Wednesday 18 November 2015

एक छतरी के नीचे सेहत पर नजर


जागरण विशेष
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-बनेगी एलाइड एंड हेल्थकेयर प्रोफेशनल काउंसिल
-रुकेगी पैरामेडिकल पाठ्यक्रमों मे चल रही मनमानी
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डॉ.संजीव, लखनऊ
स्वास्थ्य का दायरा बढऩे के साथ ही पाठ्यक्रमों की संख्या बढ़ रही है। अब एक छतरी के लिए सभी स्वास्थ्य व सहयोगी प्रोफेशनल्स को लाने के लिए एलाइड एंड हेल्थकेयर प्रोफेशनल काउंसिल बनाने की तैयारी है। शासन स्तर पर इसके लिए एक चक्र बैठक भी हो चुकी है।
अभी तक चिकित्सा क्षेत्र में उपचार से सीधे जुड़े पाठ्यक्रमों पर नजर रखने के लिए मेडिकल काउंसिल, डेंटल काउंसिल, नर्सिंक काउंसिल जैसी संस्थाएं तो हैं किन्तु सहयोगी पाठ्यक्रमों का संचालन मनमाने तरीके से होता है। अब सेहत व उससे जुड़ी सभी सेवाओं से जुड़े लोगों को नियंत्रित करने के लिए एलाइड एंड हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स काउंसिल बनाने का प्रस्ताव किया गया है। इसमें थिरैपी, डायग्नोस्टिक, उपचार व बचाव के साथ पुनर्वास जैसे सभी पाठ्यक्रमों को शामिल किया जाएगा। काउंसिल फिजियोथिरैपी से लेकर एक्सरे टेक्नीशियन और अल्ट्रासाउंड टेक्नीशियन तक तमाम पैरामेडिकल पाठ्यक्रमों के डिप्लोमा, स्नातक, परास्नातक व शोध पाठ्यक्रमों तक को मान्यता देने का काम करेगी।
केंद्रीय स्तर पर काउंसिल के गठन की पहल के बाद अब राज्य सरकार ने भी प्रक्रिया शुरू की है। पिछले दिनों प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा) की अगुवाई में शासन स्तर पर हुई उच्च स्तरीय बैठक में मेडिकल फैकल्टी के साथ विभिन्न विधाओं के विशेषज्ञों के साथ संभावित काउंसिल पर विचार विमर्श हुआ। माना गया कि स्वास्थ्य क्षेत्र के लगातार विस्तार के बाद पढ़ाई के सही नियोजन के लिए काउंसिल की तुरंत जरूरत है। इस पर अमल की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गयी है। दिल्ली, आंध्रप्रदेश, केरल, नागालैंड, हिमाचल प्रदेश व मध्यप्रदेश में पैरामेडिकल काउंसिल के नाम से राज्य स्तरीय समितियां हैं। उनके नियमों को भी आधार बनाने का फैसला हुआ है।
प्रमुख सचिव होंगे पहले अध्यक्ष
काउंसिल के आधे सदस्य प्रतिष्ठित चिकित्सा शिक्षा या स्वास्थ्य संस्थानों के निदेशक स्तर के अधिकारी होंगे। अन्य आधे सदस्य विश्वविद्यालयों व संबंधित पैरामेडिकल चिकित्सा क्षेत्र के नामचीन लोग होंगे। प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा) काउंसिल के पहले अध्यक्ष होंगे। बाद में काउंसिल के सदस्यों के बीच से अध्यक्ष का चुनाव किया जाएगा। काउंसिल की अनुमति के बिना प्रदेश में कोई भी पैरामेडिकल पाठ्यक्रम संचालित नहीं हो सकेगा। पाठ्यक्रम उत्तीर्ण करने के बाद छात्र-छात्राओं को काउंसिल में अपना पंजीकरण कराना पड़ेगा और उन्हें उसी तरह प्रमाणपत्र व पंजीकरण क्रमांक मिलेगा, जैसा एमबीबीएस या बीडीएस करने के बाद राज्य मेडिकल या डेंटल फैकल्टी से मिलता है।
बनेंगे मानक, सुधरेगी गुणवत्ता
चिकित्सा क्षेत्र में हुए शोध व उपचार में सुधार से सहयोगी स्वास्थ्य सेवाओं की मांग तेजी से बढ़ी है। ऐसे में एक समान पाठ्यक्रम से लेकर मानक निर्धारण तक काम एलाइड एंड हेल्थकेयर काउंसिल कर सकेगी। इससे पैरामेडिकल चिकित्सा शिक्षा का उन्नयन होगा और मानकों के साथ गुणवत्ता पर नजर रखी जा सकेगी। -डॉ.अनूप चंद्र पाण्डेय, प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा

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