Monday 7 September 2015

उप्र के 57 फीसद बच्चे बौने, 42 प्रतिशत का वजन कम


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-हर बीसवां बच्चा अत्यधिक कुपोषण का शिकार
-पड़ताल के लिए सात व दस सितंबर को वजन दिवस
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : उत्तर प्रदेश में कुपोषित बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। हालात ये हैं कि राज्य का हर दसवां बच्चा कुपोषण व हर बीसवां बच्चा अत्यधिक कुपोषित है। अब ऐसे बच्चों की पड़ताल करने के लिए प्रदेश भर में सात और दस सितंबर को वजन दिवस का आयोजन किया जाएगा।
हाल ही में आए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़े बताते हैं कि देश के हर आठ कम वजन वाले बच्चों में एक बच्चा उत्तर प्रदेश का होता है। इसी तरह बौनेपन के शिकार देश के सात बच्चों में से एक और सूखेपन के शिकार 11 में एक बच्चा उत्तर प्रदेश का होता है। उत्तर प्रदेश में 42.4 प्रतिशत बच्चे कम वजन के हैं, वहीं 56.8 प्रतिशत बौने और 14.8 प्रतिशत सूखेपन के शिकार हैं। हर दसवां बच्चा कुपोषण का शिकार है। 5.1 प्रतिशत तो अत्यधिक कुपोषण के शिकार हैं। ऐसे में हर बीसवां बच्चा अत्यधिक कुपोषण का शिकार है, जो उत्तर प्रदेश के लिए चुनौती बना हुआ है। बच्चों का कुपोषण भी उनकी मौत का बड़ा कारण है, क्योंकि कुपोषण से प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और उपयुक्त विकास भी नहीं हो पाता है।
इस चुनौती से निपटने के लिए कुपोषण के शिकार बच्चों की पड़ताल का फैसला हुआ है। मुख्य सचिव आलोक रंजन ने सभी जिलाधिकारियों को सीधे जिम्मेदार बनाकर सात व दस सितंबर को प्रदेश भर में वजन दिवस मनाने के निर्देश दिए हैं। यदि इन दो दिनों में कुछ बच्चे बच जाएं तो 14 सितंबर को अलग से आयोजन किया जाए। इसके बाद पांच वर्ष तक के सभी बच्चों के वजन के आधार पर कुपोषित व अतिकुपोषित बच्चों को अलग-अलग चिह्नित किया जाएगा, ताकि उनकी समस्या को दूर किया जा सके। मुख्य सचिव ने कहा है कि राज्य पोषण मिशन ने सिर्फ 1.58 लाख बच्चों के कुपोषित होने की बात कही है, जो सही नहीं है। इससे स्पष्ट है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के स्तर पर कुपोषित बच्चों की पड़ताल ठीक से नहीं की गयी है। इस बार वजन दिवस में कोई लापरवाही न हो, इसलिए पांच साल तक के सभी बच्चों की सूची बनाकर उनका वजन लेना सुनिश्चित करने को कहा गया है। इसके लिए ग्र्राम सभा व वार्ड स्तर पर प्रभारी भी नियुक्त किए जाएंगे।
बनेगा लाल रजिस्टर
वजन दिवस के बाद हर आंगनबाड़ी केंद्र पर आसपास के कुपोषित बच्चों की अलग से सूची बनाकर उनका नाम एक रजिस्टर में दर्ज किया जाएगा। इसे लाल रजिस्टर कहा जाएगा। इन कुपोषित बच्चों का कुपोषण दूर करने के प्रयास होंगे और हर माह उनका वजन व पोषण के अन्य पैमानों पर आकलन करके उन्हें कुपोषित श्रेणी से अलग करने की कोशिश होगी। लक्ष्य होगा कि लाल रजिस्टर में एक भी नाम न बचे और सभी बच्चे कुपोषण की समस्या से मुक्त हो जाएं।

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