Wednesday 2 September 2015

निजी मेडिकल कालेजों में आरक्षण को बने नियमावली

-पिछड़ा वर्ग आयोग के चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय को निर्देश
-एसोसिएशन के दावों को नकारा, विस्तृत ब्योरा भी किया तलब
राज्य ब्यूरो, लखनऊ
राज्य के निजी मेडिकल कालेज अन्य पिछड़ा वर्ग व अनुसूचित जाति-जनजाति के छात्र-छात्राओं को शासन की मंशा के अनुरूप आरक्षण नहीं दे रहे हैं। इस पर अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने बेहद सख्त रुख अख्तियार कर चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय को इस बाबत नियमावली बनाने के निर्देश दिये हैं।
पिछड़ा वर्ग आयोग के पास शिकायत आई थी कि राज्य के निजी मेडिकल कालेज अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए जरूरी 27 प्रतिशत और अनुसूचित जाति-जनजाति के लिए जरूरी 22 प्रतिशत सीटों पर आरक्षण नहीं दे रहे हैं। इसके बाद पिछड़ा वर्ग आयोग ने निजी मेडिकल कालेजों की संस्था यूपी अनएडेड मेडिकल कालेजेज वेलफेयर एसोसिएशन के साथ ही प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक को नोटिस जारी किया था। निजी मेडिकल कालेजों की एसोसिएशन ने दावा किया कि वे लोग प्रवेश के लिए अलग से प्रवेश परीक्षा (यूपीसीएमईटी) कराते हैं, जिसमें आरक्षण के सरकारी मानकों का पालन होता है।
पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष राम आसरे विश्वकिर्मा ने बेहद सख्त रुख अख्तियार किया है। उन्होंने एसोसिएशन के दावों को नकारने के साथ ही चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक से निजी मेडिकल व डेंटल कालेजों में प्रवेश में आरक्षण सुनिश्चित कराने के लिए नियमावली बनाने को कहा है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार ने जिस तरह से सख्त नियमावली बनाकर वहां के निजी मेडिकल व डेंटल कालेजों में आरक्षण सुनिश्चित कराया है, उसी तरह से यहां भी नियमावली बनाई जानी चाहिए। चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय यह नियमावली बनाकर शासन को संदर्भित करे, ताकि शासन स्तर पर इस मसले में फैसला लिया जा सके।
तो इन्हें मिल ही नहीं रहे अभ्यर्थी!
वर्ष 2014 में निजी कालेजों में हुए प्रवेश को ही देखें तो लगता है कि निजी कालेजों को आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी मिल ही नहीं रहे हैं। 2014 में निजी मेडिकल कालेजों में कुल 1328 विद्यार्थियों ने एमबीबीएस में प्रवेश लिया था। आरक्षण मानकों के अनुसार इसमें से कम से कम 359 सीटों पर अन्य पिछड़ा वर्ग और 305 सीटों पर अनुसूचित जाति-जनजाति के विद्यार्थियों का प्रवेश होना चाहिए था। वह भी तब, जबकि पिछड़े वर्ग से कोई भी अभ्यर्थी ऐसा न मिले, जो सामान्य वर्ग में समाहित हो सकता है। सामान्य वर्ग के लिए 664 सीटें ही थीं। इसके विपरीत 2014 में 937 सीटों पर सामान्य, 333 पर अन्य पिछड़ा वर्ग व सिर्फ 58 पर अनुसूचित जाति-जनजाति के विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया। एसोसिएशन ने ऐसी किसी मेरिट लिस्ट की जानकारी भी नहीं दी, जिससे इसकी पुष्टि हो सके कि उन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग व अनुसूचित जाति-जनजाति के उपयुक्त विद्यार्थी मिले ही नहीं।

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