Wednesday 9 December 2015

सौर ऊर्जा से चमकेंगे इंजीनियरिंग कालेज


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-आ रहा डेढ़ से दो लाख रुपये महीने बिजली बिल
-नेडा से लेंगे मदद, सवा से डेढ़ करोड़ आएगा खर्च
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : प्रदेश के सरकारी इंजीनियरिंग कालेजों को ऊर्जा जरूरतों के अनुरूप आत्मनिर्भर करने की तैयारी है। सभी इंजीनियरिंग कालेजों को सौर ऊर्जा से चमकाने के सरकार ने निर्देश दिये हैं।
उत्तर प्रदेश में इस समय 14 राजकीय प्राविधिक शिक्षण संस्थान हैं। इन संस्थानों में बिजली का औसत बिल डेढ़ से दो लाख रुपये महीने आता है। इनमें एचबीटीआइ कानपुर, यूपीटीटीआइ कानपुर, आइईटी लखनऊ, आर्किटेक्चर कालेज लखनऊ, केएनआइटी सुलतानपुर व बीआइईटी झांसी पुराने इंजीनियरिंग कालेज हैं। गोरखपुर के राजकीय इंजीनियरिंग कालेज को विश्वविद्यालय का रूप मिल चुका है। वैसे पुराने कालेजों को अपनी पढ़ाई के अलावा आजमगढ़, बांदा, बिजनौर, अंबेडकरनगर, मैनपुरी, कन्नौज व सोनभद्र की चिंता भी करनी पड़ती है। इन कालेजों का बिजली का बिल लगातार अधिक आने और कई बार भुगतान तक लंबित हो जाने से हो रही दिक्कतें शासन के समक्ष आयीं तो इन्हें सौर ऊर्जा से चमकाने का प्रस्ताव किया गया है। तय हुआ है कि सभी पुराने इंजीनियरिंग कालेजों का आकलन कर वहां सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए जाएं। इसके लिए नेडा के साथ मिलकर आने वाले खर्च का आकलन कर लिया जाए। सभी संस्थानों के निदेशकों को इस काम में तत्परता बरतने को कहा गया है।
नए खुले आजमगढ़, मैनपुरी, कन्नौैज व सोनभद्र के कालेज तो अब भी अपने परिसर में नहीं पहुंचे हैं। आजमगढ़ का संचालन गोरखपुर, मैनपुरी व कन्नौज का कानपुर और सोनभद्र का संचालन सुलतानपुर में हो रहा है। इन्हें अगले शैक्षिक सत्र तक अपने परिसर में पहुंचाने का निर्देश देने के साथ ही नए परिसरों में शुरुआत के साथ ही सौर ऊर्जा के बंदोबस्त करने को कहा गया है। प्राविधिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) फरीद महफूज किदवई ने बताया कि कई इंजीनियरिंग कालेजों का बिजली का बिल काफी अधिक आ रहा है। इससे निपटने के लिए इंजीनियरिंग कालेजों में सौर ऊर्जा उपकरण लगाने को कहा गया है। एक सामान्य इंजीनियरिंग कालेज में जरूरत भर के सौर ऊर्जा उपकरण लगाने में सवा से डेढ़ करोड़ रुपये के आसपास खर्च आएगा। इसे अगले वित्तीय वर्ष 2015-16 के आधारभूत ढांचागत विकास के खर्च में शामिल कर लिया जाएगा।

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