Wednesday 2 September 2015

यूपी में बने ट्वायलेट यूनिवर्सिटी, आए सोच में बदलाव

-'जागरण पहल और 'रेकेट बेंकिजर के प्रयास 'डेटॉल बनेगा स्वच्छ इंडिया में स्वच्छतादूतों का सृजन अभियान
-देश को अगले दस साल में हर हाल में पानी होगी खुले में शौच से मुक्ति
-उत्तर प्रदेश और बिहार के दो सौ गांवों में चलेगा अभियान, रहेगी 'डिजिटल नजर
-जब तक हर घर में शौचालय न बन जाए, तब तक देश में न बने एक भी मंदिर
राज्य ब्यूरो, लखनऊ
स्वच्छता समाज की आवश्यकता है। भारत को अगले दस साल में हर हाल में खुले में शौच से मुक्त होना होगा, अन्यथा हम दुनिया के सामने खड़े नहीं हो पाएंगे। मंगलवार को यहां 'जागरण पहल और 'रेकेट बेंकिजर के संयुक्त प्रयास 'डेटॉल बनेगा स्वच्छ इंडिया के अंतर्गत स्वच्छतादूतों के सृजन अभियान की शुरुआत के दौरान वक्ताओं ने इस बात पर बल दिया। बिहार व उत्तर प्रदेश के दो सौ गांवों में चलने वाले इस अभियान के दौरान पूरी प्रक्रिया पर 'डिजिटल नजर रहेगी।
सरकार व सहकार में बने सेतु
समारोह की अध्यक्षता करते हुए परमार्थ निकेतन ऋषिकेश के संस्थापक स्वामी चिदानंद सरस्वती 'मुनिजी महाराज ने कहा कि ऋषिकेश में देश के पहले 'ट्वायलेट कालेजÓ की शुरुआत का प्रस्ताव है, किन्तु उत्तर प्रदेश को दुनिया की पहली 'ट्वायलेट यूनिवर्सिटी की पहल करनी चाहिए। सरकार व सहकार में सेतु बने तो मोहल्ला से माहौल और माहौल से मुल्क बदलेगा। देश में 65 प्रतिशत युवा हैं। ऐसे में 'यंगदिल इंडिया को 'संगदिल इंडिया नहीं बनने देना है। हम सभी में जोश, जुनून व कुछ कर गुजरने का माद्दा है, बस उसे स्वच्छ भारत के काम में लगाने की जरूरीत है। 'पहले शौचालय, फिर देवालयÓ के भाव का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि मंदिर सोच को बदलता है और शौचालय शौच के तरीके बदलता है। शौच सही नहीं होगी, तो सोच भी सही नहीं होगी। दैनिक जागरण के पूर्व प्रधान संपादक स्व.नरेन्द्र मोहन को याद करते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 2000 में संयुक्त राष्ट्र में कोफी अन्नान के समक्ष शाकाहार के एक प्रयास से तीन दिन तक सिर्फ शाकाहारी भोजन ही हुआ। इस पर स्व.नरेन्द्र मोहन ने कहा था कि एक सोच बदलाव ला सकती है और उनकी यह बात आज भी सही उतर रही है। उन्होंने कहा कि जब तक देश के हर घर में शौचालय न बन जाए तक एक भी मंदिर नहीं बनना चाहिए। लोग भंडारे व प्रसाद पर इतना धन खर्च करते हैं, पर एक दिन भंडारे व प्रसाद के खर्च से शौचालय बनवाने की पहल होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वासजनित गठबंधन से संयुक्त राष्ट्र को संयुक्त संरचना में बदला जा सकता है। हर तीस सेकंड में एक शौचालय निर्माण की बात हो रही है। बदलाव, चिंतन व मानस की इस पहल का सम्मान हर स्तर पर होना चाहिए।
मैला ढोने को भी बनाएं इतिहास
पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि उत्तर प्रदेश में 52 हजार ग्र्राम पंचायतें हैं, किन्तु उन्हें खुले में शौचमुक्त करने में सफलता नहीं मिल रही है। सिक्किम इस काम में सफलता पाने वाला देश का पहला राज्य बना है। केरल भी खुले में शौच से मुक्त हो गया है और हिमाचल प्रदेश होने वाला है। दस साल के अंदर देश को खुले में शौच करने से मुक्ति दिलानी होगी, वरना विकास का रास्ता रुक जाएगा। इसके लिए महिला संगठनों की भी मदद लेनी होगी। जिन नरेन्द्र मोदी ने तीन साल पहले मेरी कड़ी आलोचना की थी, आज वही प्रधानमंत्री बनने के बाद स्वच्छ भारत अभियान को जन आंदोलन के रूप में नेतृत्व दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि शौचालय निर्माण की मुहिम के साथ मैला ढोने की प्रथा को भी सही अर्थों में इतिहास बनाने की पहल करनी होगी। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार देश में 24 लाख शुष्क शौचालय हैं, यानी चार लाख परिवार मैला ढोने की प्रथा से जुड़े हैं। इस बाबत 2013 में कानून भी बन गया था, किन्तु उस पर क्रियान्वयन अभी बाकी है।
स्वास्थ्य, सुरक्षा व सम्मान जरूरी
फिल्म अभिनेत्री व अभियान की 'गुडविल एम्बेसडर विद्या बालन ने कहा कि वे 2011 में स्वच्छता दूत बनी थीं। उस समय 60 करोड़ लोग खुले में शौच करते थे। आज भी आंकड़े वही हैं, बस अंतर इतना आया है कि अब लोग जागरूक हुए हैं। जागरूकता के साथ स्वास्थ्य, सुरक्षा व सम्मान भी जुड़ा है और इन सबके लिए शौचालय जरूरी है। आगे बढऩा है तो पूरी तरह से खुले में शौच को बंद करना होगा। जागरूकता इस बदलाव की ओर पहला कदम है, अब सोच में बदलाव का दूसरा कदम उठाना होगा। उत्तर प्रदेश को उम्मीदों का प्रदेश कहा जाता है और बदलाव की उम्मीद भी यहीं से शुरू होगी।
'शौचालय की देवी बनाम 'ट्वायलेट बाबा
कार्यक्रम में स्वामी चिदानंद सरस्वती ने अभिनेत्री विद्या बालन की पहल की सराहना करते हुए उन्हें 'शौचालय की देवी कहा तो खूब तालियां बजी। उन्होंने कहा कि विद्या ने फिल्म इंडस्ट्री में व्यस्तता के बावजूद शौचालयों के बढ़ावा देने की जो मुहिम शुरू की है, उससे वह दिन दूर नहीं है जब लोग उन्हें 'शौचालय की देवी कहें। इस पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सहित स्वयं विद्या बालन भी हंसे बिना नहीं रह सकीं। इस पर 'पहल इनीशियेटिव के अध्यक्ष एसएम शर्मा ने स्वामी चिदानंद सरस्वती को 'ट्वायलेट बाबा का खिताब दिया। उन्होंने कहा कि जिस तरह स्वामी जी शौचालयों की स्थापना के लिए अभियान चला रहे हैं, लोग उन्हें 'ट्वायलेट बाबा कहने लगेंगे।
सीएसआर, एमएसआर व पीएसआर
कार्यक्रम में स्वामी चिदानंद सरस्वती ने औद्योगिक घरानों के सामाजिक दायित्वों यानी 'कारपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) को मीडिया के सामाजिक दायित्वों से जोड़कर 'मीडिया सोशल रिस्पांसिबिलिटी (एमएसआर) की बात कही, तो पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने इसे राजनीतिज्ञों के सामाजिक दायित्वों यानी 'पॉलिटिकल सोशल रिस्पांसिबिलटी (पीएसआर) की याद दिलाई। स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि सीएसआर व पीएसआर मिलकर समाज को नयी दिशा दे सकते हैं। जयराम रमेश ने कहा कि पीएसआर को भी इससे जोड़ दिया जाए तो सारे संकल्प पूरे हो जाएंगे।

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