Wednesday 2 September 2015

150 नए डॉक्टर, दस हजार से ज्यादा मरीजों का इलाज

-लोहिया संस्थान बनेगा स्वायत्तशासी मेडिकल कालेज
-खुलेंगे नए पाठ्यक्रम, परास्नातक की सीटें भी बढ़ेंगी
राज्य ब्यूरो, लखनऊ
कई वर्षों की चर्चा के बाद अब डॉ.राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान जल्द ही स्वायत्तशासी मेडिकल कालेज के रास्ते पर होगा। यहां से हर वर्ष 150 नए डॉक्टर बनकर निकलेंगे, वहीं रोज दस हजार से ज्यादा मरीजों का इलाज हो सकेगा। इसके अलावा नए पाठ्यक्रम खुलने व परास्नातक की सीटें बढऩे की उम्मीद से भी संस्थान प्रशासन उत्साहित है।
राजधानी लखनऊ के डॉ.राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में अभी 18 विभाग हैं। यहां अतिविशेषज्ञता वाली बीमारियों का इलाज होता है, वहीं परास्नातक चिकित्सा शिक्षा भी दी जाती है। संस्थान में एमडी, डीएम व एमसीएच की 20 सीटें हैं। इन उपाधियों के लिए संस्थान अभी किंग जार्जेज मेडिकल विश्वविद्यालय से संबद्ध है। गुरुवार को प्रदेश मंत्रिमंडल द्वारा आयुर्विज्ञान संस्थान को लोहिया अस्पताल से जोडऩे और फिर पूर्ण स्वायत्तता वाले मेडिकल कालेज की स्थापना संबंधी निर्णय लिये जाने से राज्य की चिकित्सा शिक्षा व्यवस्था में एक और मील का पत्थर जुड़ जाने की उम्मीद बढ़ी है। यह संस्थान पूर्ण स्वायत्तशासी चिकित्सा विश्वविद्यालय की तरह होगा। सरकार की कोशिश है कि इस बाबत विधेयक को विधानसभा के मानसून सत्र में ही पारित करा लिया जाए।
संस्थान की निदेशक डॉ.नुजहत हुसैन के मुताबिक संस्थान में इस समय 18 विशेषज्ञताओं के चिकित्सक हैं और वे परास्नातक शिक्षण के साथ इलाज भी करते हैं। लोहिया अस्पताल के संस्थान से जुडऩे के बाद वहां चल रही विशेषज्ञ सेवाएं भी इसका हिस्सा होंगी। नए स्वरूप में संस्थान में 36 विभाग हो जाएंगे। यह अनूठा संस्थान होगा, जहां पहले दिन से एमसीआइ के मानकों के अनुरूप परास्नातक चिकित्सा शिक्षा की कक्षाएं चल रही होंगी। अभी एमडी, डीएम व एमसीएच की बीस सीटें हैं, वे भी बढ़ जाएंगी। संस्थान पहले चरण में एमबीबीएस की 150 सीटों के लिए भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआइ) में आवेदन करेगा। इसके अलावा संस्थान पोस्ट डॉक्ट्रेट प्रमाण पत्र पाठ्यक्रम, बीएससी नर्सिंग जैसे पाठ्यक्रमों का संचालन भी शुरू करेगा। अभी लोहिया अस्पताल में छह हजार मरीज और संस्थान में डेढ़ हजार मरीज रोज देखे जाते हैं। उच्चीकरण के बाद रोज औसतन दस हजार से ज्यादा मरीजों का इलाज होने की उम्मीद है। सीटें बढऩे से विशेषज्ञ चिकित्सा सेवाएं भी और मजूबत होंगी तथा उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य के मामले अधिक आत्मनिर्भर हो सकेगा।

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