Saturday 19 March 2016

यूपीपीजीएमईई से दूर होंगे निजी मेडिकल कालेज!


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-चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय ने शासन को भेजा प्रस्ताव
-निजी कालेजों से पढ़े विद्यार्थियों को न मिले सरकारी में मौका
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डॉ.संजीव, लखनऊ
प्रदेश के सरकारी मेडिकल कालेजों की परास्नातक कक्षाओं में प्रवेश के लिए होने वाली परीक्षा यूपीपीजीएमईई से निजी मेडिकल कालेजों को दूर करने की तैयारी है। चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय ने शासन को इस बाबत प्रस्ताव भेजा है।
प्रदेश के सरकारी मेडिकल कालेजों के एमडी, एमएस या परास्नातक डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए कुल 751 व एमडीएस की 27 सीटें हैं। इनमें से आधी सीटें अखिल भारतीय कोटे से भरी जाती हैं और आधी सीटें उत्तर प्रदेश से एमबीबीएस करने वालों के लिए बचती हैं। इनमें भी बीते दो वर्षों से 30 फीसद आरक्षण पीएमएस संवर्ग के अभ्यर्थियों के लिए कर दिया गया है। चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय ने शासन को भेजी अपनी संस्तुति में प्रदेश के अभ्यर्थियों के लिए बहुत कम सीटें बचने का मुद्दा उठाते हुए निजी कालेजों से एमबीबीएस या बीडीएस करने वालों को पीजीएमईई में बैठने की अनुमति न देने की बात कही है।
इस बाबत चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक डॉ.वीएन त्रिपाठी द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है कि जब निजी कालेजों को पीजीएमईई के माध्यम से प्रवेश का फैसला हुआ था तब कालेज भी कम थे और उनके यहां परास्नातक पाठ्यक्रम भी नहीं थे। इस समय निजी क्षेत्र में एमबीबीएस की 2300 व बीडीएस की 2300 सीटें हैं। इसी तरह परास्नातक स्तर पर एमडी, एमएस व डिप्लोमा की 509 व एमडीएस की 611 सीटें हैं। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा गया है कि निजी मेडिकल व डेंटल कालेजों की एक भी सीट पीजीएमईई का हिस्सा नहीं है, इसलिए उनके विद्यार्थियों को इस परीक्षा में नहीं बैठने देना चाहिए।
इस संबंध में प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा) डॉ.अनूपचंद्र पाण्डेय ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के आलोक में निदेशालय की संस्तुतियों के अनुरूप शासन स्तर पर विचार विमर्श किया जाएगा।
वे तो नहीं देते प्रवेश
इस समय प्रदेश में निजी क्षेत्र में 21 मेडिकल व 23 डेंटल कालेज संचालित हो रहे हैं। इनमें 11 मेडिकल व 21 डेंटल कालेजों में परास्नातक पाठ्यक्रम संचालित हैं। निजी मेडिकल व डेंटल कालेजों में स्नातक या परास्नातक कक्षाओं में यूपीसीपीएमटी या यूपीपीजीएमईई के माध्यम से प्रवेश नहीं मिलता है। शासन ने 2006 में अधिसूचना जारी कर निजी मेडिकल व डेंटल कालेजों में स्टेट कोटा का निर्धारण किया गया था, पर प्रदेश के निजी मेडिकल कालेजों ने न्यायालय से स्थगनादेश प्राप्त कर लिया और सभी सीटें वे स्वयं भरते हैं।
विधानसभा में उठा था मुद्दा
विधानसभा के बजट सत्र में भाजपा विधायक डॉ.राधामोहन दास अग्र्रवाल ने कहा था कि बाहर से आकर डोनेशन देकर निजी मेडिकल कालेजों के छात्र-छात्राएं तो यूपीपीजीएमईई में बैठ सकते हैं किन्तु प्रदेश में जन्मे और राष्ट्रीय परीक्षाओं में अच्छी रैंक लेकर देश के प्रतिष्ठित मेडिकल कालेजों में प्रवेश लेकर एमबीबीएस करने वाले इसमें नहीं बैठ सकते। यही नहीं बीएचयू व एएमयू से संबद्ध मेडिकल कालेजों के छात्र-छात्राएं भी इसमें नहीं बैठ सकते। मांग हुई थी कि प्रदेश के मूल निवासी छात्र-छात्राओं को यूपीपीजीएमईई में छूट मिलनी चाहिए।

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