Saturday 12 March 2016

हाथीपांव मिटाने वालों ने जमाए हाथी जैसे पांव


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-पड़ताल में 17 जिलों में अभियान से खिलवाड़ उजागर
-फाइलेरिया खात्मे का मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन हुआ विफल
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डॉ.संजीव, लखनऊ :
हाथीपांव (फाइलेरिया) मिटाने का जिम्मा संभालने वालों ने हाथी जैसे पांव जमाकर क्षेत्र में जाने की जरूरत ही नहीं समझी और मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन को विफल कर दिया। प्रदेश के 17 जिलों में इस अभियान से खिलवाड़ की पुष्टि हुई है।
51 फाइलेरिया प्रभावित जिलों में वर्ष 2004 से मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) अभियान शुरू हुआ था। दो वर्ष से अधिक आयु के कम से कम 65 फीसद ब'चों को दवा खिलानी थी। पांच साल तक लगातार अभियान के बाद इनमें माइक्रोफाइलेरिया की दर एक फीसद से कम रह जाती है। 51 में से 33 जिले तो फाइलेरिया मुक्त हो गए और बरेली ने फाइलेरिया मुक्त न होने की बात स्वीकार कर ली। शेष 17 जिलों की पड़ताल शुरू हुई तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। यहां दवाएं जनता तक पहुंची ही नहीं। साल में एक बार घर-घर जाकर दवाएं खिलाने के अभियान को इस तरह ठेंगा दिखाए जाने से पूरे वेक्टरजनित रोग विभाग में हड़कंप मच गया है। नए सिरे से जांच कराने की मशक्कत हो रही है। आठ जिलों में यह अभियान शुरू भी कर दिया गया है।
नाइट सर्वे हुआ ही नहीं
पड़ताल में पता चला कि इन 17 जिलों के अधिकांश इलाकों में नाइट सर्वे हुआ ही नहीं। नियमानुसार हर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के स्तर पर रात के समय कम से कम 500 लोगों के रक्त के नमूने लेकर स्लाइड्स बनानी चाहिए। कर्मचारियों ने ये स्लाइड्स तक फर्जी बना दीं।
स्कूलों में आ रही दिक्कत
पांच साल पहले दो साल से कम आयु के जो बच्चे रह गए थे, वे अब सात साल के हो गए हैं। ऐसे बच्चों का रक्त परीक्षण करने के निर्देश दिये गए हैं। कक्षा एक व दो में पढऩे वाले बच्चों के रक्त का नमूना लेने के लिए अभिभावकों की मंजूरी जरूरी है। तमाम स्थानों पर अभिभावक अनुमति नहीं देते, इससे दिक्कत आ रही है।
बरेली ने दिखाई ईमानदारी
पड़ताल में सिर्फ बरेली ने ईमानदारी से स्वीकार किया कि वहां एमडीए प्रभावी नहीं हुआ है। इस पर वहां दुबारा पूरा अभियान चलाने का फैसला हुआ है। इस पर 42 लाख रुपये खर्च का आकलन किया गया है, जिसमें से 15 लाख उपलब्ध भी करा दिये गए हैं। वहां एमडीए के साथ नाइट सर्वे पर भी फोकस किया जाएगा। अन्य 17 जिलों कौशांबी, बस्ती, बहराइच, रामपुर, जालौन, चित्रकूट, महोबा, इटावा, औरैया, गाजीपुर, बलिया, चंदौली, इलाहाबाद, सिद्धार्थनगर, कुशीनगर, अंबेडकरनगर, महाराजगंज में अराजकता की पुष्टि हुई।
जांच, जिम्मेदार होंगे चिह्नित
वेक्टर बोर्न डिसीज विभाग के अपर निदेशक डॉ.के. राम ने स्वीकार किया कि गड़बड़ी हुई है। मरीजों तक दवाएं नहीं पहुंचीं, जिससे दिक्कत हुई है। अब मामले की जांच कराई जा रही है। जिम्मेदारों को भी चिह्नित किया जाएगा। स्वास्थ्य महानिदेशक से चर्चा कर कार्रवाई पर फैसला होगा। 

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