Wednesday 17 February 2016

गलती संस्थाओं की, सजा भुगत रहे हजारों छात्र


--दशमोत्तर छात्रवृत्ति में गड़बड़ी--
-एक से दस रुपये तक भरा गया नॉन रिफंडेबल शुल्क
-पिछड़ा वर्ग विभाग ने संस्थाओं से पुन: परीक्षण को कहा
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डॉ.संजीव, लखनऊ
तमाम तकनीकी उन्नयन व दावों के बावजूद शैक्षिक संस्थाओं की लापरवाही दशमोत्तर छात्रवृत्ति की आस लगाए हजारों छात्र-छात्राओं पर भारी पड़ रही है। आवेदन करते समय इन छात्र-छात्राओं ने नॉन रिफंडेबल शुल्क एक से दस रुपये तक भरा है। जांच में मामला पकड़े जाने पर पिछड़ा वर्ग विभाग ने संस्थाओं से ऐसे सभी मामलों का पुन: परीक्षण करने को कहा है। साथ ही शासन से छात्र-हित में फैसला लेने की संस्तुति भी की है।
फरवरी में दशमोत्तर छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति के भुगतान की प्रक्रिया शुरू हुई है। पिछड़ा वर्ग विभाग लगभग ढाई लाख आवेदनों के औचक परीक्षण में निदेशक पुष्पा सिंह ने पाया कि आठ हजार से अधिक छात्र-छात्राओं ने ऑनलाइन फार्म के कॉलम 25 में वार्षिक अनिवार्य नॉन रिफंडेबल शुल्क के रूप में 0, 1, 2, 3 से 10 रुपये तक की राशि भरी है। साथ ही वास्तविक धनराशि के कालम में अधिक राशि भरी है। सभी आवेदन छात्र-छात्राओं के बाद कालेज के स्तर पर, फिर जिला समिति के स्तर पर जांचे गए किन्तु किसी ने इस गलती को नहीं पकड़ा। इस कारण इन छात्र-छात्राओं के खाते में शून्य से दस रुपये तक की राशि ही छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति के रूप में जाएगी। निदेशक के मुताबिक ढाई लाख आवेदनों में यह संख्या आठ हजार से अधिक है, तो कुल मिलाकर संख्या काफी अधिक होने की उम्मीद है। वे सभी आवेदनों की जांच करा रही हैं, ताकि सही संख्या सामने आ सके।
इस बीच छात्रों का नुकसान होने से बचाने के लिए उन्होंने शासन को पत्र लिखकर यह समस्या उठाई है। पत्र में लिखा गया है कि एनआइसी की पेमेंट शीट में छात्र-छात्राओं द्वारा नॉनरिफंडेबल अनिवार्य शुल्क कॉलम में भरी गयी धनराशि ही प्रदर्शित की गयी है। उपरोक्त अत्यंत न्यून धनराशि हस्तांतरित करना न्यायसंगत प्रतीत नहीं हो रहा है। संस्तुति की गयी है कि ऐसे मामलों में संबंधित शिक्षण संस्थान के पाठ्यक्रम हेतु मास्टर डाटाबेस में भरी गयी फीस की धनराशि को संबंधित छात्रों के खाते में भुगतान का आदेश किया जाए। इसके साथ ही सभी संस्थानों को पत्र लिखकर त्रुटियों का निराकरण अनिवार्य रूप से सुनिश्चित करने को कहा है।
पांच लाख विद्यार्थी अधर में
दशमोत्तर छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति में पांच लाख से अधिक विद्यार्थियों के आवेदन अधर में लटके हैं। ये सभी आवेदन संदिग्ध के रूप में चिह्नित किये गए हैं। प्रमुख सचिव (समाज कल्याण) सुनील कुमार ने ऐसे सभी मामलों में 20 फरवरी तक हर हाल में फैसला लेने के निर्देश दिये हैं। ऐसा न होने पर इन अफसरों की सत्यनिष्ठा संदिग्ध मानकर इसकी प्रविष्टि चरित्र पंजिका में कर दी जाएगी। 

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