Tuesday 29 December 2015

अरबों खर्च फिर भी 26 फीसद सिटी बसें सड़क से गायब

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-सात शहरों में प्रभावी नहीं साबित हो सकी नगर बस सेवा
-एक साल से नहीं हुई समीक्षा, अब रोडवेज ने मांगी रिपोर्ट
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : सूबे के सात शहरों में नगर बस सेवा प्रभावी साबित नहीं हो पा रही है। चार सौ करोड़ रुपये से अधिक खर्च किये जाने के बाद भी 26 फीसद बसें सड़कों से गायब हैं। अब इस सेवा के संचालन से जुड़े रोडवेज ने सभी शहरों से इसकी समग्र्र रिपोर्ट मांगी है।
शहरों में आवाजाही को सुगम बनाने के लिए वर्ष 2009 में 70 लाख रुपये तक कीमत वाली बसें खरीदी थीं। कुल मिलाकर 1140 बसों की खरीद और  उनके संचालन पर 400 करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर राजधानी लखनऊ के साथ कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, मेरठ, आगरा व मथुरा में ये बसें चलाई गयी थीं। वर्ष 2010 में इन बसों का संचालन तो शुरू हो गया किन्तु किसी भी शहर में सभी बसें ठीक से नहीं चल पा रही हैं। हालात ये हैं कि 1140 बसों में से महज 837 बसें ही सड़क पर हैं, शेष 26 फीसद से अधिक बसें खराब खड़ी हैं।
इस स्थिति के लिए संचालन की पूरी प्रक्रिया को दोषी माना जा रहा है।  संचालन के लिए हर जिले में अलग-अलग कंपनियां बनीं, जिनकी अध्यक्षता की कमान मंडलायुक्तों को सौंपी गयी। इन कंपनियों के प्रबंध निदेशक रोडवेज के ही अधिकारी बनाए गए। दरअसल इन बसों के हानि-लाभ की समयबद्ध समीक्षा तक नहीं हो रही है। इन कंपनियों में परिवहन निगम की हिस्सेदारी महज 25 फीसद होने और शेष नगर विकास विभाग के जिम्मे होने के कारण परिवहन विभाग भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। हाल ही में परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक के. रविन्द्र नायक ने नगर बस सेवा की खराब स्थिति पर चिंता जताते हुए संचालन कंपनियों के प्रबंध निदेशकों से बसों की समग्र्र रिपोर्ट मांगी है। इसके बाद नगर विकास विभाग के अधिकारियों के साथ चर्चा कर बस सेवा सुधारने की रणनीति बनायी जाएगी।
कानपुर की हालत सबसे खराब
नगर बस सेवा में सर्वाधिक 270 बसें पाने वाले कानपुर की हालत सबसे खराब है। वहां महज 70 बसें सड़क पर हैं। उन्हें भी आर्थिक लाभ के लिए कानपुर देहात सीमा तक चलाया जा रहा है। कानपुर के अलावा लखनऊ में 260, आगरा में 170, इलाहाबाद व वाराणसी में 130, मेरठ में 120 और मथुरा में 60 बसें चलाई गयी थीं।
लखनऊ ने मांगीं 40 और बसें
राजधानी लखनऊ के लिए नगर बस सेवा के संचालन को और पुख्ता करने के लिए 40 नयी बसें खरीदने का प्रस्ताव किया गया है। यहां खरीदी गयीं 260 बसों में से 225 बसें सड़क पर हैं। लखनऊ नगर बस सेवा के प्रबंध निदेशक ए. रहमान के मुताबिक आठ करोड़ रुपये खर्च कर ये बसें खरीदी जाएंगी। इसके लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है। 

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