Tuesday 8 September 2015

अब प्रोफेसर भी नहीं रह गए प्रिंसिपल साहब

-चिकित्सा शिक्षा विभाग में पदावनति का असर
-आजमगढ़ में प्राचार्य पद पर नियुक्ति खतरे में
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर हो रही पदावनति का असर चिकित्सा शिक्षा विभाग पर भी पड़ रहा है। पदोन्नति में आरक्षण का लाभ पाकर प्राचार्य तक बन चुके तीन वरिष्ठ शिक्षक अब प्रोफेसर भी नहीं रह गए हैं।
सोमवार को चिकित्सा शिक्षा विभाग में पदावनति को अंतिम रूप दिया गया। इसमें आजमगढ़ मेडिकल कालेज के मौजूदा प्राचार्य तथा झांसी मेडिकल कालेज के प्राचार्य रहे डॉ.गणेश कुमार को एसोसिएट प्रोफेसर बनाया गया है। वे इससे पहले निलंबन का दंश भी झेल चुके हैं। अब एसोसिएट प्रोफेसर बन जाने के बाद आजमगढ़ मेडिकल कालेज के प्राचार्य का पद भी खतरे में पड़ गया है। भारतीय चिकित्सा परिषद के मानकों का पालन सुनिश्चित करने के लिए वहां शासन को नए प्राचार्य की नियुक्ति करनी पड़ सकती है। कानपुर व जालौन मेडिकल कालेजों के प्राचार्य रहे डॉ.आनंद स्वरूप को भी पदावनत कर एसोसिएट प्रोफेसर बना दिया गया है। तमाम अनियमितताओं के आरोप में डॉ.स्वरूप को जालौन से हटाकर चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय में संबद्ध कर दिया गया था। गोरखपुर में मौजूदा प्राचार्य की नियुक्ति से पहले कार्यवाहक प्राचार्य बनाए गए डॉ.सुनील आर्या को असिस्टेंट प्रोफेसर बना दिया गया है। वे दो प्रोन्नतियों के साथ प्रोफेसर बने थे। इसी दौर में एक आपराधिक मामले में नाम आने पर उन्हें निलंबित भी किया जा चुका है। इलाहाबाद मेडिकल कालेज के डॉ.एसएन चौधरी को भी पदावनत कर असिस्टेंट प्रोफेसर बना दिया गया है। महानिदेशालय के एक लिपिक व एक स्टेनो को भी पदावनत किया गया है।

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