Saturday 22 August 2015

नहीं पूरे हुए सेहत के सपने, अब नई जनसंख्या नीति

-बनाएंगे ऐसी स्वास्थ्य प्रणाली, जिसे पूरा देश करे 'फॉलो
-2011 के स्वास्थ्य सूचकांक की प्राप्ति न करना चिंताजनक
राज्य ब्यूरो, लखनऊ
तमाम नीतियों व लक्ष्यों के बावजूद राज्य में सेहत के सपने पूरे नहीं हुए हैं। अब सरकार सभी को जोड़कर नई जनसंख्या नीति लाने जा रही है। राजधानी के एक पांच सितारा होटल में समारोह पूर्वक प्रदेश के मुख्य सचिव आलोक रंजन ने नई जनसंख्या नीति बनाने के लिए भारत सरकार के पूर्व स्वास्थ्य सचि केशव देसीराजू की अध्यक्षता में नीति नियोजन समूह के गठन की घोषणा की।
कार्यक्रम में मुख्य सचिव ने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के लिए जनसंख्या को केंद्र में रखकर नीति बनाना जरूरी है। सरकार ऐसी स्वास्थ्य प्रणाली विकसित करना चाहती है, जिसे पूरा देश 'फॉलोÓ करे। इसी परिप्रेक्ष्य में जनसंख्या नीति दुबारा बनाने का फैसला हुआ है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में गवर्नेंस सुनिश्चित करने के लिए जिला अस्पतालों से प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों तक ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि संशोधित जनसंख्या नीति में समुदाय के हाशिये पर रहने वालों व कमजोर वर्गों की महत्वाकांक्षाओं को ध्यान में रखना अतिआवश्यक है, जिससे वे अपने सपनों को साकार कर सकें।
नीति नियोजन समिति के अध्यक्ष बनाए गए केशव देसी राजू ने कहा कि संशोधित जनसंख्या नीति बनाने में जिस प्रक्रिया के साथ काम किया जा रहा है, वह बेहद सकारात्मक है। प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) अरविंद कुमार ने कहा कि राज्य द्वारा लक्ष्य के अनुरूप पूर्व निर्धारित 2011 के स्वास्थ्य सूचकांक की प्राप्ति नही की जा सकी। जिसमें मुख्यत: कुल प्रजनन दर में कमी लाने के साथ बाल विवाह को रोकने, विवाह की सही उम्र का पालन करने और गर्भवती माताओं के टीकाकरण आदि में सुधार की जरूरत है। पॉपुलेशन फाउंडेशन इन इंडिया की अधिशासी निदेशक पूनम मुतरेजा ने कहा कि समग्र्र जनसंख्या नीति के साथ वास्तविक विकास संभव है। सिफ्सा के अधिशासी निदेशक अमित घोष ने कहा कि सकल प्रजनन दर ज्यादा होने जैसे बिन्दु सामने आ रहे हैं, जिन पर ध्यान देने की जरूरत है। इसमें स्वास्थ्य साझेदारों की भूमिका भी महत्वपूर्ण साबित होगी। स्वागत प्रदेश की स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ.विजय लक्ष्मी ने किया। यह राज्यस्तरीय विमर्श दो दिन तक चलेगा। इससे पहले पूरे प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर विमर्श का दौर पूरा हो चुका है, जिनमें आए सुझावों पर इन दो दिनों में विचार होगा।
प्रदेश भर से आए सुझाव
-सिर्फ बेटी होने पर नसबंदी कराने वालों के मिले आजीवन मानदेय
-प्राइवेट नर्सिंग होम को लाइसेंस देने के साथ निर्धारित किये जाएं लक्ष्य
-ग्र्रामीण क्षेत्रों पर हो विशेष ध्यान, गांवों में कराए जाएं प्रधान सम्मालन
-अभियान में बढ़े पुरुषों की सहभागिता, बेटी के जन्म पर मिले प्रोत्साहन
-बढ़ाई जाए विवाह की न्यूनतम आयु, गर्भ निरोधकों की हो खुली बिक्री
-सास-बहू सम्मेलन की तर्ज पर आयोजित किये जाएं पति-पत्नी सम्मेलन

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