Thursday 15 October 2015

गोरखपुर से बेड तो पीएमएस से डॉक्टर

-मान्यता की मशक्कत-
-बांदा-बदायूं में एमसीआइ निरीक्षण के लिए जुगाड़ पर जोर
-अभी पूरी तरह शुरू नहीं हुआ ओपीडी-आइपीडी का संचालन
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : 'गोरखपुर मेडिकल कालेज से ट्रक चला कि नहीं। ...अरे देख लेना उसमें पचास बेड पूरे रखे हों। ...ऐसा करो, इलाहाबाद पास में पड़ेगा, वहां से कुछ कुर्सी-मेजें भिजवा दो। ...हां, डॉक्टरों के लिए प्रमुख सचिव से मंजूरी मिल गई है, पीएमएस से ट्रांसफर हो जाएंगे।Ó
यह उन संवादों की बानगी भर है, जो नए मेडिकल कालेजों की मान्यता को लेकर चिकित्सा शिक्षा विभाग में बार-बार दोहराए जा रहे हैं। प्रदेश सरकार ने बांदा व बदायूं में नए शैक्षिक सत्र यानी जुलाई 2016 से हर हाल में एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू कराने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआइ) की टीम अगले दो माह में कभी भी बांदा मेडिकल कालेज का निरीक्षण करने के लिए आ सकती है। उसके बाद बदायूं की बारी आएगी।
इस बाबत तैयारियों का जिम्मा संभाले चिकित्सा शिक्षा विभाग स्थायी प्रबंध की प्रक्रिया के साथ जुगाड़ से काम चलाने की कोशिशों में जुटा है। अभी तक बांदा में मरीजों की भर्ती कर इलाज के लिए आइपीडी व बदायूं में ओपीडी शुरू नहीं हो सकी है। तीन बार साक्षात्कार और पुराने मेडिकल कालेजों से तबादलों के बावजूद मेडिकल कालेज स्थापना के लिए जरूरी शिक्षक पूरे न हो पाने पर अब प्रांतीय चिकित्सा सेवा से डॉक्टर मांगे गए हैं। प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) अरविंद कुमार ने इस बाबत चिकित्सकों की नियुक्ति को हरी झंडी भी दे दी है। इसके अलावा प्रदेश के अलग-अलग मेडिकल कालेजों से बेड, वेंटिलेटर व अन्य सामान इन दोनों कालेजों में भेजा जा रहा है। बांदा के लिए इलाहाबाद व कानपुर और बदायूं के लिए आगरा मेडिकल कालेज एक प्रकार से नोडल सेंटर के रूप में काम कर रहे हैं। इलाहाबाद, कानपुर व आगरा के शिक्षकों को भी इन कालेजों से संबद्ध किया जा रहा है। इस संबंध में चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक डॉ.वीएन त्रिपाठी ने कहा कि कालेजों की मान्यता सुनिश्चित करने के लिए पुख्ता बंदोबस्त किए जा रहे हैं। जल्द ही बांदा में मरीजों की भर्ती कर इलाज शुरू हो जाएगा। इसके अलावा बदायूं में ओपीडी शुरू करने की तैयारियां भी हो रही हैं।
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दस करोड़ के उपकरणों को हरी झंडी
बुधवार को चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय की परचेज कमेटी की बैठक में बांदा मेडिकल कालेज के लिए दस करोड़ रुपये के उपकरण खरीदने को हरी झंडी दी गई। भारत में बनने वाले उपकरणों की आपूर्ति दो सप्ताह व विदेशों से आने वाले उपकरणों की आपूर्ति अधिकतम छह सप्ताह में सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। 

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