Monday 16 November 2015

दीवाली की गूंज में छिपा पुरुष नसबंदी सप्ताह


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-पिछले वर्ष 800 की तुलना में इस बार 100 लोग भी नहीं पहुंचे
-स्वास्थ्य विभाग के अफसर बेखबर, एनएचएम ने संभाली कमान
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सात से तेरह नवंबर तक पुरुष नसबंदी सप्ताह मनाने का फैसला हुआ था। उत्तर प्रदेश में भी इस बाबत निर्देश जारी किये गए थे किन्तु दीवाली की छुट्टियों के चलते यहां यह सप्ताह प्रभावी नहीं हो सका। पिछले वर्ष जहां इस सप्ताह के दौरान प्रदेश में 800 से अधिक पुरुष नसबंदी कराने पहुंचे थे, इस बार अब तक यह संख्या 100 भी नहीं पहुंची है।
पुरुष नसबंदी सप्ताह का मूल उद्देश्य पुरुषों को नसबंदी के प्रति प्रोत्साहित करना है। इस बार भी स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिला अस्पतालों में पुरुष नसबंदी सप्ताह मनाने के निर्देश दिये थे। सभी जगह नसबंदी शिविर लगाने थे और प्रचार-प्रसार कर पुरुषों की नसबंदी करानी थी। राष्ट्रीय स्वीकार्यता के बावजूद प्रदेश में इस पर पहले तो गंभीरता से अमल नहीं हुआ, फिर रही सही कसर दीपावली  ने पूरी कर दी। परिवार कल्याण निदेशक व उप निदेशक के छुïट्टी पर होने के कारण परिवार कल्याण विभाग की ओर से मॉनीटङ्क्षरग नगण्य हो गयी। पूरा काम महज राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के स्तर पर नियोजित किया गया। शुरू में दो दिन शिविर लगे, फिर धनतेरस व दीवाली में व्यस्तता के चलते शिविरों से डॉक्टर व नसबंदी कराने वाले गायब हो गए।
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वैसे भी नसबंदी महिलाओं के हवाले
पुरुष नसबंदी सप्ताह भले ही दीवाली की भेंट चढ़ गया हो, किन्तु सामान्य स्थितियों में भी नसबंदी महिलाओं के हवाले ही है। पुरुष नसबंदी की पहल ही नहीं करते हैं। पूरे भारत में महज 0.8 प्रतिशत पुरुष ही नसबंदी कराते हैं और उत्तर प्रदेश में तो यह संख्या महज चौथाई यानी 0.2 प्रतिशत ही है। इस वर्ष 31 अक्टूबर तक प्रदेश में कुल 51,712 नसबंदी हुईं, जिनमें से नसबंदी कराने वाले पुरुषों की संख्या महज 2062 है।
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एक सप्ताह और बढ़ाएंगे शिविर
पुरुष नसबंदी सप्ताह के दौरान जिला अस्पतालों के माध्यम से शिविरों का आयोजन होना था। दीवाली के कारण इस पर कुछ असर पड़ा है। सोमवार को बैठक कर एक सप्ताह के लिए शिविर की तारीखें आगे बढ़ा देंगे, ताकि अधिक से अधिक लोगों को इसका लाभ मिल सके।
-डॉ. रेनू जलोटे, स्वास्थ्य महानिदेशक
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