-पाल-धनकड़ जाति के प्रमाणपत्र पर अफसरों को हुआ संदेह
-जिलाधिकारियों को जांच के लिए भेजे, अब प्रवेश होंगे निरस्त
राज्य ब्यूरो, लखनऊ
सीपीएमटी काउंसिलिंग में फर्जी जाति प्रमाणपत्र लगाकर एमबीबीएस में प्रवेश के तीन मामले सामने आए हैं। अब उनके प्रवेश निरस्त कराकर कार्रवाई की तैयारी है।
सीपीएमटी की पहली काउंसिलिंग के बाद हुए कुछ प्रवेशों के कागजातों की पड़ताल में तीन छात्रों के जाति प्रमाणपत्रों के गड़बड़ व संदिग्ध होने की बात सामने आयी है। इनमें से दो छात्रों ने जालौन मेडिकल कालेज व एक ने किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में प्रवेश लिया है। चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक डॉ.वीएन त्रिपाठी के अनुसार इन छात्रों ने पाल-धनकड़ जाति को अनुसूचित जाति में दर्शाकर जिलाधिकारी कार्यालय का प्रमाणपत्र लगाया था। पाल-धनकड़ जाति चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय के पास राज्य स्तर पर अनुसूचित जाति-जनजाति की सूची में न होने के कारण संशय हुआ। यही कारण है कि काउंसिलिंग के समय ऐसे सभी छात्र-छात्राओं को प्रोवीजनल प्रवेश दिया जाता है। उन तीनों छात्रों का प्रवेश भी फिलहाल प्रोवीजनल है। छात्रों से उन प्रमाणपत्रों के समर्थन में घर के अन्य सदस्यों के जाति प्रमाणपत्र मांगे गए किन्तु वे नहीं ला सके। प्रथमदृष्ट्या फर्जी पाए गए तीनों प्रमाणपत्रों की जांच के लिए संबंधित जिलाधिकारियों को पत्र लिखा गया है। वहां से जांच हो जाने के बाद ही इन छात्रों के भविष्य पर फैसला होगा। यदि ये प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए तो तीनों छात्रों के प्रवेश निरस्त करने के साथ उनके खिलाफ मुकदमा दायर करने की कार्रवाई की जाएगी। इन संदिग्ध प्रमाणपत्रों के बाद अब अनुसूचित जाति-जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण से प्रवेश पाए सभी छात्र-छात्राओं के जाति प्रमाणपत्रों की स्क्रूटनी हो रही है। उनकी वैधता के लिए संबंधित जिलाधिकारियों से जांच भी कराई जाएगी।
-जिलाधिकारियों को जांच के लिए भेजे, अब प्रवेश होंगे निरस्त
राज्य ब्यूरो, लखनऊ
सीपीएमटी काउंसिलिंग में फर्जी जाति प्रमाणपत्र लगाकर एमबीबीएस में प्रवेश के तीन मामले सामने आए हैं। अब उनके प्रवेश निरस्त कराकर कार्रवाई की तैयारी है।
सीपीएमटी की पहली काउंसिलिंग के बाद हुए कुछ प्रवेशों के कागजातों की पड़ताल में तीन छात्रों के जाति प्रमाणपत्रों के गड़बड़ व संदिग्ध होने की बात सामने आयी है। इनमें से दो छात्रों ने जालौन मेडिकल कालेज व एक ने किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में प्रवेश लिया है। चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक डॉ.वीएन त्रिपाठी के अनुसार इन छात्रों ने पाल-धनकड़ जाति को अनुसूचित जाति में दर्शाकर जिलाधिकारी कार्यालय का प्रमाणपत्र लगाया था। पाल-धनकड़ जाति चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय के पास राज्य स्तर पर अनुसूचित जाति-जनजाति की सूची में न होने के कारण संशय हुआ। यही कारण है कि काउंसिलिंग के समय ऐसे सभी छात्र-छात्राओं को प्रोवीजनल प्रवेश दिया जाता है। उन तीनों छात्रों का प्रवेश भी फिलहाल प्रोवीजनल है। छात्रों से उन प्रमाणपत्रों के समर्थन में घर के अन्य सदस्यों के जाति प्रमाणपत्र मांगे गए किन्तु वे नहीं ला सके। प्रथमदृष्ट्या फर्जी पाए गए तीनों प्रमाणपत्रों की जांच के लिए संबंधित जिलाधिकारियों को पत्र लिखा गया है। वहां से जांच हो जाने के बाद ही इन छात्रों के भविष्य पर फैसला होगा। यदि ये प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए तो तीनों छात्रों के प्रवेश निरस्त करने के साथ उनके खिलाफ मुकदमा दायर करने की कार्रवाई की जाएगी। इन संदिग्ध प्रमाणपत्रों के बाद अब अनुसूचित जाति-जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण से प्रवेश पाए सभी छात्र-छात्राओं के जाति प्रमाणपत्रों की स्क्रूटनी हो रही है। उनकी वैधता के लिए संबंधित जिलाधिकारियों से जांच भी कराई जाएगी।
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