Friday 12 February 2016

आयुर्वेद विभाग में पकड़ा फर्जी नियुक्ति का नेटवर्क


-वार्ड ब्वाय को ज्वाइन करा तीन माह का वेतन भी दिया
-जालौन का क्षेत्रीय आयुर्वेदिक अधिकारी निलंबित
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डॉ.संजीव, लखनऊ
आयुर्वेद विभाग में फर्जी नियुक्ति का एक बड़ा नेटवर्क पकड़ा गया है। बीते दिनों सात लोगों का फर्जी नियुक्ति आदेश आने के बाद हुई पड़ताल में इसका राजफाश हुआ। पता चला कि एक वार्ड ब्वाय को तो ज्वाइन कराकर तीन माह का वेतन भी दे दिया गया। मामले में जालौन के क्षेत्रीय आयुर्वेदिक अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है।
चार फरवरी को आयुर्वेद विभाग में सात फर्जी नियुक्तियों का एक मामला सामने आया था। इसकी जांच संयुक्त निदेशक जेएस मिश्रा को सौंपी गयी थी। इस दौरान सभी क्षेत्रीय आयुर्वेदिक व यूनानी अधिकारियों को पत्र लिखकर हाल ही में ज्वाइन करने वाले लोगों का ब्योरा मांगा गया। जिसमें पता चला कि निदेशालय से लेकर जिलों तक फर्जी नियुक्ति का नेटवर्क चल रहा है। उरई में तो कानपुर के कर्नलगंज निवासी अनूप कुमार सोनकर को बाकायदा वार्ड ब्वाय के रूप में ज्वाइन करा लिया गया। उसके लिए पांच नवंबर को फर्जी नियुक्ति आदेश जारी हुआ और नौ नवंबर को ही उसे कार्यभार ग्रहण करा दिया गया। ऐसे ही कुछ और मामले भी सामने आए, जिनकी पड़ताल जारी है।
यह मामला पता चलने पर जालौन के क्षेत्रीय आयुर्वेदिक अधिकारी डॉ.डीके जैन ने आठ फरवरी को आयुर्वेद निदेशक को पत्र लिखकर दावा किया किनौ दिसंबर को उन्होंने अनूप सोनकर के नियुक्ति आदेश के सत्यापन के लिए निदेशालय को पत्र भेजा था किन्तु अब तक उसका सत्यापन नहीं हुआ है। साथ ही उन्होंने नियुक्ति आदेश भी भेजा। यहां जांच हुई तो उक्त नियुक्ति आदेश तो फर्जी निकला ही, सत्यापन के लिए कोई पत्र भी नहीं आने की बात सामने आयी। इस पर भी सवाल उठे कि नौ नवंबर को ज्वाइन कराने के एक माह बाद उन्होंने सत्यापन क्यों कराया? इस बीच तीन माह का वेतन भी निकाल दिया गया। आयुर्वेद निदेशक ने मामले में क्षेत्रीय आयुर्वेदिक अधिकारी व उक्त कर्मचारी के खिलाफ मुकदमा कायम कराने के आदेश दिये और आयुर्वेदिक अधिकारी के निलंबन की संस्तुति की। प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा) डॉ.अनूप चंद्र पाण्डेय ने बताया कि डॉ. जैन को निलंबित कर दिया गया है।
बैकलॉग तो 12 साल से बंद
फर्जी नियुक्ति आदेशों में बैकलॉग नियुक्ति को आधार बनाया गया है। अधिकारियों के मुताबिक 29 अगस्त 2003 के बाद से बैकलॉग नियुक्तियां बंद हैं। इसके अलावा सभी आदेश आयुर्वेद निदेशक प्रो.सुरेश चंद्र के हस्ताक्षरों से जारी हुए हैं। इनमें निदेशालय में प्रयोग होने वाले पत्रांकों का हवाला भी दिया गया है। ऐसे में जांच के दायरे में निदेशालय को लाने की मांग भी उठ रही है।
कानपुर-फतेहपुर से जुड़े तार
फर्जी नियुक्तियों के मामले के तार कानपुर-फतेहपुर से जुड़े होने की पुष्टि हुई है। गुरुवार को जिस वार्ड ब्वाय को ज्वाइन कराया गया, वह कानपुर का रहने वाला है। इससे पहले जारी सात लोगों के नियुक्ति आदेश में तीन फतेहपुर, तीन कानपुर व एक उन्नाव के थे। फतेहपुर का एक डॉक्टर इस नेटवर्क के संचालन की कमान संभाले है और उसने बुंदेलखंड व कानपुर में अपने एजेंट तैनात कर रखे हैं।

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