Monday 16 November 2015

डॉक्टर न मिलने से टूटा मरीजों का भरोसा


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-फतेहपुर व चित्रकूट के सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य महानिदेशक का छापा, नहीं मिले मरीज
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : सरकारी अस्पतालों में जरूरत के अनुरूप डॉक्टर न मिलने से मरीजों का भरोसा टूट गया है। यह बात एक बार फिर सामने आयी, जब स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ.रेनू जलोटे को ग्रामीण अस्पतालों में पर्याप्त मरीज नहीं मिले। उन्होंने दीवाली की छुट्टियों में सरकारी अस्पतालों का जायजा लेने के लिए फतेहपुर व चित्रकूट में छापा मारा।
इसके पीछे छुट्टियों के दौरान चिकित्सकों की उपस्थिति के आकलन की कोशिश भी थी। छापे के दौरान उन्हें ग्रामीण अस्पतालों में मरीज बहुत कम संख्या में मिले। सरकार की महत्वाकांक्षी जननी सुरक्षा योजना पर अमल होते भी नहीं दिखा। पता चला कि महिलाएं यदि कोशिशों के बाद प्रसव के लिए सरकारी अस्पतालों तक पहुंचती भी हैं तो वहां पुरुष चिकित्सक देखकर लौट जाती हैं। इसी तरह थोड़ा गंभीर मरीज आने पर भी डॉक्टर उन्हें कानपुर मेडिकल कालेज रेफर कर देते हैं, ऐसे में तमाम मरीज तो सीधे कानपुर जाने लगे हैं।
महानिदेशक पहले दिन गुरुवार को फतेहपुर पहुंचीं और जिला अस्पताल व कुछ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों का निरीक्षण किया। वहां बताया गया कि महिला डॉक्टर न होने से बेहद दिक्कत हो रही है। कई बार समय पर चिकित्सकों के न पहुंचने की समस्या भी सामने आयी। दूसरे दिन शुक्रवार को उन्होंने चित्रकूट के जिला अस्पताल, आसपास के सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का निरीक्षण किया। चित्रकूट के जिला अस्पताल में सुविधाओं के बावजूद मरीज नहीं मिले। डॉक्टरों ने बताया कि यहां मरीज आते ही नहीं और आते हैं तो झगड़े पर उतारू रहते हैं। यह स्थिति तब है, जबकि दूर-दूर तक कोई निजी अस्पताल नहीं हैं। तमाम मरीज यहां आने के स्थान पर बांदा, फतेहपुर या कानपुर जाना पसंद करते हैं। स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ.रेनू जलोटे ने बताया कि दो दिन के दौरे में पता चला कि अस्पतालों में आधारभूत ढांचा सही होने के बावजूद पर्याप्त संख्या में मरीज नहीं आ रहे हैं। इन बिन्दुओं पर वह मुख्य चिकित्सा अधीक्षकों व अन्य अधिकारियों के साथ बैठक कर समाधान निकालेंगी, ताकि मरीजों का अस्पताल से जुड़ाव स्थापित हो सके।
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