Wednesday 2 September 2015

मिलावट करने वाले जाएंगे जेल, जनता भी करे पहल


प्रदेश में खाद्य सामग्र्री में मिलावट करने वाले हों या घटिया खून और दवा के कारोबारी, किसी को बख्शा नहीं जाएगा। ऐसे हर व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा कायम कराकर उसे जेल भेजा जाएगा। प्रदेश के खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन आयुक्त राम अरज मौर्य का मानना है कि काले कारोबारियों पर लगाम कसने के लिए जनता भी पहल करे तो कार्रवाई और प्रभावी हो सकती है। विशेष संवाददाता डॉ.संजीव से बातचीत में उन्होंने कहा कि लोग बिना लाइसेंस व कैशमेमो के सामान न खरीदें और टोल फ्री नंबर 18001805533 पर शिकायत करें, कार्रवाई जरूर होगी।
-खाद्य सुरक्षा व औषधि प्रशासन कितना प्रभावी साबित हो रहा है?
--खाद्य पदार्थ और औषधि, दोनों चीजें आम जनमानस से जुड़ी हैं। हर परिवार को इसकी आवश्यकता होती है। ऐसे में हमारी जिम्मेदारी भी आम जनमानस को गुणवत्तापूर्ण व मिलावटरहित सामग्र्री उपलब्ध कराने के लिए बढ़ जाती है। 2009 में गठित इस विभाग में अब तक अधिकारियों की कुछ कमी थी, पर अब पूरी हो गयी है।
-क्या पर्याप्त निरीक्षण व जांच-पड़ताल हो पाती है?
--जिलों में हर खाद्य अधिकारी को हर माह पांच-छह नमूने भरने होते हैं। इसी तरह हर औषधि निरीक्षक को हर माह पांच नमूने भरने का लक्ष्य दिया गया है। इसमें भी वही नमूने भेजने को कहा जाता है, जिसमें संदेह हो। जिस अधिकारी के शत प्रतिशत नमूने सही मिलते हैं, हम मानते हैं कि उसने ठीक से काम नहीं किया है।
-प्रयोगशालाओं में जांच की व्यवस्था भी तो ठीक नहीं है?
--पहले ऐसी स्थितियां थीं, अब सुधार हुआ है। प्रदेश में लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर, मेरठ, आगरा व झांसी में परीक्षण प्रयोगशालाएं हैं। उनमें नमूनों की जांच हो रही है। पिछले वर्ष दवाओं के छह हजार नमूने लंबित थे, अब सिर्फ 800 नमूने लंबित रहते हैं। एक महीने से ज्यादा नमूने लंबित नहीं रहते। इससे कार्रवाई भी तेजी से हो रही है। खाद्य अनुभाग में ही वर्ष 2014-15 में 3524 मुकदमे कायम कराए गए, वहीं वर्ष 2015-16 के शुरुआती तीन माह में ही 1333 मुकदमे कायम कराए जा चुके हैं। इस वर्ष तीन माह में ही 647 मुकदमों में फैसला आया है, जिनमें सवा तीन करोड़ से अधिक अर्थदंड के साथ 54 लोगों को जेल भी हुई है। इसी तरह दवाओं की जांच जल्दी होने से वह समस्या दूर हो गयी है, जिसमें कई बार दवाएं एक्सपाइरी डेट पार कर जाने के बाद जांची जाती थीं।
-खाद्य व औषधि निरीक्षकों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहते हैं?
-कामकाज में पारदर्शिता लाकर ही भ्रष्टाचार रोका जा सकता है। हमने भी इसी दिशा में काम शुरू किया है। खाद्य हो या औषधि, दोनों ही मामलों में लाइसेंसिंग पद्धति में पारदर्शिता लाई जा रही है। खाद्य पदार्थों की बिक्री के लिए लाइसेंस तो ऑनलाइन मिलता ही था, अब दवा की थोक व फुटकर दुकानों के लाइसेंसिंग की प्रक्रिया भी ऑनलाइन कर दी गयी है। अब तक शिकायत होती थी कि औषधि निरीक्षक फाइलें रोके रहते हैं, वसूली करते हैं, अब वह सब बंद हो जाएगा। जिला स्तरीय अधिकारियों की अराजकता रोकने के लिए औचक निरीक्षण की प्रक्रिया शुरू की गयी है। विक्रेताओं का उत्पीडऩ रोकने के लिए उन्हें अपील का मौका दिया जाता है। यदि राज्य स्तरीय प्रयोगशाला में नमूना फेल होता है तो वे तीस दिन में अपील कर सकते हैं, फिर उसका राष्ट्रीय प्रयोगशाला में परीक्षण कराया जाता है। ऐसे में किसी के उत्पीडऩ का भी सवाल नहीं उठता।
-राज्य में जनता को सुरक्षित खून तक नहीं मिल रहा। ऐसे में आपके विभाग पर सवाल तो खड़े ही हो रहे हैं?
--खून का मामला गंभीर है। इसीलिए राजधानी के एक ब्लड बैंक में गड़बड़ी सामने आते ही हमने प्रदेशव्यापी अभियान चलाया। इस दौरान राज्य के कुल 151 ब्लड बैंकों में से 114 का पूर्ण निरीक्षण चार दिनों में किया गया। देखा गया कि खून लेते समय सभी जांचें होती हैं या नहीं, उनके बारे में ब्योरा सहेजा जाता है या नहीं। अत्यधिक गड़बड़ी पाए जाने पर  राजधानी के कोहली ब्लड बैंक के अलावा वाराणसी के संतुष्टि ब्लड बैंक, बरेली के केशव-माधव ब्लड बैंक और गाजियाबाद के लोकप्रिय ब्लड बैंक के कामकाज पर रोक लगा दी गयी है। अन्य ब्लड बैंकों की विस्तृत जांच रिपोर्ट का इंतजार है। इसके बाद दोषी पाए जाने वाले ब्लड बैंकों पर कार्रवाई होगी।
-खाद्य व औषधि क्षेत्र में अराजकता से निपटने के लिए क्या रणनीति है?
--विभाग को प्रदेश स्तर पर अभियान चलाता ही है। हर महीने समीक्षा होती है। अभी रक्षाबंधन से दीवाली तक कई बार विशेष अभियान चलेंगे, किन्तु हमें जनता का भी सहयोग चाहिए। हमने एक टोल फ्री नंबर 18001805533 चालू कर रखा है। इस पर कोई भी शिकायत कर सकता है। हाल ही में लखनऊ का एक मिठाई दुकानदार नाक पोछने के बाद बिना हाथ धोए मिठाई तौल रहा था, एक ग्र्राहक ने हमसे शिकायत की, हमने तुरंत कार्रवाई की। यह एक छोटा उदाहरण है, पर हमारी तत्परता बताता है। लोग हमसे शिकायत तो करें। इसके अलावा जनता बिना कैशमेमो के दवा या खाद्य सामग्र्री न ले। इससे नकली दवा मिलने का तो अंदेशा होता ही है, टैक्स चोरी भी होती है। लोग अपना तात्कालिक फायदा देखते हैं, पर इससे दूरगामी नुकसान होता है। जनता वहीं से खाद्य सामग्र्री खरीदे, जिस दुकान के पास खाद्य लाइसेंस हो। दुकानदार के लिए बोर्ड पर खाद्य लाइसेंस का ब्योरा लिखना अनिवार्य है। बिना लाइसेंस दुकान की शिकायत करें, हम कार्रवाई करेंगे। ऐसे मामलों में मुकदमे के साथ छह महीने तक सजा का भी प्रावधान है।

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