Monday 31 August 2015

परिवार नियोजन में अब लक्ष्य नहीं, संवाद पर जोर

-25 जिलों में 100 ब्लाकों में अधिक सक्रियता
-नवदंपतियों से जुड़ेंगी 18408 आशा कार्यकर्ता
राज्य ब्यूरो, लखनऊ
तमाम कोशिशों के बावजूद उत्तर प्रदेश परिवार नियोजन के मामले में अपेक्षित सफलताएं नहीं प्राप्त हो रही हैं। ऐसे में रणनीतिक रूप से अब लक्ष्य की जगह संवाद पर जोर दिया जा रहा है। इसके लिए राज्य के 25 जिलों के 100 ब्लाकों में अधिक सक्रियता बरतने का फैसला किया गया है।
संतानोत्पत्ति के मामले में उत्तर प्रदेश की स्थिति सुधरने की नाम नहीं ले रही है। प्रति दंपति प्रजनन दर के लिए 2.1 लक्ष्य आदर्श माना जाता है, किन्तु उत्तर प्रदेश में अभी प्रति दंपति प्रजनन दर 3.1 है। इन स्थितियों से निपटने के लिए भारत सरकार ने वर्ष 2020 तक हर हाल में 4.8 करोड़ नए लोगों को परिवार कल्याण कार्यक्रमों से जोडऩे का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसमें से एक चौथाई, यानी 1.2 करोड़ नए लोग उत्तर प्रदेश में जोड़े जाने हैं। का कहना है कि इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए ग्र्राम स्तर तक सक्रियता का फैसला लिया गया है। सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च की प्रदेश परियोजना प्रबंधक रश्मि काला के मुताबिक प्रदेश सरकार के साथ मिलकर टीएसयू ने परिवार कल्याण के मामले में पिछड़े 25 जिले चिह्नित किये हैं। हर जिले में ऐसे चार ब्लाक लिए गए हैं, जिससे जिले की लगभग आधी आबादी को जोड़ा जा सके।
प्रदेश में इस काम में सरकार के साथ जुड़ी तकनीकी सपोर्ट यूनिट (टीएसयू) की परिवार कल्याण परियोजना निदेशक प्रीति आनंद ने बताया कि हर गांव के नवदंपतियों पर फोकस करते हुए परिवार नियोजन साधन प्रयोग करने वाले जोड़ों से सीधे संवाद की प्रक्रिया शुरू करने पर जोर दिया जा रहा है। फोकस वाले 25 जिलों में दंपतियों को चिह्नित कर 18,408 आशा कार्यकर्ता उनसे नियमित संपर्क में रहेंगी। इस दौरान हर
ये हैं 25 जिले
इलाहाबाद, कौशाम्बी, मिर्जापुर, सोनभद्र, बहराइच, बाराबंकी, फैजाबाद, खीरी, सीतापुर, बदायूं, बरेली, पीलीभीत, रामपुर, शाहजहांपुर, एटा, फर्रूखाबाद, हरदोई, कन्नौज, काशीराम नगर, बलरामपुर, गोंडा महाराजगंज, संत कबीर नगर, श्रावस्ती, सिद्धार्थ नगर

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