Thursday 15 October 2015

खाते खुलवाने की मुहिम को राज्य सरकार का साथ

-बचत विभाग को बैंकों से तालमेल का भी काम सौंपने की तैयारी
-सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे पहुंचाने की मशक्कत
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हर व्यक्ति का खाता खुलवाने की मुहिम को राज्य सरकार का साथ मिल गया है। अब बचत विभाग को बैंकों से तालमेल का काम सौंपने की तैयारी है, जिससे वे अधिक से अधिक खाते खुलवाकर राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ भी उन तक सुगमता से पहुंचा सकें।
लोगों को बचत के लिए प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार का बचत विभाग अलग काम करता है। इसके तहत हर जिले में एक जिला बचत अधिकारी होता है, जो तमाम बचत योजनाओं में धन जमा करवाने के साथ उनके नियोजन की कार्ययोजना भी बनाते हैं। अभी तक सूबे में बचत की राशि प्रदेश सरकार को विकास कार्यों के लिए मिलती थी। इसके बदले राज्य सरकार को बैंकों की तुलना में कम ब्याज देना पड़ता था। बीते कुछ वर्षों में स्थितियां बदलीं हैं। अब सरकार को बैंकों व अन्य वित्तीय संस्थानों से छह से साढ़े छह प्रतिशत की दर पर ऋण मिल जाता है, वहीं बचत राशि के बदले 8.5 फीसद के आसपास ब्याज देना पड़ता है। इससे काम कम होने के साथ ही बचत राशि भी घटी।
इस पर वित्त विभाग ने बचत विभाग को बैंकों से जुड़े काम देने का फैसला किया है। प्रमुख सचिव (वित्त) राहुल भटनागर की अध्यक्षता में हुई बैठक में तय हुआ कि जिला बचत अधिकारियों सहित विभाग के कर्मचारियों की उपयोगिता बनाए रखने के लिए इनका काम बढ़ाया जाए। इसके लिए इन्हें बैंकों में नए खाते खुलवाने सहित बैंकों से जुड़े अन्य मसलों पर सक्रिय करने का फैसला हुआ। कहा गया कि केंद्र सरकार हर व्यक्ति का खाता खुलवाने की मुहिम चला रही है। इस मुहिम को राज्य सरकार का साथ मिलने से इसका लाभ प्रदेश सरकार की योजनाओं से अंतिम आदमी तक को जोडऩे के रूप में भी मिलेगा। इसके अलावा तमाम बचत योजनाएं दुबारा शुरू हुई हैं, जिन पर सक्रियता लाने के निर्देश दिये गए।
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समायोजन से कोषागार विभाग ने किया इन्कार
प्रमुख सचिव के साथ अधिकारियों की बैठक में एक प्रस्ताव बचत विभाग का समायोजन कोषागार विभाग में करने का भी था। इससे कोषागार विभाग ने साफ इन्कार कर दिया। कोषागार विभाग के अधिकारियों का कहना था कि उन्हें कम से कम बीकॉम उत्तीर्ण कर्मचारी-अधिकारी चाहिए, जो बचत विभाग में नहीं हैं। इसके अलावा समायोजन से वरिष्ठता जैसे तमाम संकट पैदा होंगे। 

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