Wednesday 2 September 2015

सख्ती हुई तो गायब हो गए 83 प्रतिशत विद्यार्थी


-दिखने लगा छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति घोटाले खुलने का असर
-नौवीं में छात्रवृत्ति पाने वाले चार लाख से अधिक दसवीं में गुम
डॉ.संजीव, लखनऊ
छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति घोटाले खुलने का असर साफ नजर आने लगा है। शासन स्तर पर सख्ती हुई तो केवल दसवीं में ही 83 प्रतिशत विद्यार्थी गायब हो गए हैं। यही हाल 9वीं, 11वीं व 12वीं का भी है।
कक्षा नौ, दस, ग्यारह व बारह में पढऩे वाले ऐसे विद्यार्थियों को शासन स्तर पर छात्रवृत्ति देने का नियम है, जिनके अभिभावकों की कुल आय दो लाख या उससे कम प्रति वर्ष है। पूरे प्रदेश में इस छात्रवृत्ति के लिए भारी संख्या में आवेदन होते रहे हैं। बीते वर्ष 12वीं के बाद पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं के तमाम पाठ्यक्रमों में छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति घोटाला सामने आने पर सख्ती हुई तो उसका असर कक्षा 9 से 12 तक पढ़ाई करने वालों की छात्रवृत्ति पर भी पड़ा है। इन कक्षाओं के लिए छात्रवृत्ति आवेदन की अंतिम 31 जुलाई थी। अब सारे आंकड़े संकलित होकर सामने आए तो अधिकारी तक चौंक गए हैं। कक्षा नौ उत्तीर्ण कर कक्षा दस में पहुंचने वाले छात्र-छात्राओं को आधार बनाया जाए तो उनकी संख्या महज 17 प्रतिशत रह गयी है। बीते वर्ष कक्षा नौ में पंजीकरण कराकर छात्रवृत्ति पाने वाले छात्र-छात्राओं को आधार बनाया जाए तो इस वर्ष 5,05,603 विद्यार्थियों को आवेदन करना चाहिए था। इसके विपरीत जांच-पड़ताल कर शासन तक पहुंचे आवेदनों की संख्या महज 83,714 है। हालात ये हैं कि बलरामपुर से सिर्फ चार आवेदन आए हैं, जबकि यहां से 52 गुना से भी अधिक यानी 209 आवेदनों की उम्मीद थी। गाजीपुर से पिछले वर्ष सर्वाधिक 40,757 छात्र-छात्राओं ने छात्रवृत्ति पायी थी। उनमें से इस वर्ष मात्र 1680 विद्यार्थियों के ही आवेदन आए है।
पंजीकरण के बाद रह गए 40 फीसद
इसे जांच व घोटाले में फंसने की दहशत ही कहेंगे कि कक्षा नौ में प्रवेश लेकर छात्रवृत्ति पाने के लिए पंजीकरण कराने के बाद आवेदन करने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या महज 40 फीसद रह गयी। प्रदेश भर से 9,58,445 लोगों ने पंजीकरण कराया था। इस बीच ताबड़-तोड़ घोटाले सामने आने लगे, तमाम संस्थानों की मान्यताएं रद हुईं तो आवेदन घटने लगे। परिणामस्वरूप अंतिम रूप से 3,80,261 लोगों ने ही आवेदन किया। इलाहाबाद व अम्बेडकर नगर में तो लगभग बीस हजार विद्यार्थियों ने पंजीकरण के बाद आवेदन नहीं किया। इलाहाबाद में 39,223 ने पंजीकरण कराया था, किन्तु आवेदन 19,972 ही पहुंचे। अम्बेडकर नगर में 30,103 पंजीकरण के विपरीत आवेदन सिर्फ 10,715 ही हुए।
...तो 12वीं में नहीं पहुंचे 7.77 लाख
यह सख्ती का परिणाम ही है कि 11वीं में छात्रवृत्ति पाने वाले 7.77 लाख से अधिक विद्यार्थियों ने 12वीं में आवेदन ही नहीं किया। आंकड़ों के मुताबिक बीते वर्ष 11वीं में 9,92,898 छात्र-छात्राओं ने छात्रवृत्ति ली थी। इस वर्ष उनमें से महज 22 फीसदी यानी 2,15,359 ने ही आवेदन किया है। अकेले गाजीपुर में ही 51 हजार से अधिक विद्यार्थी गायब हो गए हैं। वहां पिछले वर्ष सर्वाधिक 55,153 छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति मिली थी, जबकि इस वर्ष मात्र 3,748 ने ही आवेदन किया। इसी तरह इलाहाबाद में आवेदन करने वालों की संख्या 29 हजार कम हो गयी है। वहां पिछले वर्ष छात्रवृत्ति पाने वाले 42,865 छात्र-छात्राओं में से इस वर्ष 13,788 ने ही आवेदन किया।
11वीं में आधे से ज्यादा आवेदन नहीं
दसवीं पास कर छात्रवृत्ति के लिए पंजीकरण कराने वाले छात्र-छात्राओं में से आधे से अधिक ऐसे निकले, जिन्होंने बाद में आवेदन ही नहीं किया। इस वर्ष पहले तो 11वीं के 8,91,628 छात्र-छात्राओं ने पंजीकरण कराया, किन्तु अंतिम आवेदन तक महज 3,88,776 ही पहुंचे। इस तरह 56 प्रतिशत पंजीकृत छात्र-छात्राएं गायब हो गए। आगरा, इलाहाबाद, अम्बेडकर नगर, अमरोहा, बलिया, गाजीपुर, हरदोई, जौनपुर, कानपुर नगर, लखीमपुर खीरी, मऊ, प्रतापगढ़, सहारनपुर आदि जिलों में तो दस से बीस हजार छात्र-छात्राओं के पंजीकरण तो हुए किन्तु आवेदन के स्तर तक मामला नहीं पहुंचा।

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