Friday 9 October 2015

पिछड़ों के आरक्षण को चाहिए तमिलनाडु मॉडल


-आज राष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष से राज्य की ओर से होगी मांग
-20 साल में 24 जातियां बढऩे के बाद भी आरक्षण जस का तस
राज्य ब्यूरो, लखनऊ : देश में आरक्षण की समीक्षा को लेकर शुरू हुई बहस के बीच राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने पिछड़ी जाति के लोगों को आरक्षण देने के लिए तमिलनाडु मॉडल की वकालत की है। इसके लिए राज्य आयोग के अध्यक्ष राम आसरे विश्वकर्मा दिल्ली में राष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष व चेन्नई जाकर तमिलनाडु राज्य आयोग से मुलाकात करेंगे।
उत्तर प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए 27 फीसद आरक्षण का प्रावधान है। राज्य आयोग इसे बढ़ाने की पैरवी कर रहा है। आयोग का तर्क है कि देश के कई राज्यों में पिछड़ों के लिए आरक्षण का प्रतिशत अधिक है। इनमें कर्नाटक में 32 प्रतिशत, पांडिचेरी में 33 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल व केरल में 35 प्रतिशत और तमिलनाडु में 50 फीसद आरक्षण का प्रावधान है। हाल ही में उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष को पक्ष लिखकर पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण की सीमा बढ़ाने की वकालत की है। उन्होंने कहा कि बीस साल पहले पिछड़े वर्ग में 55 जातियां थीं, तब 27 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया था। अब इन जातियों की संख्या बढ़कर 79 हो गयी है किन्तु आरक्षण की स्थिति जस की तस है।
अब राज्य आयोग के अध्यक्ष इस मसले पर सीधे राष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष से मुलाकात कर अपनी बात रखेंगे। वह शुक्रवार को दिल्ली में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष से मिल कर तमिलनाडु की तरह पचास प्रतिशत तक आरक्षण के प्रावधान की बात रखेंगे। उनका तर्क है कि जिस तरह तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल, पांडिचेरी व कर्नाटक में पिछड़ों को अधिक आरक्षण दिया जा रहा है, उसी तरह उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में भी आरक्षण मिलना चाहिए। साथ ही आरक्षण के वर्गीकरण पर विस्तृत चर्चा के लिए देश भर के आयोगों के अध्यक्षों की बैठक बुलाने को कहेंगे। इस बैठक में पिछड़े वर्ग के आरक्षण, पिछड़े वर्ग की सूची को श्रेणीवार विभाजित करने और अब तक पिछड़े वर्ग के आरक्षण की स्थितियों का आकलन करने पर भी चर्चा होगी। वह दिल्ली से चेन्नई जाकर वहां आरक्षण की व्यवस्था का अध्ययन करेंगे। इसके लिए जनप्रतिनिधियों व पिछड़े वर्गों की संस्थाओं के साथ विचार विमर्श करने के बाद वे तमिलनाडु पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष के साथ भी बैठक करेंगे। इसके बाद दोनों राज्यों के आयोग केंद्रीय आयोग को संयुक्त प्रतिवेदन भी भेजेंगे।

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