Wednesday 2 September 2015

सरकार की ढिलाई से ठहरा उद्योग व रोजगार सृजन

-सीएजी रिपोर्ट का दावा, लक्ष्य से भटक गयीं योजनाएं
-दो साल तो निष्क्रिय ही रही केंद्र सरकार की योजना
राज्य ब्यूरो, लखनऊ
प्रदेश में जिला उद्योग केंद्रों की भूमिका के दृष्टिगत प्रस्तावित लघु उद्योगों का विकास और रोजगार सृजन सरकार की ढिलाई से ठहर सा गया है। सोमवार को विधान मंडल में पेश भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट के मुताबिक उद्योग व रोजगार सृजन से जुड़ी तमाम योजनाएं तो लक्ष्य से ही भटक गयी है।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वर्ष 2008-09 में शुरू किये गए प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम की शुरुआत उत्तर प्रदेश में जिला उद्योग केंद्रों के माध्यम से वर्ष 2010-11 में हुई। तब 33280 लोगों के रोजगार सृजन का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जिसमें से 56.17 प्रतिशत लक्ष्य ही पाया जा सका। बीच में दो वर्ष 2011-12 और 2012-13 में तो यह योजना निष्क्रिय ही बनी रही। वर्ष 2013-14 में दोबारा सक्रिय हुई इस योजना में 26104 लोगों को रोजगार देने के लक्ष्य के विपरीत महज 69.4 प्रतिशत लक्ष्य ही प्राप्त किया जा सका।
सब्सिडी वापसी में विफल
लेखा परीक्षा में 15 जिलों की नमूना जांच की गयी तो तमाम अनियमितताएं पायी गयीं। पता चला कि जिलाउद्योग केंद्रों ने उद्यमियों द्वारा स्थापित नहीं की गयी इकाइयों को दी गयी सब्सिडी को बैंकों द्वारा वापस किया जाना सुनिश्चित नहीं किया गया। इसी तरह अभिलेख न बनाए जाने के कारण 1996 लाभार्थियों को 54.54 करोड़ रुपये सब्सिडी अवमुक्त करने की प्रमाणिकता की जांच भी नहीं की जा सकी।
औद्योगीकरण पर विपरीत प्रभाव
रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश सरकार ने भारत सरकार को प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए योजना के दिशा-निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित नहीं किया। इससे नमूना जांच किये 15 जिला उद्योग केंद्रों में 157.44 करोड़ लागत की चिह्नित क्लस्टर परियोजनाओं का अनुमोदन नहीं हो सका। परिणामस्वरूप प्रदेश में औद्योगीकरण के उद्देश्य पर विपरीत प्रभाव पड़ा। सूक्ष्म एवं लघु उद्यम क्लस्टर विकास कार्यक्रम के अंतर्गत 2009-10 में अनुमोदित लखनऊ के सॉफ्ट इंटरवेंशन-स्टील फर्नीचर क्लस्टर को चार वर्ष से अधिक व्यतीत होने के बाद भी पूरा नहीं किया जा सका। इसी तरह उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दिशा-निर्देशों का अनुपालन न करने के कारण गोरखपुर की लेदर क्लस्टर परियोजना तो रद ही हो गयी। कार्ययोजना एव अन्य लागत के लिए एप्रूव्ड वैल्यूअर की रिपोर्ट प्रस्तुत न कर पाने के कारण प्रदेश सरकार मेरठ में कामन फैसिलिटी सेंटर के लिए भारत सरकार का अंश 1.98 करोड़ रुपये प्राप्त करने में विफल रही।
अनावंटित रह गए 614 भूखंड
सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक औद्योगिक क्षेत्रों में अवस्थापना सुविधाओं का उच्चीकरण करने की योजना के अंतर्गत जिला उद्योग केंद्र आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने में असफल रहे। इस कारण 15 में से 11 जिलों में 614 भूखंड अनावंटित ही रह गयी। आवंटन से तीन वर्ष के भीतर आवंटियों ग्वारा इकाई स्थापित न करने के बाद भी 1983 से 2010 की अवधि में आवंटित 39 भूखंडों का आवंटन रद नहीं किया गया। इसी तरह अनुसूचित जाति-जनजाति के व्यक्तियों की सामूहिक प्रशिक्षण योजना में 33 प्रतिशत महिला अभ्यर्थियों की भागीदारी भी सुनिश्चित नहीं की जा सकी। हस्तशिल्प विपणन प्रोस्ताहन योजना के अंतर्गत जिला उद्योग केंद्र योजना का व्यापक प्रसार करने में असफल रहे। इस कारण 1.59 करोड़ रुपये की धनराशि का प्रयोग ही नहीं हो सका। जिला उद्योग केंद्रों ने स्वरोजगार सृजन की निगरानी के लिए जरूरी रजिस्टर तक नहीं बनाया है।

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