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- लिफ्ट में मुख्यमंत्री के फंसने के बाद लिया गया फैसला
- विधान भवन में लिफ्ट लगाने वाली कंपनी काली सूची में
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : सरकारी भवनों में अब कांच के दरवाजे वाली लिफ्ट लगाई जाएंगी। पिछले दिनों विधान भवन में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के लिफ्ट में फंसने की घटना के बाद यह फैसला लिया गया है। साथ ही विधान भवन की इस लिफ्ट को लगाने वाली कंपनी को काली सूची में डाल दिया गया है।
बीते दिनों मुख्यमंत्री अखिलेश यादव विधान भवन में पत्नी व सांसद डिंपल यादव के साथ फंस गए थे। इसके बाद पूरी लिफ्ट संचालन व्यवस्था की नये सिरे से समीक्षा की गयी है। उक्त लिफ्ट लगाने वाली कंपनी थीसन कुरुप को प्रदेश सरकार ने काली सूची में डाल दिया है। साथ ही अन्य लिफ्ट की नियमित जांच में अतिरिक्त सख्ती बरतने के निर्देश दिये गए हैं। तय हुआ है कि अब सरकारी भवनों में लगने वाली लिफ्ट के दरवाजे लोहे के नहीं होंगे। अब सिर्फ कांच के पारदर्शी दरवाजे वाली लिफ्ट ही लगाई जाएंगी। इस बदलाव से प्रति लिफ्ट औसतन तीन लाख रुपये खर्च आएगा, किन्तु लिफ्ट में फंसने की स्थिति में मनोवैज्ञानिक प्रभाव सकारात्मक रहेगा। नयी तकनीक वाली लिफ्ट बीच में नहीं बंद होती हैं। कोई खराबी आने पर वे निकटतम फ्लोर पर ही रुकती हैं। ऐसे में दरवाजा न खुलने की स्थिति में लिफ्ट के भीतर मौजूद लोगों को शीशे से बाहर दिखाई पड़ता रहता है और उनका मनोबल नहीं गिरता है। वे घबराहट से भी बचते हैं।
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नहीं लगेंगे टिंटेड ग्लास
लिफ्ट के अलावा भवनों की सुरक्षा में भी अब अधिक चौकसी बरती जाएगी। सरकारी क्षेत्र की सबसे बड़ी निर्माण एजेंसी उत्तर प्रदेश निर्माण निगम ने तय किया है कि अब किसी भी सरकारी भवन में अपारदर्शी शीशे नहीं लगाए जाएंगे। ऐसे टिंटेड ग्लास लगाए जाने के कारण कई बार उड़ते पक्षियों को अपनी परछायी दिखती है और वे शीशे पर चोंच मारते हैं। तय हुआ है कि अब सरकारी भवनों में सिर्फ पारदर्शी शीशे ही लगाये जाएंगे।
- लिफ्ट में मुख्यमंत्री के फंसने के बाद लिया गया फैसला
- विधान भवन में लिफ्ट लगाने वाली कंपनी काली सूची में
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : सरकारी भवनों में अब कांच के दरवाजे वाली लिफ्ट लगाई जाएंगी। पिछले दिनों विधान भवन में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के लिफ्ट में फंसने की घटना के बाद यह फैसला लिया गया है। साथ ही विधान भवन की इस लिफ्ट को लगाने वाली कंपनी को काली सूची में डाल दिया गया है।
बीते दिनों मुख्यमंत्री अखिलेश यादव विधान भवन में पत्नी व सांसद डिंपल यादव के साथ फंस गए थे। इसके बाद पूरी लिफ्ट संचालन व्यवस्था की नये सिरे से समीक्षा की गयी है। उक्त लिफ्ट लगाने वाली कंपनी थीसन कुरुप को प्रदेश सरकार ने काली सूची में डाल दिया है। साथ ही अन्य लिफ्ट की नियमित जांच में अतिरिक्त सख्ती बरतने के निर्देश दिये गए हैं। तय हुआ है कि अब सरकारी भवनों में लगने वाली लिफ्ट के दरवाजे लोहे के नहीं होंगे। अब सिर्फ कांच के पारदर्शी दरवाजे वाली लिफ्ट ही लगाई जाएंगी। इस बदलाव से प्रति लिफ्ट औसतन तीन लाख रुपये खर्च आएगा, किन्तु लिफ्ट में फंसने की स्थिति में मनोवैज्ञानिक प्रभाव सकारात्मक रहेगा। नयी तकनीक वाली लिफ्ट बीच में नहीं बंद होती हैं। कोई खराबी आने पर वे निकटतम फ्लोर पर ही रुकती हैं। ऐसे में दरवाजा न खुलने की स्थिति में लिफ्ट के भीतर मौजूद लोगों को शीशे से बाहर दिखाई पड़ता रहता है और उनका मनोबल नहीं गिरता है। वे घबराहट से भी बचते हैं।
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नहीं लगेंगे टिंटेड ग्लास
लिफ्ट के अलावा भवनों की सुरक्षा में भी अब अधिक चौकसी बरती जाएगी। सरकारी क्षेत्र की सबसे बड़ी निर्माण एजेंसी उत्तर प्रदेश निर्माण निगम ने तय किया है कि अब किसी भी सरकारी भवन में अपारदर्शी शीशे नहीं लगाए जाएंगे। ऐसे टिंटेड ग्लास लगाए जाने के कारण कई बार उड़ते पक्षियों को अपनी परछायी दिखती है और वे शीशे पर चोंच मारते हैं। तय हुआ है कि अब सरकारी भवनों में सिर्फ पारदर्शी शीशे ही लगाये जाएंगे।
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