Monday 31 August 2015

कार्रवाई से बचने को सूर्यप्रताप ने फेंका वीआरएस का दांव

-तमाम शर्तों व सवालों के साथ मुख्य सचिव को लिखा पत्र
-बाद में सोशल मीडिया में सार्वजनिक भी कर दी अपनी चिट्ठी
राज्य ब्यूरो, लखनऊ
प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले आइएएस अधिकारी सूर्यप्रताप सिंह ने कार्रवाई से बचने के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का दांव खेला है। यही कारण है कि उन्होंने सीधे त्यागपत्र या वीआरएस के लिए आवेदन न कर तमाम शर्तों व सवालों के साथ मुख्य सचिव को पत्र लिखा है। यही नहीं, उन्होंने इस पत्र को सोशल मीडिया पर सार्वजनिक भी कर दिया है।
बीते कुछ महीनों से सरकार के खिलाफ ऑन लाइन मोर्चा खोलने के साथ सड़क तक पर उतरने वाले आइएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह ने गुरुवार को अचानक मुख्य सचिव को एक पत्र लिखकर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) मांग ली। यह पत्र लिखते समय उन्होंने अखिल भारतीय सेवा (मृत्यु सह रिटायरमेंट लाभ) नियमावली का तो हवाला दिया है, किन्तु सीधे वीआरएस न मांगकर तमाम शर्तें व शिकायतें भी जोड़ दी हैं। उनके इस कदम को हाल ही में अमिताभ ठाकुर के खिलाफ सरकार की कार्रवाई से जोड़ा जा रहा है। माना जा रहा है कि बीते दिनों सूर्यप्रताप की गतिविधियों को लेकर उन्हें एक नोटिस दिया गया था। इसके बावजूद वे सोशल मीडिया पर सरकार विरोधी मुहिम चलाए हुए थे। नोटिस के बाद से ही उनके अगले कदम का इंतजार था, तो उन्होंने वीआरएस का दांव खेल दिया। उन्होंने मुख्य सचिव को बड़ा हृदय वाला बताकर उनसे अशिष्टता के लिए माफी भी मांगी है। सूर्यप्रताप इसी वर्ष 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। ऐसे में महज पांच माह पहले भेजे गए वीआरएस के आवेदन पर कई सवाल उठ रहे हैं। प्रक्रियागत रूप से प्रदेश सरकार यदि वीआरएस की संस्तुति कर भी देती है तो यहां से केंद्र सरकार के पास जाएगा। इस संबंध में मुख्य सचिव आलोक रंजन ने बताया कि उनका पत्र हमें मिल गया है। हमने इसे विधिक परीक्षण के लिए कार्मिक विभाग में भेज दिया है। जैसे ही उस पर रिपोर्ट आ जाएगी, उस पर कार्रवाई होगी। सामान्य रूप से वीआरएस देने में कोई तकनीकी अड़चन नहीं है।
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छुटभैया नेता भी बनते मुसीबत
अपने पत्र में सूर्यप्रताप ने लिखा है कि अगर कोई अधिकारी निष्ठा व कर्मठता का परिचय देना आरंभ करता है तो स्थानीय राजनीतिक लोग उसे सही रास्ते पर चलने नहीं देते। स्वार्थपर्तावश या कार्यकर्ताओं के बहाने राह में रोड़ा अटकाते हैं। जरा-जरा सी बात पर शिकायतों के माध्यम से उस अधिकारी के सिर पर निलंबन या स्थानांतरण की तलवार लटकना आम बात है। सत्तारूढ़ दल के छुटभैया नेता भी मुसीबत बन जाते हैं। यही कारण है कि अफसरों ने भी अपने आपको राजनेताओं की मंशा के अनुरूप ढालने में भलाई समझी है।
मैनेजर टाइप अफसरों की मौज
सूर्यप्रताप ने लिखा कि सत्तर के दशक तक की समाप्ति तक आइएएस अधिकारियों को बड़े ही सम्मान के साथ देखा जाता था। तब तक अधिकारियों को रिश्वत लेने या कदाचार पर समाज द्वारा हेय दृष्टि से देखे जाने का भय होता था। नौकरशाहों और राजनेताओं के गठजोड़ ने समूची व्यवस्था को ही पंगु बना डाला है। आज दागी और मैनेजर टाइप के अफसरों की मौज है।
मलाईदार पदों के लिए बोली
इस समय सार्वजनिक उद्यम विभाग में प्रमुख सचिव के रूप में कार्यरत सूर्यप्रताप ने लिखा है कि उत्तर प्रदेश जैसे आर्थिक, सामाजिक व राजनैतिक रूप से पिछड़े राच्य में नौकरशाही का बहुत बड़ा वर्ग जाति तथा राजनीतिक विचारधारा के आधार पर बंट गया है। मलाईदार उच्च पदों के लिए बोली लगायी जाती है। आज प्रति सप्ताह लगभग दो दर्जन अफसरों के तबादले हो रहे हैं। पिछले 15 सालों में देश में कुल 200 आइएएस, आइपीएस व आईएफएस अधिकारियों का निलंबन हुआ, जिसमे से 105 केवल उत्तर प्रदेश से हैं।
रोज आठ बलात्कार, 11 हत्याएं
प्रमुख सचिव ने कहा कि आज उत्तर प्रदेश में रोजाना लगभग आठ बलात्कार तथा 11 हत्याएं हो रही हैं। गत वर्ष 40,000 से अधिक हिंसक अपराध हुए। 2,000 से अधिक बलात्कार तथा 5,000 से अधिक हत्याएं हुईं। हत्याओं व बलात्कारों के कारण देश में सबसे असुरक्षित दस स्थानों में से 5 उत्तर प्रदेश में हैं। पुलिस थानों में एक वर्ग विशेष के दरोगाओं की तैनाती की बात से पुलिस में जनसामान्य का विश्वास डगमगाया है।

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