Monday 14 September 2015

मरीजों की सुरक्षा को फार्मासिस्टों की मुहिम

-कश्मीर से कन्याकुमारी तक यात्रा निकालकर जगाई अलख
-अब गांधी जयंती पर वाराणसी से पांच साल का अभियान
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : प्रदेश में फार्मासिस्टों की कमी के बीच उनकी उपयोगिता को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। ऐसे में फार्मासिस्टों के संगठन भी आगे आए हैं। अब उन्होंने अपनी उपयोगिता बताने के साथ मरीजों की सुरक्षा के लिए विशेष मुहिम शुरू करने का फैसला लिया है। हाल ही में कश्मीर से कन्याकुमारी तक यात्रा निकालने के बाद अब गांधी जयंती पर वाराणसी से पांच साल का अभियान शुरू किया जाएगा।
देश में 11 लाख फार्मासिस्ट पंजीकृत हैं। यह संख्या इनकी आवश्यकता के अनुपात में काफी कम है। इस बीच इनकी उपयोगिता पर भी सवाल उठने शुरू हो गए हैं। ऐसी स्थितियों को भांप कर ही फार्मासिस्टों ने मरीजों की सुरक्षा को लेकर मुहिम शुरू की है। पहले चरण में कश्मीर से कन्याकुमारी तक फार्मासिस्ट क्रांति यात्रा निकाली गयी है। इसमें अलग अलग राज्यों में फार्मासिस्टों की समस्याओं का आकलन किया गया है। अब दूसरे चरण में दो अक्टूबर को वाराणसी में राष्ट्रीय स्तर का अधिवेशन होगा। इस अधिवेशन की थीम 'मरीजों की सुरक्षा के लिए फार्मासिस्टों की मजबूती रखी गयी है। अभियान के संयोजक अमिताव जयप्रकाश चौधरी के मुताबिक फार्मासिस्टों का सही उपयोग न होने से दवाओं की प्रतिरोधक क्षमता घटने सहित तमाम समस्याएं सामने आ रही हैं। वाराणसी अधिवेशन में ऐसी समस्याओं पर विचार करने के साथ पांच वर्ष के लिए मरीज सुरक्षा अभियान की शुरुआत भी होगी। अधिवेशन में पूरे देश से फार्मासिस्ट जुटेंगे।
फर्जीवाड़े से छवि खराब
सर्वाधिक फार्मासिस्टों का प्रयोग दवाओं की दुकानों में होता है, किन्तु वहां भी फार्मासिस्टों द्वारा किये जा रहे फर्जीवाड़े ने उनकी छवि खराब की है। फार्मासिस्ट डेढ़ से दो हजार रुपये महीने के लिए अपना प्रमाणपत्र किराए पर दे देते हैं, जिससे उनकी उपयोगिता न होने का तर्क दिया जाने लगा है। माना जा रहा है कि ऐसी स्थितियों के लिए जिम्मेदार फार्मासिस्ट स्वयं हैं।
फार्मा शिक्षा की जन्मदात्री काशी
अधिवेशन वाराणसी में रखने के पीछे तर्क दिया गया है कि यहीं औपचारिक फार्मा शिक्षा की शुरुआत हुई थी। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ने शुरुआती प्रशिक्षित फार्मासिस्ट दिये थे। इसके बाद अन्य संस्थानों की शुरुआत हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का क्षेत्र होने के कारण भी वाराणसी का चयन हुआ है। फार्मासिस्ट अपनी मांगों का ज्ञापन भी प्रधानमंत्री के वाराणसी स्थित कार्यालय 'मिनी पीएमओ में देंगे।

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