Wednesday 2 September 2015

बिना काम वेतन पा रहे चार मेडिकल कालेज प्राचार्य

-कोई संबद्ध, कोई निलंबित पर पूरी नहीं हो रही जांच
-तीन विभागाध्यक्ष भी अंतिम फैसले का कर रहे इंतजार
राज्य ब्यूरो, लखनऊ
चिकित्सा शिक्षा महकमे में शिक्षकों की कमी की बात तो होती है किन्तु लंबित जांचों पर फैसला नहीं होता। हालात ये हैं कि चार प्राचार्य व तीन विभागाध्यक्ष लंबे समय से निलंबित या संबद्ध चल रहे हैं, किन्तु जांच पूरी न होने के कारण उन पर कोई फैसला नहीं हो रहा है।
प्रदेश के मेडिकल कालेजों में शिक्षकों की कमी को लेकर भारतीय चिकित्सा परिषद तक से चेतावनी के साथ चिंता जाहिर की जा चुकी है। शिक्षकों की कमी से निपटने के लिए संविदा पर भर्तियां हो रही हैं, वहीं अधिकांश मेडिकल कालेज कार्यवाहक प्राचार्यों के भरोसे चल रहे हैं। इस संकट के बावजूद चिकित्सा शिक्षा विभाग की धीमी चाल का परिणाम है कि चार मेडिकल कालेज प्राचार्य कार्रवाई पूरी होने के इंतजार में कोई काम नहीं कर रहे हैं। पहले कानपुर, फिर जालौन मेडिकल कालेज के प्राचार्य रहे डॉ.आनंद स्वरूप तमाम अनियमितताओं के आरोप में हटाए गए थे। वे बीते एक साल से अधिक समय से चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय से संबद्ध चल रहे हैं। इसी तरह आगरा मेडिकल कालेज के प्राचार्य रहे डॉ.आरके सिंह व जालौन के प्राचार्य रहे डॉ. एनसी प्रजापति भी चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय से संबद्ध चल रहे हैं। बांदा मेडिकल कालेज की प्राचार्य बनाकर भेजी गयीं डॉ.आरती लालचंदानी वहां नहीं गयीं तो उन्हें निलंबित कर दिया गया। इसी तरह इलाहाबाद के डॉ.दिलीप चौरसिया, आगरा के डॉ.राजेश्वर दयाल व डॉ.हिमांशु यादव भी निलंबन का बाद संबद्ध चल रहे हैं। इन सभी से चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय में भी कोई काम नहीं लिया जा रहा है।
मरीज देखने में भी नहीं हो रहा प्रयोग
ये सभी चिकित्सक किसी न किसी चर्चित विधा के विशेषज्ञ हैं, किन्तु मरीज देखने में भी इनका प्रयोग नहीं हो रहा है। डॉ.आनंद स्वरूप अस्थि रोग विशेषज्ञ हैं, तो डॉ.आरके सिंह नाक, कान, गला रोग विशेषज्ञ हैं। डॉ.एनसी प्रजापति व डॉ.राजेश्वर दयाल बाल रोग विशेषज्ञ हैं, डॉ.आरती लालचंदानी फिजीशियन व हृदय रोग विशेषज्ञ और डॉ.दिलीप चौरसिया गुर्दा रोग विशेषज्ञ हैं। यदि इन सबका प्रयोग इन विशेषज्ञताओं के मरीज देखने में ही किया जाए तो तमाम मरीजों का भला हो सकता है।

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