नियमों के अनुपालन का पूरा ब्योरा मांगा है। साथ ही चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय से निजी मेडिकल कालेजों में आरक्षण नियमों के अनुपालन पर रिपोर्ट तलब की है।
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'अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्र-छात्राओं के शैक्षिक उन्नयन के लिए 1994 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने प्रदेश के उच्च शिक्षा संस्थानों में आरक्षण लागू किया था। 22 साल बाद भी उस पर पूरी तरह अमल नहीं हो रहा है। इसीलिए प्रदेश के 25 विश्वविद्यालयों व चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय से रिपोर्ट तलब की है। गड़बड़ी पर संबंधित विश्वविद्यालयों के खिलाफ कार्रवाई होगी।'
-राम आसरे विश्वकर्मा, अध्यक्ष, राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग

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