Wednesday 23 December 2015

48 जिलों में होगी औषधीय पौधों की खेती

-उद्यान व खाद्य प्रसंस्करण विभाग की मदद लेगा चिकित्सा शिक्षा विभाग
-आयुष सोसायटी बोर्ड ने दी हरी झंडी, सवा सात करोड़ रुपये होंगे खर्च
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : केंद्र सरकार की पहल पर गठित आयुष मिशन ने प्रदेश के 48 जिलों में औषधीय पौधों की खेती से आयुष को बढ़ावा देने का फैसला किया है। इसके लिए उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग की मदद ली जा रही है।
आयुर्वेद, होम्योपैथ, सिद्धा, यूनानी आदि चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए गठित आयुष मिशन ने उत्तर प्रदेश में आयुर्वेद से अधिकाधिक लोगों को जोडऩे के लिए औषधीय पौधों की खेती कराने की पहल की है। इसके अंतर्गत मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए सवा सात करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है। राज्य आयुष मिशन की निदेशक कुमुदलता श्रीवास्तव ने बताया कि औषधीय पौधों की खेती सुनिश्चित करने के लिए उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग की मदद ली जाएगी। इसके अंतर्गत 3192 हेक्टेयर भूमि में औषधीय पौधों की खेती कराई जाएगी। प्रदेश में छह स्थानों पर पौधों की नर्सरी विकसित की जाएंगी। खेती के बाद प्रबंधन के लिए 24 इकाइयों का नियोजन होगा ताकि पौधों का अधिकाधिक लाभ उठाया जा सके। इस पूरी योजना को आयुष सोसायटी बोर्ड की हरी झंडी मिल गयी है। जिले चिह्नित कर लिये गए हैं और जल्द ही इस पर अमल शुरू हो जाएगा।
ये हैं 48 जिले
सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, बिजनौर, संभल, मेरठ, बुलंदशहर, बरेली, बदायूं, शाहजहांपुर, लखनऊ, सीतापुर, हरदोई, फैजाबाद, बाराबंकी, अम्बेडकरनगर, सुलतानपुर, बस्ती, महाराजगंज, कुशीनगर, गोरखपुर, इलाहाबाद, कौशांबी, प्रतापगढ़, कन्नौज, कानपुर देहात, इटावा, फतेहपुर, आगरा, मथुरा, एटा, अलीगढ़, हाथरस, आजमगढ़, वाराणसी, गाजीपुर, जौनपुर, चंदौली, मीरजापुर, सोनभद्र, बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर, महोबा, झांसी, जालौन, ललितपुर, बहराइच
पौधे दूर करते बीमारी
राजधानी लखनऊ स्थित आयुर्वेद मेडिकल कालेज के डॉ.एके दीक्षित के अनुसार जो पौधे लगाए जाएंगे, वे तमाम बीमारियों में लाभप्रद साबित होते हैं। अश्वगंधा का प्रयोग ताकत के लिए होता है तो कालमेघ लिवर के मरीजों में मददगार साबित होता है। आर्टीमीशिया से मलेरिया, सर्पगंधा से रक्तचाप, ब्राह्मïी से अवसाद और हरितिकी से पेट रोगों से जूझने में मदद मिलती है। मनोरोगियों के इलाज में एक्यूरेस कैल्मस नामक पौधे का प्रयोग होता है। तुलसी और गुग्गल तो मल्टीटास्किंग पौधे माने जाते हैं। तुलसी एंटीवायरल है, वहीं गुग्गल कोलेस्ट्राल बढऩे से रोकने के साथ हृदय रोगों सहित तमाम गंभीर समस्याओं का समाधान करता है।
हर्बल गार्डेन व प्रशिक्षण पर जोर
प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा) डॉ.अनूप चंद्र पाण्डेय के अनुसार इस योजना में हर्बल गार्डेन की स्थापना के साथ प्रशिक्षण पर भी जोर दिया जाएगा। इसके अंतर्गत पांच हेक्टेयर क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण पौधों की नर्सरी लगाई जाएगी, वहीं दो हर्बल गार्डेन स्थापित किये जाएंगे। इसके अलावा औषधीय पौधों की खेती के लिए चिह्नित किसानों को 50-50 के बैच में बुलाकर प्रशिक्षित किया जाएगा।

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