Tuesday 8 September 2015

आय नहीं, पिछली परीक्षा के नंबर बनेंगे छात्रवृत्ति का आधार


-शुल्क प्रतिपूर्ति-
-सैकड़ों फर्जी आय प्रमाणपत्र सामने आने पर हुआ फैसला
-मुख्य सचिव की सहमति, समाज कल्याण विभाग के आदेश
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डॉ.संजीव, लखनऊ
एक ही आय प्रमाणपत्र के आधार पर सैकड़ों छात्र-छात्राओं द्वारा छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति हड़पे जाने के मामले सामने आने पर शासन ने चयन का आधार बदलने का फैसला लिया है। अब विद्यार्थी के अभिभावक की आय के स्थान पर पिछली परीक्षा के नंबर छात्रवृत्ति वितरण का आधार बनेंगे।
दो लाख रुपये से कम वार्षिक आय वाले अभिभावकों के बच्चों के लिए छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति योजना का संचालन होता है। मुख्य सचिव ने महालेखाकार से पांच जिलों गाजियाबाद, कानपुर नगर, बाराबंकी, देवरिया व बांदा में बीते तीन वर्षों का ऑडिट कराया था। हापुड़ व मुरादाबाद कुछ निजी विश्वविद्यालयों की पड़ताल भी कराई गयी थी। इस जांच में अन्य तमाम गड़बडिय़ों के अलावा फर्जी आय प्रमाण पत्र लगाकर छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति हासिल करने का मामला सामने आया था। सिर्फ इन पांच जिलों व कुछ विश्वविद्यालयों में ही सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने फर्जी आय प्रमाणपत्र लगाए थे। एक प्रमाण पत्र पर 236 से 640 तक अभ्यर्थियों द्वारा आवेदन की पुष्टि हुई।
इस पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में कहा गया कि दो लाख वार्षिक आय की सीमा तक समस्त छात्र-छात्राएं आवेदन करने के पात्र हैं, इसलिए वरीयता निर्धारण में वार्षिक आय को वेटेज (महत्व) देने का प्रावधान समाप्त कर दिया जाए। इसके स्थान पर केवल पिछले वर्ष की परीक्षा में प्राप्त अंकों के प्रतिशत को छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति का आधार बनाने का फैसला हुआ। साथ ही पाठ्यक्रम श्रेणी के अनुसार वेटेज अंक मिलेंगे। इस बाबत प्रमुख सचिव (समाज कल्याण) सुनील कुमार ने आदेश भी जारी कर दिए हैं।
ऐसे-ऐसे खुले मामले
-देवरिया में एक ही आय प्रमाण पत्र का प्रयोग 290 बार तक किया गया, ऐसे 994 अभ्यर्थियों ने लगाए 23 आय प्रमाण पत्र
-कानपुर नगर में 1242 विद्यार्थियों ने 36 आय प्रमाण पत्रों से काम चलाया, यहां एक ही आय प्रमाण पत्र का प्रयोग 236 बार किया गया
-गाजियाबाद में 14 आय प्रमाण पत्रों का प्रयोग 255 छात्र-छात्राओं ने 11 से 44 बार तक किया और इन सभी को छात्रवृत्ति भी मिली
-राजस्व परिषद की वेबसाइट पर उपलब्ध तथा विद्यार्थियों द्वारा जमा आय प्रमाण पत्रों में अंतर के 592 मामले सामने आए
-हापुड़ के एक निजी विश्वविद्यालय के 640 विद्यार्थियों ने एक ही क्रमांक के आय प्रमाण पत्र प्रयोग किये, इनमें पिता के नाम बदले हुए थे 

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