Wednesday 2 September 2015

वितरण कम्पनियों की अराजकता से घटी बिजली आपूर्ति

--सीएजी की रिपोर्ट--
राज्य ब्यूरो, लखनऊ
बिजली आपूर्ति में सुधार के तमाम सरकारी दावों के बावजूद राज्य में बीते चार वर्षों में सक विद्युत आपूर्ति घटी है। भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक की विधानमंडल में पेश रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2009-10 में सूबे में जहां मांग के विपरीत 75 प्रतिशत विद्युत आपूर्ति हुई थी, वहीं वर्ष 2013-14 में आपूर्ति घटकर 71 प्रतिशत रह गयी।
1447 करोड़ की बिजली बर्बाद
मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने वर्ष 2009 से 2014 के दौरान नियामक आयोग द्वारा अनुमन्य सीमा से अधिक की लाइन हानियां दर्ज कीं। इस कारण 258.20 करोड़ की बिजली बर्बाद हुई। इसी तरह दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड ने 879.17 करोड़ और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड ने 309.46 करोड़ की बिजली बर्बाद हुई। इसके पीछे एलटी लाइन को एचटी प्रणाली में परिवर्तित न करने, सबस्टेशनों पर कैपिसिटर बैंक न स्थापित करने व अनुबंधों में निजी मरम्मतकर्ता फर्मों को अधिक भार-हानि अनुमन्य करने को कारण माना गया।
खतरे में डाली वितरण प्रणाली
सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक विद्युत वितरण कंपनियों ने अपनी ढिलाई से पूरी वितरण प्रणाली को ही खतरे में डाल दिया था। मध्यांचल में 4878 एमवीए की आवश्यक क्षमता वृद्धि के सापेक्ष 1500 एमवीए एवं 1138 एमवीए की क्षमता के ट्रांसफार्मर लगाए गए। इस कारण 77 प्रतिशत की कमी बनी ही रही। इसी तरह दक्षिणांचल में 6262 एमवीए की आवश्यकता क्षमता वृद्धि के सापेक्ष महज 2152 एमवीए क्षमता के ही ट्रांसफार्मर लगाए गए। इस तरह से 66 प्रतिशत की कमी रही। पूर्वांचल में 8715 एमवीए की जरूरत के विपरीत 1355 एमवीए क्षमता के ट्रांसफार्मर ही बढ़ाए गए। इससे 84 प्रतिशत की कमी बनी रही। ऐसे में ओवरलोड ट्रांसफार्मरों के सहारे पूरे उत्तर प्रदेश में आपूर्ति होती रही और लगातार पूरी वितरण प्रणाली खतरे में रही।
ठेकेदारों को अधिक भुगतान
मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर की मरम्मत में उच्च पैकेज दर प्रदान करने की। इससे ठेकेदारों को 10.26 करोड़ रुपये अधिक दिये गए, वहीं वैट के मद में 6.83 करोड़ रुपये अधिक का भुगतान किया गया। दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम ने भूमिगत केबिल डालने के काम, ट्रांसफार्मरों की मरम्मत के काम के लिए ठेकेदारों को 12.62 करोड़ रुपये अधिक दिये। इससे वैट के मद में भी 4.52 करोड़ रुपये अधिक का भुगतान किया गया। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम ने भी ट्रांसफार्मरों की मरम्मत में 3.34 करोड़ रुपये अधिक का भुगतान ठेकेदारों को कर दिया। यहां वैट के मद में 6.13 करोड़ रुपये अधिक का भुगतान हुआ।
कॉल सेंटर स्थापना में विफल
सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक पावर कारपोरेशन कॉल सेंटरों की स्थापना में भी विफल साबित हुआ है। मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड ने बिलिंग के लिए लागू प्रावधानों का पालन न करने से मध्यांचल में 3.04 करोड़ रुपये से कम बिलिंग हुई। यहां वर्ष 2013-14 में 13270 उपभोक्ताओं के 222.59 करोड़ रुपये के बिल संशोधित कर 12.64 करोड़ कर दिये गए। इससे 209.95 करोड़ रुपये की राशि माफ हुई। यहां 10.82 लाख उपभोक्ताओं को बिना मीटर स्थापित किए हुए विद्युत आपूर्ति दी गयी। इसी तरह दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड ने बिलिंग प्राविधानों का पालन नहीं किया, इसलिए 98.17 करोड़ रुपये कम बिलिंग हुई।
सब्सिडी रोकी, किया दुरुपयोग
सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड ने बुंदेलखंड सूखा राहत योजना के अंतर्गत निजी नलकूप उपभोक्ताओं को कनेक्शन देने के लिए भारत सरकार से मिली 25.58 करोड़ रुपये सब्सिडी अनुचित रूप से रोकी गयी। साथ ही 3.38 करोड़ रुपये की सब्सिडी का दुरुपयोग भी किया गया। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग अवशेष निधियों को उच्च ब्याज दरों पर रखने में असफल रहा। इस कारण 3.29 करोड़ के ब्याज की हानि हुई।

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