Tuesday 13 October 2015

दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर रोक

- बिना डॉक्टर का पर्चा लिखे दवाओं की मनमानी बिक्री का तर्क
- औषधि निरीक्षकों व सहायक आयुक्तों को अनुपालन का जिम्मा
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : प्रदेश में दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर रोक लगा दी गयी है। राज्य के खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन आयुक्त की ओर से जारी इस प्रतिबंध आदेश के अनुपालन का जिम्मा औषधि निरीक्षकों व सहायक आयुक्तों को सौंपा गया है।
इस समय पूरे देश में ऑनलाइन दवाओं की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है। तमाम पोर्टल ऐसे हैं, जहां दवाओं की ऑनलाइन बुकिंग कराने के बाद घर तक दवाएं पहुंचाई जाती हैं। अब तो ऐसे मोबाइल एप्स भी आ गए हैं, जिनके माध्यम से ऑनलाइन दवाएं खरीदी जा सकती हैं। दवा विक्रेताओं का एक खेमा लगातार इस प्रकार ई-फार्मेसी संचालन का विरोध भी कर रहा था। इस पर खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग ने प्रदेश में दवाओं की ऑनलाइन बिक्री व ई-फार्मेसी संचालन पर रोक लगा दी है। अपर आयुक्त (प्रशासन) राम अरज मौर्य द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि कतिपय औषधि विक्रेताओं द्वारा ऑनलाइन माध्यम से औषधियों का विक्रय किया जा रहा है। इससे यह पता करना संभव नहीं है कि औषधियों की आपूर्ति पंजीकृत चिकित्सक के पर्चे पर ही की गयी है अथवा नहीं। औषधि एवं प्रसाधन सामग्र्री अधिनियम के नियम 65 के अंतर्गत शेड्यूल्ड औषधियां केवल पंजीकृत चिकित्सक के पर्चे पर ही बेची जा सकती हैं। इस पूरी प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए उन्होंने सभी सहायक आयुक्तों व औषधि निरीक्षकों को निर्देश दिये हैं कि वे अपने क्षेत्र में कहीं भी ऑनलाइन औषधियां न बिकने दें। वे सुनिश्चित करें कि पंजीकृत चिकित्सक के पर्चे के बिना कहीं भी औषधियां ऑनलाइन न बेची जाएं न ही ऑनलाइन आर्डर के आधार पर उनकी आपूर्ति हो। इसके लिए नियमित रूप से ऑनलाइन प्लेटफाम्र्स पर नजर भी रखी जाए।
14 को हड़ताल पर दोफाड़
देश में ई-फार्मेसी पर रोक लगाने के लिए 14 अक्टूबर को प्रस्तावित हड़ताल पर भी दवा विक्रेताओं में दोफाड़ हो गया है। भारत सरकार के खाद एवं रसायन मंत्रालय का फार्मास्युटिकल्स विभाग पहले ही इस हड़ताल को अवैध करार दे चुका है। अब ऑनलाइन बिक्री पर प्रदेश सरकार द्वारा रोक लगाए जाने के बाद राज्य के दवा विक्रेता इस हड़ताल को बेमतलब करार दे रहे हैं। एक खेमा जहां हड़ताल की तैयारियों में जुटा है, वहीं दूसरा खेमा दवा की दुकानें खोलने का एलान कर रहा है।
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